बुलंदशहर की घटना पर हाईकोर्ट सख्त, CBI को सौंपी जा सकती है जांच

Update:2016-08-08 17:15 IST

इलाहाबाद: बुलंदशहर हाईवे पर मां-बेटी के साथ गैंगरेप मामले मे बेहद सख्त दिखी हाईकोर्ट ने सोमवार को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की अपनी मंशा जाहिर कर दी। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह से कहा कि वह इस संबंध में सरकार से सहमति कल तक ले लें।

बुधवार 10 अगस्त को चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई का आदेश दिया है। दोनों जजों ने यह भी कहा कि वह इस केस की मानीटरिंग करेंगे और देखेंगे ऐसी कौन सी व्यवस्था की जाय कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो। कोर्ट इस मामले की सुनवाई घटना का स्वतः संज्ञान लेकर कर रही है।

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हाईवे से किडनैप कर गैंगरेप

-30 जुलाई को बुलंदशहर की कोतवाली देहात क्षेत्र नेशनल हाइवे पर कुछ बदमाशों ने नोएडा से शाहजहांपुर कार से जा रहे एक परिवार को रोका।

-इसके बाद परिवार को अगवा कर लिया। बदमाश परिवार को हाइवे से करीब 50 मीटर दूर खेतों में ले गए।

-बदमाशों ने पहले परिवार के साथ लूटपाट की उसके बाद मां और बेटी के साथ गैंगरेप किया।

-करीब डेढ़ घंटे तक इस परिवार के साथ हैवानियत को अंजाम देने के बाद बदमाश वहां से फरार हो गए।

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पुलिसकर्मियों पर हुई कार्रवाई

-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लूटपाट और गैंगरेप की घटना को गंभीरता से लेते हुए बुलंदशहर के एसएसपी वैभव कृष्णा समेत तीन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से ससपेंड कर दिया था।

-पुलिस ने इस सिलसिले में तीन बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

-इसके पहले पुलिस इंस्पेक्टर कोतवाली, सिंह और कई अन्य पुलिस अधिकारियों को भी सस्पेंड किया जा चुका है।

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कोर्ट कार्रवाई से संतुष्ट नहीं

-ऐसा लगता है की हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सरकार कि इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है।

-कोर्ट ने इस मामले को अतिगंभीर मामला मानकर स्वतः संज्ञान लिया है।

-हाईकोर्ट इस प्रकरण पर अब दस अगस्त को सुनवाई करेगी।

लखनऊ बेंच में सरकार ने कहा- सीबीआई जांच से आपत्ति नहीं

लखनऊ: बुलंदशहर की गैंगरेप की घटना पर चैतरफा घिरी सपा सरकार ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच मे सोमवार को हाथ खड़े कर दिए। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने बेंच को बताया कि यदि वह घटना की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करना चाहे तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। बेंच ने इस पर अपना कोई फैसला देने से बचते हुए इसी मुद्दे पर इलाहाबाद में चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले की बेंच द्वारा स्वतः संज्ञान ले लिए जाने के कारण मामले की सुनवाई 22 अगस्त तक टाल दी है।

जस्टिस एपी साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने एक स्थानीय एनजीओ वी द पीपुल की ओर से दायर एक पीआईएल की सुनवाई करते हुए इससे पूर्व एनजीओ के सेक्रेटरी एडवोकेट प्रिंस लेनिन द्वारा दाखिल एक पूरक शपथ पत्र को रिकॉर्ड पर लिया। इसमें उन तथ्यों को उजागर किया गया था जिनके कारण याची को पुलिस की विवेचना पर भरोसा नहीं रह गया था। याची ने सुप्रीम कोर्ट की उन नजीरों को भी पेश किया जिसमें किसी जांच को सीबीआई को ट्रासंफर करने के लिए जरूरी बातें बताईं गईं थीं।

सरकार की ओर से गोदियाल ने कहा कि सीबीआई को जांच ट्रांसफर करने के लिए हर मामले के अलग-अलग पहलू को देखना पड़ेगा। हालांकि उन्होंने सरकार की ओर से सीबीआई जाचं पर कोई आपत्ति नहीं जताई। गोदियाल ने इलाहाबाद में विचाराधीन याचिका के बाबात भी कोर्ट को अवगत कराया जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी।

आरोपियों को दस दिन की रिमांड

-गैंगरेप मामले में सोमवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपियों को दस दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया।

-इनकी पेशी के कारण विक्टिम मां और बेटी को बयान के लिए कोर्ट में नहीं पेश किया गया।

-सरकारी वकील का कहना है कि पुलिस ने मां-बेटी के बयान के लिए न्यायालय में कोई प्रार्थना पत्र ही दाखिल नहीं किया है।

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