अंंबेडकर की पुण्यतिथि पर बड़ा कार्यक्रम नहीं करेगी बसपा, सिर्फ मंडल स्तरीय सम्मेलन
लखनऊः बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि में लाखों की भीड़ जुटाने वाली बसपा अब डा. भीमराव अंंबेडकर की पुण्यतिथि (6 दिसंंबर ) पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन नहीं करेगी। बल्कि यह आयोजन सिर्फ लखनऊ मंंडल स्तरीय होगा। साथ ही इस दिन प्रदेश के शेष मंंडल व जिलों के कार्यकर्ता विधानसभा स्तर पर कार्यक्रम करेंगे। बसपा मुखिया मायावती ने इसकी घोषणा की है। वह पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहीं थी।
पार्टी के लखनऊ मंंडल के सभी कार्यकर्ता पूर्व की तरह ही राजधानी स्थित बाबा साहेब डा. भीमराव अंंबेडकर स्थल पर ही अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के लिए पहुचेंगे। मायावती ने कहा है कि बीते 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि के मौके पर हुए आयोजन में बसपा को जो क्षति पहुंची है उसको ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
मायावती ने जारी की अपने भाषण की सीडी और किताब
इस मौके पर बसपा मुखिया मायावती ने पार्टी संस्थापक कांशीराम जी की पुण्यतिथि के मौके पर 9 अक्टूबर को उनके दिए गए भाषण की सीडी व किताब जारी की और उसे हर विधानसभा में पार्टी के लोगों को दिखाने को कहा है साथ ही लोगों को किताब भी पढाई जाएगी।
-बसपा मुखिया ने कहा कि उन्होंने सभी प्रत्याशियों को बुलाया है।
-उनमें यह किताब और सीडी वितरित की जाएगी।
-कल भी बुलाया गया था और आज भी बैठक चल रही है।
जिलों में विधानसभा स्तर पर होंगे कार्यक्रम
-सरकार के द्वेषपूर्ण रवैये के चलते अम्बेडकर परिनिर्माण श्रद्धा-सुमन आयोजन का कार्यक्रम बदला
-अब कार्यक्रम लखनऊ में राज्य-स्तरीय ना होकर सिर्फ लखनऊ मण्डल-स्तरीय ही होगा।
-बाक़ी मंंडलों के हर ज़िले में यह आयोजन विधानसभा-स्तरीय होगा।
-मायावती ने इन आयोजनों को कामयाब बनाने की अपील की।
प्रेसवार्ता के बिन्दुओं के बारे में जनसभाओं में बताएं
-पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि उनके प्रेसवार्ता के बिन्दुओं को जनसभाओं में बताएं।
-हर स्तर पर विरोधी पार्टियों के हथकण्डों से जरूर सावधान रहें।
-सपा के महागठबन्धन के बनाने की कोशिश पर भी रखी बात।
- सपा आमचुनाव के होने से पहले ही अपनी हार मान चुकी है।
-बेहतर काम किया होता तो आज उसे गठबन्धन के लिये दर-दर भटकने की जरूरत नहीं पड़ती।
आपसी लड़ाई में सपा का बेस यादव वोट दो खेमों में बंटा
-मुस्लिम समाज के लोगों को विश्वास कि सपा परिवार में आपसी वर्चस्व की जबर्दस्त लड़ाई।
-परिणामस्वरूप उनका बेस यादव वोट बुरी तरह से दो खेमों में बंट गया है।
-दोनों ही गुट आपसी मार-काट में लगे हुये हैं।
-एक-दूसरे को हराने में भी कोई कसर नहीं छोड़ने वाले हैं।
-जिस कारण सपा को वोट देकर अपना वोट खराब नहीं करना है।
-सपा को अब वोट देने का साफ मतलब है भाजपा को जिताने में मदद करना।
-इसलिए प्रदेश के लोगों को काफी सावधान रहने की जरूरत है।
यूपी, उत्तराखंड, पंजाब में अकेले चुनाव लड़ेगी बसपा
मायावती ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी यूपी ही नहीं बल्कि उत्तराखण्ड व पंजाब में भी एक साथ होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ किसी भी प्रकार का कोई भी समझौता करके चुनाव नहीं लड़ेगी अर्थात यह चुनाव अकेले ही लड़ेगी। इतना ही नहीं बल्कि इन्होंने पार्टी के लोगों को यह भी कहा कि गाँव-गाँव व कस्बों-कस्बों में जाकर लोगों को बीजेपी द्वारा, बसपा के विरोध में आयेदिन जानबूझ कर की जा रही गलतबयानी के बारे में सजग व सावधान करें।