आशुतोष सिंह
वाराणसी: सर्वविद्या की राजधानी काशी में ज्योतिष परंपरा और कर्मकांड शिक्षा की परंपरा पहले से ही समृद्ध और सुदृढ़ रही है। काशी के ज्योतिषियों की गणना बेहद सटकी रहती है। यहां के ज्योतिषियों की ज्योतिष विधा पर ऐसी पकड़ रही है कि दूर-दूर से लोग यहां के विद्वानों की मदद लेने आते रहे हैं। मकरंद से लेकर प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय तक ज्योतिषियों की एक ऐसी शृंखला रही है जिसका लोहा पूरा देश मानता आ रहा है। ज्योतिष शास्त्र पर गहरी पकड़ के चलते लोग यहां के ज्योतिषियों की मदद लेते रहे हैं। काशी की इस समृद्ध परंपरा को कायम रखने में केंद्र सरकार भी भरपूर मदद कर रही है। केंद्र सरकार ने ज्योतिष-कर्मकांड की इस परंपरा को अब रोजगार के साथ जोड़ा है।
ज्योतिष और कर्मकांड की पढ़ाई करने वाले छात्र सिर्फ संस्कृत के श्लोक ही नहीं बल्कि फर्राटेदार अंग्रेजी बोलें, अब इसकी भी व्यवस्था हो गई है। कुंडली की रूपरेखा खींचने वाले हाथों में अब कंप्यूटर का माउस थमाया जा रहा है ताकि ये लोग भी समय के साथचल सके। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से संचालित दीनदयाल कौशल योजना के तहत यहां के छात्रों के लिए ज्योतिष-कर्मकांड और वास्तु एवं आंतरिक साज-सज्जा नामक कोर्स चलाए जा रहे हैं।
कौशल विकास से संस्कृत को जोड़ा
केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे पाठ्यक्रम का सेंटर सम्पूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में बनाया बनाया है। पिछले तीन सालों से यूनिवर्सिटी में कोर्स चल रहा है। शुरुआती दो सालों में अच्छा रिस्पॉस नहीं मिला, लेकिन अब छात्रों का रुझान धीरे-धीरे बढऩे लगा है। संस्कृत को कौशल विकास से जोडऩे की केंद्र सरकार की ये कोशिश अब रंग लाने लगी है। ज्योतिष और कर्मकांड के क्षेत्र में छात्रों को अपना कॅरियर दिख रहा है। यही कारण है कि संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थित सेंटर की सभी सीटें फुल हो गई हैं।
पिछले साल 13 बच्चों ने एडमिशन लिया था, लेकिन इस बार सभी 50 सीटें पर छात्रों ने प्रवेश लिया है। हैरानी इस बात की है कि इस कोर्स में ना सिर्फ साधारण छात्र बल्कि बीटेक करने वाले भी शामिल हैं। यही नहीं ज्योतिष में रुचि रखने वाले रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी भी यहां आ रहे हैं। यहां पर दो तरह के कोर्स संचालित हैं। ज्योतिष कर्मकांड के अलावा वास्तु एवं आंतरिक साज-सज्जा का भी कोर्स चल रहा है। केंद्र की ओर से छात्रों को डिप्लोमा के अलावा स्नातक के बराबर डिग्री भी दी जाती है।
केन्द्र के निदेशक प्रोफेसर सुधाकर मिश्र बताते हैं कि ज्योतिष और कर्मकांड के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। आज हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी वजह से परेशान है। ऐसे में वो अपनी परेशानी का हल खोजने के लिए हर संभव उपाय करता है। इन परेशानियों के हल में ज्योतिष बड़ी भूमिका निभा रहा है। यही कारण है कि ज्योतिष और कर्मकांड के क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र अब तेजी से आगे आ रहे हैं। दीनदयाल कौशल विकास द्वारा संचालित इस केंद्र में हमारी कोशिश यही है कि ज्योति-कर्मकांड की पढ़ाई करने वाले छात्रों को बेहतर स्टार्टअप मिले।
बेरोजगार पंडितों को मिलेगा रोजगार
हालांकि पंडितों को रोजगार से जोडऩे के लिए सम्पूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में पहले से कोशिशें हो रही हैं। इसके पहले पंडितों से संपर्क करने और पूजा-अनुष्ठान के लिए ऑनलाइन वेबसाइट बनाई जा चुकी है। www.where's my pandit ji.com' पर लॉग ऑन करके आप पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप पर सर्च करके आप देश-विदेश के किसी भी कोने से पंडित को ढूंढ़ सकते हैं। इतना ही नहीं, ऑनलाइन फार्म भरकर पूजन भी काशी में करवा रहे हैं। लोगों को गलत पंडितों के चक्कर से बचाने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट तैयार की गई है। अमेरिका, थाईलैंड, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड समेत कई देशों में ऑनलाइन पंडितों की काफी डिमांड है। अनुष्ठान में नाम गुप्त रखा जाता है।
काशी के पिशाचमोचन तीर्थ पर फोन से जुडक़र भारत से बाहर के कई जजमान पंडितों से पितृ श्राद्ध का कर्मकांड भी करा रहे हैं। यही नहीं ऑनलाइन वेबसाइट के जरिये आपको ज्ञानी और अच्छे पंडित मिलेंगे। हर तरह के अनुष्ठान को सही तरीके से पूरा कराया जाएगा। वैवाहिक कर्मकांड, ज्योतिष समाधान, रुद्राभिषेक, सत्यनारायण कथा, पितृ दोष पूजन, गंगा पूजन समेत कई अनुष्ठान ऑनलाइन कराए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, अगर जानकार पंडित आपको विदेशों के लिए चाहिए तो वो भी यहां उपलब्ध होगा। पूजन शुल्क जब आप ऑनलाइन फार्म भरकर सबमिट कर देंगे तो मेल या फोन के जरिए बताया जाएगा। ऑनलाइन अनुष्ठान शुल्क के लिए यूनिवर्सिटी ने एक बैंक एकाउंट भी बनाया है। इस वेबसाइट के शुरू होने से बेरोजगार पंडितों को भी अब रोजगार मिल रहा है।
बीटेक के छात्र भी कर रहे हैं कोर्स
ऐसा नहीं है कि ज्योतिष और कर्मकांड की पढ़ाई में सिर्फ साधारण छात्र ही आगे आ रहे हैं। इस कोर्स में बीटेक पास छात्रों ने भी दिलचस्पी दिखाई है। वास्तुशास्त्र और आंतरिक साज-सज्जा के छात्र चक्रवर्ती पटेल कंप्यूटर साइंस से बीटेक हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नौकरी करने के बजाय इस कोर्स में एडमिशन लिया। बातचीत के दौरान चक्रवर्ती बताते हैं कि शुरू से ही उनका वास्तुशास्त्र में रुझान रहा है। वास्तुशास्त्र की पढ़ाई के बाद वो खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं। चक्रवर्ती के मुताबिक हाल के दिनों में आंतरिक साज सज्जा और वास्तुशास्त्र की डिमांड तेजी से बढ़ी है। मकान बनवाने से लेकर हर नई चीज बनवाने में लोग वास्तु का पूरा ध्यान रखते हैं। इस क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए ही मैंने इस विषय को चुना है।
सिर्फ चक्रवर्ती ही नहीं बल्कि कोर्स में एडमिशन लेने वालों की लिस्ट में पूर्व मनोरंजन कर अधिकारी सहित तीन अन्य ऐसे लोग शामिल हैं, जो अच्छे पदों पर नौकरी कर चुके हैं। ज्योतिष और कर्मकांड में रुचि के चलते उन्होंने इस कोर्स को चुना है। दोनों ही कोर्स में सेमेस्टर सिस्टम लागू है। यूजी में छह सेमेस्टर और पीजी में चार सेमेस्टर होते हैं। ग्रेजुएशन और पीजी लेवल में फार्म फीस 500 रुपए है जबकि सेमेस्टर फीस 5 हजार रुपए निर्धारित है। कोर्स को संचालित करने के लिए केंद्र सरकार ने तीन करोड़ सत्तर लाख रुपए ग्रांट भी कर दिया है। इसमें से दो करोड़ रुपए यूनिवर्सिटी प्रशासन को मिल भी चुका है। जबकि बाकी की रकम जल्द ही मिलने की उम्मीद है।
ज्योतिष से जुड़ गया अंग्रेजी और कंप्यूटर
आमतौर पर ज्योतिष के जानकार संस्कृत के विद्वान माने जाते हैं। ज्ञान का भंडार होने के बाद भी ज्योतिष शास्त्र के विद्वान एक हद तक ही सफल हो पाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। पहली बार ज्योतिष को अंग्रेजी से जोडऩे की मुहिम चलाई जा रही है। मकसद है ज्योतिष-कर्मकांड किसी भाषा का मोहताज ना रहे। आमतौर पर ज्योतिष-कर्मकांड के विद्वानों को उत्तर भारत के अलावा देश के दूसरे हिस्से या फिर विदेशों में जाने पर भाषा की दिक्कत का सामना करना पड़ता था। सबकुछ जानने के बाद भी ये विद्वान अपनी बात को बेहतर तरीके से पेश नहीं कर पाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के इस केंद्र में छात्रों को खासतौर से अंग्रेजी की शिक्षा दी जा रही है। छात्रों को मुख्य विषय के साथ ही अंग्रेजी की पढ़ाई अनिवार्य रूप से कराई जा रही है। सुंदरपुर के रहने वाले छात्र दीपक दुबे कहते हैं कि अंग्रेजी की महत्ता को सब स्वीकार करते हैं। उनके मुताबिक अंग्रेजी मौजूदा दौर की जरुरत है। बगैर अंग्रेजी के ज्ञान के ज्योतिष शास्त्र का प्रचार-प्रसार नहीं हो सकता। अंग्रेजी की पढ़ाई के बाद हमारा भी मनोबल बढ़ा है। इस केंद्र में सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं बल्कि छात्रों के लिए खासतौर से कंप्यूटर की पढ़ाई कराई जा रही है। केंद्र में कार्यरत टेक्निकल असिस्टेंट अभिषेक कुमार बताते हैं कि चाहे ज्योतिष हो या फिर कर्मकांड, कंप्यूटर का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। कंप्यूटर का ज्ञान होने से ज्योतिषाचार्य अपने जजमानों तक आराम से पहुंच जाते हैं। खासतौर से विदेश में रहने वाले शिष्यों से उनकी सीधी बातचीत होती है। इसके अलावा अब हाथ से बनाई हुई कुंडली पर लोगों का विश्वास नहीं रहता, लिहाजा कंप्यूटर से कुंडली को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में हर छात्र के लिए कंप्यूटर की पढ़ाई जरूरी कर दी गई है।