Mafia Atiq Ahmed Video: माफिया अतीक का तांगेवाले से कनेक्शन, कांप उठेंगे इसकी जुर्म की दास्तान सुनकर, वीडियो में देखें पूरी रिपोर्ट
Mafia Atiq Ahmed Latest News: अतीक अहमद पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, बलवा, रंगदारी जैसे सैकड़ों केस हैं।
अतीक अहमद पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, बलवा, रंगदारी जैसे सैकड़ों केस हैं। उसके ऊपर 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में डॉ मुरली मनोहर जोशी के करीबी बीजेपी नेता अशरफ की हत्या और 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप है।
ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि आख़िर अतीक की कहानी क्या है? अतीक एक छोटा सा शख़्स कैसे इतनी ऊँचाई छू गया कि वह सरकार के लिए सरदर्द बन गया है। उसका के एक इलाक़े में बडा साम्राज्य चलता है। उत्तर प्रदेश के कई बड़े ज़िलों में उसकी अपनी तूती बोलती है। उसकी शान शौक़त देखते ही बनती है।
इनके पिता का नाम फिरोज़ अहमद था। महज 17 साल की उम्र में अतीक पर हत्या का पहला आरोप लगा।उस समय पुराने शहर में चांद बाबा नामक बदमाश का दौर था। पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे। लिहाजा, अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला। लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक हो गया। लूट, अपहरण और हत्या जैसी खौफनाक वारदातों को लगातार अंजाम देने लगा। जिस अतीक को पुलिस ने शह दे रखी थी, अतीक उसी पुलिस के लिए बहुत बड़ा सरदर्द बन गया।
पूरा परिवार अपराध में
अतीक अहमद ने 1996 में शाइस्ता परवीन से निकाह किया। दोनों के पांच बेटे हैं- मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली, मोहम्मद असद, मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबाम।
अतीक के पांच में चार बेटों का भी आपराधिक रिकॉर्ड है। दो बेटे- मोहम्मद उमर और मोहम्मद अली जेल में हैं। जबकि, दो बेटे- मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबान पुलिस हिरासत में हैं। मोहम्मद उमर पर रंगदारी का आरोप है। उस पर दो लाख रुपये का इनाम था। पिछले साल अगस्त में सीबीआई के सामने उसने सरेंडर कर दिया था। मोहम्मद अली पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज है। हाल ही में उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली है। हालांकि, अली के खिलाफ एक और क्रिमिनल केस है, इसलिए वो जेल से बाहर नहीं आ सका। अतीक के दो बेटों को उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया है।
राजनीतिक सफर
1989 में अतीक ने देखा कि उसका रसूख़ इतना बढ़ गया है कि उसे राजनीति की ओर कदम बढ़ाना चाहिए । और वह इलाहाबाद शहर की पश्चिमी से चुनाव के लिए मैदान में उतरा। अतीक का इस चुनाव में मुक़ाबला अपेन चिर प्रतिद्वंद्वी चांद बाबा से था। इसमें भी अतीक ने बाजी मारी। अपनी दहशत के चलते चुनाव जीता। और कुछ महीनों बाद दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या कर दी।
साल 1991 और 1993 में भी अतीक निर्दलीय चुनाव जीता। साल 1995 में लखनऊ के चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी अतीक का नाम सामने आया। साल 1996 में वह सपा के टिकट पर विधायक बना। साल 1999 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा और हार गया। फिर 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से 5वीं बार विधायक बनने में अतीक कामयाब हुआ।
अतीक का खौफ इतना था कि इलाहाबाद की पश्चिमी सीट से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार ही नहीं होता था। समाजवादी पार्टी ने अतीक की हैसियत को बढ़ाने का काम किया और 2004 में इलाहाबाद के बग़ल वाली फूलपुर सीट से अतीक को मैदान में उतारा। यह जानना ज़रूरी है कि इस सीट से कभी जनेश्वर मिश्रा और जवाहर लाल नेहरू जैसे लोग चुनाव लड़ते थे। हालाँकि अतीक का रसूख़ यहाँ भी काम आया और अतीक 2004 में सांसद बनने में कामयाब हो गया। उस वक्त अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक था।
2012 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त अतीक अहमद जेल में ही था। उसने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी । लेकिन हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक अहमद को जमानत मिल गई।
उस चुनाव में अतीक अहमद जीत नहीं पाया। और राजू पाल , जिसकी हत्या अतीक अहमद ने कर दी थी उसकी पत्नी पूजा पाल ने अतीक को हरा दिया। 2014 में जब नरेंद्र मोदी का काल आया और देश भर उन्हें सर माथे पर बिठा कर घूम रहा था।उस समय भी अतीक ने चुनाव लड़ने का दुस्साहस किया। और 2014में वह श्रावस्ती सीट से चुनाव मैदान में उतरा। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के दद्दन मिश्रा ने अतीक को पटकनी दे दी। क्योंकि श्रावस्ती से बहुत दूर था। श्रावस्ती अतीक की पिच नहीं थी।
राजूपाल हत्याकांड
2004 में सांसद बनने के बाद अतीक को विधायकी छोड़नी पड़ी।इसके बाद हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार बनाया, जबकि बसपा की ओर से राजू पाल मैदान में थे। उपचुनाव में राजू पाल की जीत हुई। कभी राजू पाल अतीक अहमद का खासमखास हुआ करता था। लेकिन बाद में प्रतिद्वंद्वी हो गया।
25 जनवरी, 2005 को राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ का नाम सामने आया।
उमेश पाल हत्याकांड
राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल थे। जिन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। अतीक अहमद यह जानते थे कि उमेश पाल की गवाही के बाद उनके लिए बचना बहुत मुश्किल हो जायेगा। अदालत के आदेश के बाद उमेश पाल को राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा मिली थी। लेकिन राज्य सरकार की सुरक्षा के बीच ही अतीक के गुर्गों ने उमेश पाल को दिन दहाड़े प्रयाग राज में गोलियों से भून दिया । उमेश पाल के हत्या के संदेह की सुई अतीक और उसके परिवार वालों की तरफ घूमी। और यह सुई सिर्फ़ पुलिस की ओर से नहीं थी। बल्कि उमेश पाल के परिवार के लोगों ने भी यही कहा। जो सरकार अपने क़ानून व्यवस्था के नाम पर दोबारा लौट कर के आई हो उस सरकार के सामने उमेश पाल की हत्या एक बड़ी चुनौती है। देखना है इस चुनौती से कैसे यह सरकार निपटती है। और अतीक जैसे मालिकाओं के साम्राज्य को ध्वस्त करने में कितना कामयाब होती है। कैसे उनके मंसूबों को सरकार ध्वस्त करती है। हालाँकि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ बुलडोज़र बाबा हैं। और यह बुलडोज़र बाबा का लिटमस टेस्ट भी है। जब तक उमेश पाल के हत्या की तफ्तीश अंत तक नहीं पहुँचती है, तब तक इंतज़ार करना पड़ेंगा।