Ayodhya News: अयोध्या में कोरोना के कारण सावन झूला व मेले पर रहेगी रोक, प्रशासन ने कसी कमर
अयोध्या में कोरोना को लेकर लगने वाले श्रावण झूला व उसके साथ लगने वाले मेले को बंद कर दिया है।
Ayodhya News: धार्मिक एवं आध्यात्मिक नगरी अयोध्या में इस बार भी कोरोना महामारी के चलते, कल 11 अगस्त से शुरू होने वाला सावन झूला मेला प्रतिबंधित रहेगा,यद्यपि मेला प्रशासन ने इसकी सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं की है। वैसे तो मेला प्रशासन ने नया घाट स्थित रामकथा संग्रहालय में मेला नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दिया है। ध्वनि विस्तारक यंत्र पूरे मेला क्षेत्र में लगा दिए हैं, जिनसे भजन, गाने तेज आवाज में मेला कंट्रोल रूम से प्रसारित किए जा रहे हैं।
श्रद्धालुओं को आवश्यक जानकारियां दी जा रही हैं। अयोध्या नगरी के सभी प्रवेश मार्गों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है, जिससे श्रद्धालुओं की भीड़ अयोध्या में सावन मेले के दौरान प्रवेश न कर सके। जिलाधिकारी ने पूर्व मेलों की भांति पूरे मेला क्षेत्र को सेक्टर और जोन्स मे बांटकर सेक्टर व जोनल मजिस्ट्रेट नियुक्ति कर दियें हैं जो अपने अपने सेक्टर व जोन में ड्यूटी करते रहेंगे। श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रित रखने के लिए जिला प्रशासन ने कड़े प्रबंध किए हैं।
कोरोना कि वजह से नहीं लगेगी मेला
अपर जिलाधिकारी (नगर)/ मेला अधिकारी डॉ वैभव शर्मा से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना महामारी के चलते इस बार अधिकारियों और अयोध्या के नागरिकों की संयुक्त बैठक भी नहीं हो सकी है। महामारी को रोकने के लिए मेले में भीड़ नहीं आने दी जाएगी। अधिकारियों ने प्रमुख मंदिरों के संत-महंतों से श्रद्धालुओं के लिए के संदेश जारी कराया है कि श्रद्धालु अपने-अपने घरों पर ही रहें। अयोध्या में सावन झूले के दौरान न आएं क्योंकि सबके स्वास्थ्य की सुरक्षा और जान की रक्षा जरूरी है।
मेले में भीड़ बढ़ने पर कोरोना महामारी फैलने की संभावना है। मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग ने भी पूर्व मेलों की भांति अपने चिकित्सा शिविर स्थापित किए हैं जगह-जगह एंबुलेंस लगाने और श्रद्धालुओं की चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी लगा दी है। ज्ञातव्य हो कि सावन झूला मेला की शुरुआत मणि पर्वत के मेले से होती है। जिसमें विभिन्न मंदिरों से भगवान के स्वरुप बनकर यात्रा निकालकर मणि पर्वत पर आते हैं और वहां पेड़ों पर पड़े हुए झूलों पर झूला झूलते हैं, श्रद्धालु भी भारी संख्या में मणिपर्वत पर एकत्र होकर मेले का आनंद लेते हैं।
लेकिन इस बार मंदिरों से भगवान के स्वरूप वाली झांकियां नहीं निकलेगी़ और मणि पर्वत पर झूला मेला आयोजित नहीं होगा। वैसे जो श्रद्धालु मणि पर्वत पर स्थित मंदिर का में भगवान का दर्शन करना चाहते हैं वह दर्शन करने के लिए जाएं जा सकते हैं उन पर कोई रोक नहीं लगेगी। इस तरह से मेला प्रशासन ने मेला में भीड़ को एकत्र न होने देने की सारी तैयारियां पूरी कर लीं हैं । घोषित रूप में मेले पर रोक नहीं लगाई गई है लेकिन मेला में भीड़ को आने नहीं दिया जाएगा ऐसा प्रशासन का निर्णय है।
अयोध्या में मोहर्रम की तैयारियां अब अपने अंतिम रूप में
Ayodhya News: मोहर्रम की तैयारियां अब अपने अंतिम रूप में है मोहर्रम को देखते हुए मुसलमान अपने घरों की साफ-सफाई और इमामबाड़ो की साफ सफाई करते हैं, जो अब अंतिम रूप में है। और इमामबाड़े सजने का भी काम शुरू हो चुका है, आपको बताते चलें कि मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन के परिवार को यजीद नामक बादशाह ने 3 दिन का भूखा प्यासा शहीद किया था।
शहीद होने वालों में 6 माह का बच्चा, 4 साल की बच्ची और औरतें बूढ़े सभी शामिल थे यजीद की बुराइयों के खिलाफ इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में अपनी और अपने परिवार की कुर्बानी पेश की और इंसानियत को मानवता को बचा लिया 14 सौ साल से अब तक इमाम हुसैन के गम को हर धर्म के लोग बड़े ही अकीदत से मनाते हैं क्या वो शिया या अहले सुन्नत या फिर हमारे हिंदू भाई बहुत ही अकीदत और गमगीन तरीके से मोहर्रम को मनाते हैं और उस मानवता के रखवाले की याद को ताजा रखते हैं।
कर्बला के मैदान में यजीद ने पेश की थी
कहा जाता है कि कर्बला में हुए इस शहादत को जो भी पढ़ता है वह बिना रोए रह नहीं पाता क्योंकि जुल्म की इंतेहा कर्बला के मैदान में यजीद ने पेश की थी और दूसरी तरफ सब्र की इंतेहा मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने पेश की थी। इसी याद में पूरी दुनिया में मोहर्रम के महीने को गम के रूप में जाना जाता है और घरों में इमामबाड़े सजाए जाते हैं। इसी क्रम में भारत में भी बड़े ही अकीदत से मोहर्रम को मनाया जाता है। भारत का मोहर्रम अपने आप में एक अलग पहचान रखता है।
क्योंकि भारत में रहने वाले हर मजहब मिल्लत के लोग इमाम हुसैन के गम को बहुत ही अकीदत से मनाते हैं और उनके गम को याद कर के आंसू बहाते हैं। और इमाम हुसैन के उस पैगाम को जिसे पहुंचाने के लिए इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों की कुर्बानी पेश की इस पैगाम को हमारे हिंदू मुस्लिम सिख भाई सभी आगे बढ़ाते हैं। इसी क्रम में अयोध्या का मोहर्रम भी अपनी अलग पहचान रखता है।
हफ्तों से मोहर्रम को लेकर तैयारियां चल रही है
हफ्तों से मोहर्रम को लेकर तैयारियां चल रही है और अब तैयारियां अपने अंतिम दौर में है। कहा जाता है कि मोहर्रम कोई त्यौहार नहीं है, मोहर्रम गम का महीना और मोहर्रम तो एक बुराई के खिलाफ जंग और जेहाद जिस तरह से इमाम हुसैन ने यजीद द्वारा फैली बुराइयों के खिलाफ एक जंग और जेहाद छेड़ा था। उसमें इमाम हुसैन जीते क्योंकि इमाम हुसैन का मकसद था मानवता इंसानियत और जुल्म के खिलाफ जंग उनके मकसद की जीत हुई और यजीद के मकसद की हार हुई।
क्योंकि हर धर्म में बुराई के खिलाफ जंग लड़ने के लिए कहा गया है। किसी व्यक्तिगत इंसान के खिलाफ नहीं सिर्फ और सिर्फ बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए कहा गया जिसमें इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों की शहादत के साथ बुराई को अपने पैरों तले कुचल डाला था। तभी तो आज किसी भी मजहब के लोग हैं मानवता इंसानियत मोहब्बत और प्यार जिंदा है। अगर मानवता इंसानियत मोहब्बत प्यार जिंदा है तो हुसैन का मकसद भी पूरा होता दिखाई दे रहा है।
और इसी तरह रहती दुनिया तक इमाम हुसैन से प्रेरणा लेते हुए बुराई के खिलाफ हमेशा लोग जंग लड़ते रहेंगे। सच मानिए तो मोहर्रम आतंकवाद के खिलाफ एक जंग है। अब से 14 सौ साल पहले जो आतंक यजीद ने कर्बला मे मचाया था आज भी यजीद जैसी सोच रखने वाले मानवता और इंसानियत के दुश्मन बने हुए हैं। और यह मोहर्रम का महीना हमेशा आतंकियों से और आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देता रहेगा।