Ayodhya News: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में चल रहे 48वें कुलपति सम्मेलन का समापन
Ayodhya News: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं औद्योगिक विश्वविद्यालय में चल रहे 48वें पेलेगर सम्मेलन का शुक्रवार को समापन हो गया।;
48th Vice Chancellors Conference held at Acharya Narendra Dev Agriculture and Technology University concluded (Photo: Social Media)
Ayodhya News: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में चल रहे 48वें कुलपति सम्मेलन का शुक्रवार को समापन हो गया। इस मौके पर विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व मुख्य वक्ताओं ने एग्री टूरिज्म को विकसित करने व देशव्यापी स्तर पर कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विस्तार से चर्चा की। सम्मेलन के समापन के अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता नवसारी कृषि विश्वविद्यालय गुजरात के कुलपति डा. जेड. पी. पटेल ने की। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि भारतवर्ष में एग्री टूरिज्म को विकसित करने के लिए पॉलिसी बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने हाइलेवल कमेटी के गठन का सुझाव दिया जो एग्री टूरिज्म के लिए पॉलिसी गाइड लाइन का ड्राफ्ट तैयार कर सकें।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने “हिमालय पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एवं निचले महासागरों पर इसका प्रभाव” विषय पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमालय में जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण वृक्ष रेखा का ऊपर की ओर खिसकना है। यह वृक्ष रेखा प्रति दशक 10 से 50 मीटर ऊपर की ओर खिसक रही है। उन्होंने कहा कि सदी के अंत तक वृक्ष रेखा के कम से कम 150 मीटर ऊपर की ओर खिसकने का अनुमान है। हिमालय में जलवायु परिवर्तन के कारण नदी का प्रवाह एवं तलछट भार बढ़ा है, जिससे तटीय क्षेत्रों में जल की गन्दगी एवं पोषक तत्वों की गतिशीलता में परिवर्तन आ रहा है। प्रो. नौटियाल ने कहा कि हिमालय में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण लवणता एवं पोषक तत्वों के स्तर में परिवर्तन आ रहा है। इसे रोकने के लिए हमें एकीकृत जलागम प्रबंधन के साथ-साथ ग्लेशियरों को संरक्षित करना होगा तथा वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना होगा।
48वें कुलपति सम्मेलन का समापन
एनआईटीटीई स्कूल ऑफ मैनेजमेंट बैंगलोर के मुख्य वक्ता डा. सरथ सेन्नीमलाई ने “ग्रामीण आजीविका के लिए कृषि पर्यटनः नीतिगत अंतर्दृष्टि” विषय पर बताया कि शैक्षिक एवं मनोरंजन गतिविधियों जैसे फार्म का दौरा, फल-फूल एवं सब्जी रोपण, वर्मी वॉश परियोजना, बकरी फार्म पोल्ट्री फार्म, गाय पालन, बच्चों के लिए पार्क, नौका विहार बैलगाड़ी की सवारी व ग्रामीण खेल के माध्यम से कृषि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। डा. सरथ ने बताया कि कि कृषि गतिविधियों तथा ग्रामीण जीवन शैली में लोगों की बढ़ती रुचि के कारण कृषि पर्यटन की मांग बढ़ रही है। इसे किसान, कृषि सहकारी समितियां, कृषि अनुसंधान केंद्र, कृषि विवि या किसान कंपनियां स्थापित कर सकती है और पर्यटन विभाग इन केंद्रों को प्रमाणित करेगा जिसके बाद वे ऋण और अन्य कर लाभ के लिए पात्र हो सकेंगे।
48वें कुलपति सम्मेलन का समापन
कृषि पर्यटन के प्रणेता कृषक पांडुरंग थावरे ने उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में एग्री टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर किया तो यह भी बताया कि 2003 में एक अनूठी अवधारणा के साथ कृषि पर्यटन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य शहरी पर्यटकों को गांवों से जोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था।इस मॉडल में पर्यटक न सिर्फ खेती की बारीकियां सीखते हैं, बल्कि ग्रामीण संस्कृति का अनुभव भी करते हैं और किसानों से सीधे उत्पाद खरीद सकते हैं। महाराष्ट्र की एग्री टूरिज्म नीति के निर्माता के तौर पर उन्हें दो बार राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार भी मिल चुका है। बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश के चयनित जिलों में कृषि पर्यटन को विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा और समग्र ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा।
जीपीबी विभागाध्यक्ष डा. संजीत कुमार के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। 48वां कुलपति सम्मेलन इस बार आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि व भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। इस मौके पर विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, मुख्य वक्ता सहित कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या के शिक्षक एवं वैज्ञानिक मौजूद रहे।