भाजपा का हिन्दुत्व की ओर यूटर्न क्यों, क्या हैं इसके मायने, कितना होगा कारगर

Lucknow : विकास, कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा आदि से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष के तीखे आक्रमण से बचने के लिए भाजपा को हिन्दुत्व का पुराना मुद्दा ज्यादा सुरक्षित लग रहा है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-12-02 03:18 GMT

भाजपा का हिन्दुत्व (फोटो- सोशल मीडिया)

Lucknow : विधानसभा चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) करीब आते आते जहां सभी दल अपने एजेंडे को धार देने में जुट गए हैं वहीं भाजपा भी विकास के मुद्दे से हटकर अपने पुराने हिन्दुत्व के मुद्दे पर लौटती दिखायी दे रही है। भाजपा नेताओं(BJP Leaders) के पिछले दिनों आए कुछ बयान इसी बात की ओर इशारा कर रहे हैं। खासकर विपक्ष की घेराबंदी का भाजपा को कोई तोड़ दिखायी नहीं दे रहा है।

विकास, कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा आदि से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष के तीखे आक्रमण से बचने के लिए भाजपा को हिन्दुत्व का पुराना मुद्दा ज्यादा सुरक्षित लग रहा है। भाजपा नेताओ के पिछले दिनों आए बयान इसी बात की ओर इशारा कर रहे हैं।

सत्ता विरोधी लहर का सामना

राजनीति के जानकार पहले भी इस बात को कहते रहे हैं कि 2022 का विधानसभा चुनाव अंततः हिन्दुत्व के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) ने अयोध्या को हिन्दुत्व की राजधानी (Ayodhya Hindutva Ki Rajdhani) बताकर और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अयोध्या काशी प्यारी है मथुरा की तैयारी है का नारा देकर इस को धार दे दी है।


विश्लेषकों का कहना है कि मोदी के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ने वाली भाजपा को इस बार के चुनाव (UP Election 2022) के लिए सत्ता विरोधी लहर का सामना करने के लिए हिन्दुत्व के मुद्दे (Hindutva Ka Mudda) पर गोलबंद होने पर मजबूर होना पड़ा है वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने जिन्ना का नाम उछालकर भाजपा को इसका मौका दे दिया है जो कि पहले से ही चुनाव को दूसरी ओर मोड़ने का मौका तलाश रही थी।

जानकारों का कहना है कि अखिलेश ने ये मुद्दा उछालकर गलती की है हालांकि अखिलेश ने ये कदम अल्पसंख्यक वोटों को गोलबंद करने के लिए उठाया है जिनके छिटकने का खतरा उन्हें लग रहा था। लेकिन इसी एक कदम ने भाजपा को हिन्दुत्व (BJP Hindutva) की ओर लौटने का मौका भी दे दिया है। अब वह हिन्दुओं को अल्पसंख्यक उभार का खतरा दिखाकर सबसे बड़ी हितैषी होने की पेशबंदी में जुट गई है।

हिन्दुत्व ही एकमात्र ब्रह्मास्त्र 

विपक्ष के आरोपों पर गौर करें तो महंगाई और बेरोजगारी आज के दौर में सबसे बड़ा मुद्दा है। इन दोनों ही मुद्दों पर भाजपा के पास बताने के लिए कुछ नहीं है। तीसरा बड़ा मुद्दा किसान हैं जो कि उम्मीद के विपरीत अब तक भाजपा नेतृत्व को कृषि कानूनों के मुद्दे पर माफ करते नहीं दिख रहे हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के बकाये का मुद्दा सिर उठाता जा रहा है। सरकार की चीनी मिलों पर अब शुरू की गई कार्रवाई को किसान नेता चुनावी स्टंट के सिवाय कुछ नहीं मान रहे हैं।

विकास के नाम पर भाजपा के पास बताने के लिए जो चीजें हैं उनमें से अधिकांश की शुरुआत अखिलेश सरकार में हो चुकी थी। इसलिए उसका जनता पर बहुत अधिक असर होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में सिर्फ हिन्दुत्व ही एकमात्र ब्रह्मास्त्र बन सकता है जो भाजपा को चुनावी वैतरणी पार करा सकता है।

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