UP News: 'नैमिषारण्य में बने ऐसा संस्थान, जहां विश्व भर के जिज्ञासु को मिले उन्नत ज्ञान'- मुख्य सचिव

UP Tourism News: प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नैमिषारण्य ऐसी भूमि है जहां आदिकाल से ऋषि-मुनियों ने वेदों का ज्ञान प्राप्त किया।

Newstrack :  Network
Update:2024-04-25 22:19 IST

दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत करते मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और अन्य गणमान्य लोग (Pic:UP Tourism)

Lucknow: धर्मार्थ कार्य विभाग, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और इंडिया थिंक काउंसिल के तत्वाधान में नैमिषारण्य स्थित अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रारूप एवं विकास की रूपरेखा पर दो दिवसीय कार्यशाला (25-26 अप्रैल) गुरुवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान (आईजीपी) में शुरू हुई। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार सहित अन्य ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य दुनिया भर के वैदिक ज्ञान और संबद्ध विज्ञान के विद्वानों तथा विशेषज्ञों द्वारा प्रमुख विषयों के वैज्ञानिक, अनुसंधान-अध्ययन व अभ्यास के साथ पाठ्यक्रम संरचना के विकास पर मंथन करना है। कार्यशाला के पहले दिन अलग-अलग क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों ने परामर्श दिए और अपनी बात रखी।

'वैदिक ज्ञान का आधुनिक समस्या से निपटने में हो उपयोग'   

प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कार्यशाला को संबोधित किया। नैमिषारण्य स्थित अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र के प्रारूप को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, विश्व के सम्पूर्ण आधुनिक ज्ञान का भंडार यदि देश में है, तो हम पश्चिम की तरफ क्यों देखते हैं ? नैमिष के अरण्य में ऋषियों ने वेदों के परायण से गूढ़ ज्ञान हमें दिए, जो दुर्भाग्य से मध्य काल में ख़त्म हो गए। अपने प्राचीन ज्ञान को कैसे हम आधुनिक विकास की समस्याओं से निपटने में उपयोग कर सकते हैं, इस विषय पर चिंतन और शोध की आवश्यकता है'।


नैमिषारण्य हमें फिर मौका दे रहा- मुकेश मेश्राम

मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में नैमिषारण्य ऐसी भूमि है जहां आदिकाल से ऋषि-मुनियों ने वेदों का ज्ञान प्राप्त किया। 'नैमिष' और 'अरण्य' की शाब्दिकता की चर्चा करते हुए वेदों के ज्ञान को वर्तमान समय में कैसे हर समस्या के समाधान में इस्तेमाल किया जा सकता है, पर बल दिया। उन्होंने कहा, सरकार का यह प्रयास भारत के विश्व गुरु बनने की दिशा में महायज्ञ समान है। वर्तमान समय में भी आर्थिक, सामाजिक, आध्यात्मिक सहित अन्य समस्याओं का समाधान वेदों में निहित है। वैदिक विज्ञान केंद्र, नैमिषारण्य हमें फिर मौका दे रहा है कि विश्व को बताएं कि वेदों के जरिए समस्या का निदान संभव है। हमारा अतीत समृद्ध रहा है। बेहतर कल के लिए कार्यशाला में सम्मिलित विशेषज्ञों का साथ बेहतर परिणाम देगा। उन्होंने कहा, इस दिशा में वैदिक विज्ञान केंद्र, वाराणसी और अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान का भी पूरा सहयोग मिलेगा।'


'हमारा अतीत समृद्ध रहा है'

मुकेश कुमार मेश्राम ने आधुनिक विज्ञान और वैदिक विज्ञान पर अपनी बात रखी। प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति ने कहा, 'वैदिक साइंस और वास्तु शास्त्र में खासा योगदान है। यही विधि है जो हमें बताती है कि मंदिर में ऊर्जा कहां है? मूर्ति की स्थापना कहां हो ? वैसे ही नैमिष ऊर्जा का केंद्र बने। वैदिक विज्ञान, सौर पथ सहित अन्य ग्रहों से जुड़ी गणना में मददगार रही है। 


विश्व भर के जिज्ञासु को मिले उन्नत ज्ञान- मुख्य सचिव  

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कार्यशाला आयोजन के लिए धर्मार्थ कार्य विभाग की सराहना की। उन्होंने बताया कि, 'सनातन और भारतीय परंपरा के संरक्षित गूढ़ वैज्ञानिक ज्ञान पर अनवरत हो रहे शोध और वर्तमान की तकनीकी विकास से उसकी प्रासंगिगता को संकलित करने तथा उसे और अधिक विकसित करने के उद्देश्य से यह प्रस्तावित संस्थान उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। उन्होंने बताया कि, सरकार ने इस संस्थान के लिए 36 एकड़ जमीन प्रदान की है। विकास कार्य प्रारंभ हो चुके हैं। मुख्य सचिव ने कहा, संस्थान ऐसा हो जहां विश्व भर के जिज्ञासु उन्नत स्तर के ज्ञान प्राप्त करने आ सकें। इस स्थान पर ऐसे सभी वैदिक ज्ञान का संकलन हो, जो समूचे समाज के लिए उपलब्ध हो पाए।' दुर्गा शंकर मिश्र ने इस कार्यक्रम की कार्य योजना में संलग्न नॉलेज पार्टनर इंडिया थिंक काउंसिल का भी विशेष आभार प्रकट किया।

वैदिक ज्ञान से ही निदान - प्रो. रमेश चन्द्र

प्रो. रमेश चन्द्र (सदस्य, नीति आयोग) ने उद्घाटन भाषण में कहा, 'वैदिक साइंस की तलाश पूरी दुनिया को है। पर्यावरण और प्रकृति को सुरक्षित रखने के लिए वैदिक विज्ञान अहम है।  200 वर्षों की विकास यात्रा में मानव जीवन को बहुत कुछ मिला तो प्रकृति को नुकसान भी पहुंचा। ऐसे में स्थायी सिस्टम अर्थात अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र की जरूरत महसूस हुई। उन्होंने कहा, हमने नेचुरल कैपिटल का फाइनेंशियल कैपिटल के रूप में दोहन किया। इसलिए अब वैदिक केंद्र के रूप में एक स्थायी सिस्टम की आवश्यकता है। कृषि के क्षेत्र में, अनाज की पैदावार बढ़ाने आदि में वैदिक ज्ञान का इस्तेमाल होना चाहिए।' प्रो. रमेश चंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रयास को सराहनीय कदम बताया।

वेदों में विश्व की समस्याओं का निदान  

स्वामी चिदानंद मुनि ने वैदिक मंत्रों की महत्ता को बताया। 88 हजार ऋषियों के नाम से नैमिषारण्य में वृक्षारोपण के लिए परमार्थ निकेतन के सहयोग की बात की। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना की भूरी-भूरी प्रशंसा की। स्वामी जी बोले, 'विश्व की समस्याओं का निदान वेदों में है। हर्ष का विषय ये है कि इसकी शुरआत नैमिषारण्य से हो रही है।'

सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े युवा पीढ़ी 

प्रो.डी.पी. सिंह (पूर्व वीसी, बीएचयू( ने युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने की बात कही। उन्होंने कहा, 'ऐसे शोध संस्थान ही युवा पीढ़ी को वैदिक ज्ञान से जोड़ सकते हैं। नई शिक्षा नीति की भी यही योजना है। वहीं, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने संस्था के विकास, पाठ्यक्रम संरचना और वेदों के अधिकृत शोध के लिए केंद्रीय संस्कृत संस्थान से सम्पूर्ण सहयोग का वचन दिया।

वेद से जुड़े रहस्यों पर हो रहे शोध

पीआरएल, अहमदाबाद के निदेशक प्रो. अनिल भारद्वाज ने इसरो तथा सम्बद्ध संस्थानों में वेद से जुड़े रहस्यों पर हो रहे शोध की जानकारी दी। उन्होंने कई उदाहरण के जरिए इसे विस्तार से बताया। उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों के उत्कृष्ट योगदान को बताया, जिसे दुनियाभर में आश्चर्य के रूप में देखा जाता है। 

नालंदा यूनिवर्सिटी करेगा सहयोग

नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने कहा, 'ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे नया नालंदा यूनिवर्सिटी बन रहा हो। उन्होंने ख़ुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, नालंदा विश्वविद्यालय पूरा सहयोग करेगा। अंतर्राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान केंद्र, नैमिषारण्य की प्रस्तावना को मूर्त रूप देने के लिए कार्यशाला के पहले दिन विभिन्न क्षेत्रों के ख्यातिलब्ध, चयनित विषयों के विशेषज्ञ, खाद्य सुरक्षा, विज्ञान तथा तकनीकी, रक्षा और शांति, प्रकृति तथा खगोल शास्त्र, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, शहरी योजना तथा अवस्थापना, मानवीय जीवन विज्ञान तथा मानवीय अर्थशास्त्र जैसे विषयों पर हमारे वैदिक तथा प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता तथा उपयोगिता पर गहन चर्चा, मनन और प्रस्तुतीकरण हुए। धर्मार्थ विभाग के संयुक्त निदेशक विश्व भूषण मिश्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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