नाथ संप्रदाय पर एक साथ कई किताबें, अरुण त्रिपाठी ने लिखी भारतीय दर्शन परंपरा में नई इबारत
नाथपन्थ के सिद्धों का चरित्र आध्यात्मिक शुचिता एवं मानवीय संचेतना का पर्याय है। नाथपन्थ में प्रमुखतया नवनाथ एवं चौरासी सिद्धों की मान्यता एवं व्याप्ति है फिर भी इनके अतिरिक्त भी अनेक सिद्धों एवं योगियों का उल्लेख भी प्राप्त होता है।
लखनऊ। नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं।
नाथपन्थ के सिद्धों का चरित्र आध्यात्मिक शुचिता एवं मानवीय संचेतना का पर्याय है। नाथपन्थ में प्रमुखतया नवनाथ एवं चौरासी सिद्धों की मान्यता एवं व्याप्ति है फिर भी इनके अतिरिक्त भी अनेक सिद्धों एवं योगियों का उल्लेख भी प्राप्त होता है। नाथ-परम्परा (नाथधारा) आज भी नैरन्तर्य पूर्ववत गतिमान है। प्रस्तुत प्रणीत ग्रन्थ में नवनाथों के जीवन चरित्र, उनके उपदेश, उनके ग्रन्थों और उनके प्रति लोकास्था का संक्षिप्त विवरण प्रकाशित करने का प्रयास किया गया है। ऐसी पन्थिक-प्रसिद्धि है कि सृष्टि के आरम्भ में नवनाथ हुए। इन्होंने ही नाथपन्थ का प्रवर्तन किया।
पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित लेखक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी की नयी पुस्तकें 'नवनाथ', 'नाथ सम्प्रदाय : दर्शन कथा नाथपन्थ की', और 'नाथ सम्प्रदाय : युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ' का लोकार्पण व परिचर्चा में विद्वानों ने ये बातें कहीं।
प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, पूर्व कुलपति, बीएचयू ने कहा कि नाथपन्थ पर केंद्रित इन पुस्तकों के माध्यम से लेखक ने न सिर्फ़ नाथपन्थ सम्प्रदाय को प्रतिस्थापित किया है बल्कि मनीषियों और योगियों के इस ज्ञान संसार को वर्तमान युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य भी किया है।"
कार्यकारी निदेशक, 'वाणी प्रकाशन ग्रुप'
अदिति माहेश्वरी-गोयल ने कहा कि "प्रश्न','नवनाथ' - 'वाणी प्रकाशन ग्रुप' में सभी दर्शनों का स्वागत है। शिष्य, गुरु का उद्धार करने का सामर्थ्य रखे, यह नाथ सम्प्रदाय में ही विद्यमान है। यह अनोखा लोकतंत्र है जिसे भारतीय युवाओं को समझना चाहिए।"
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी आर.एन. बनर्जी ने कहा, "मैं लेखक अरुण कुमार त्रिपाठी के इस पुस्तक के लिए शुभकामनाएं देता हूँ । कामना करता हूँ कि उनकी कलम अनवरत चले ही नहीं बल्कि साधन के साथ चले।"
नवनाथों की सूची के सन्दर्भ में नाथपन्थी विद्वानों के मत अलग-अलग हैं। अतएव संगामी सहमत हेतु प्रविद्वानों के वैचारिक-मतों पर दृष्टिपात करना अतीव आवश्यक है। योगिसंप्रदायविष्कृति (योगिसंप्रदायाविष्कृति, चन्द्रनाथ योगी, अहमदाबाद, 2019, पृ. 11-14) में नवनारायणों का नवनाथों के रूप में अवतरित होने की कथा का वर्णन किया गया है। इस ग्रन्थ के अनुसार कविनारायण ने मत्स्येन्द्रनाथ करभाजन नारायण ने गहिनिनाथ, अन्तरिक्षनारायण ने ज्वालेन्द्रनाथ अर्थात् जालन्धरनाथ, प्रबुद्धनारायण ने करणिपानाथ अर्थात कानिपा, आविर्होत्रनारायण ने सम्भवतः नागनाथ, पिप्पलायन नारायण ने चर्पटनाथ, चमसनारायण ने रेवानाथ, हरिनारायण ने भर्तनाथ अर्थात् भर्तृहरि, द्रुमिलनारायण ने गोपीचन्द्रनाथ नाम से अवतार लिया।
ग्रन्थ में गोरक्षनाथ का अवतार किस नारायण ने लिया और आविर्होत्रनारायण ने किस नारायण का अवतार धारण किया इसका भी उल्लेख नहीं प्राप्त होता है परन्तु ग्रन्थ की भूमिका में जिन दस सिद्ध-आचार्यों का नामोल्लेख है उनमें नागनाथ का नाम भी है। - प्राक्कथन से
नाथ सम्प्रदाय : युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ' पुस्तक के बारे में
प्रस्तुत ग्रन्थ में युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ का वर्णन सात अध्यायों में एवं परिशिष्ट के माध्यम से किया गया है। इसके प्रथम अध्याय में गुरु गोरखनाथ द्वारा बताये गये हठयोग का वर्णन आदित्यनाथ जी के ग्रन्थ 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना' की सहायता से किया गया है। इसमें योग और प्राणायाम के द्वारा स्वस्थ एवं मुक्ति मार्ग प्राप्त करने का वर्णन है। दूसरे अध्याय में संस्कारिक शिष्यों श्री गोरखनाथ एवं कानिफानाथ के द्वारा श्री मत्स्येन्द्रनाथ एवं जालन्धरनाथ की मुक्ति की कथा का वर्णन किया गया है। तीसरे अध्याय में कौल ज्ञान का वर्णन किया गया है। चौथे अध्याय में जालन्धरनाथ एवं कानिफानाथ के कापालिक मत का वर्णन किया गया है। पाँचवें अध्याय में भर्तृहरि (विचारनाथ) के उपदेशों का संकलन किया गया है।
छठे अध्याय में नाथपन्थ के संसिद्धि के विचार तथा बाह्य आडम्बर के विरोध का वर्णन संगृहीत है। सातवें अध्याय में कुण्डलिनी जागरण के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन किया गया है। परिशिष्ट में विविध विषयों का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक युवाओं के लिए तो अत्यन्त उपयोगी है ही साथ-ही-साथ नाथपन्थ के सिद्धान्तों के जिज्ञासुओं की पिपासा भी शान्त करने की क्षमता रखती है। इसलिए यह पुस्तक जगत् के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में
प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश पूर्व कुलपति, बीएचयू और आर. एन बनर्जी, पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया उपस्थित रहे।
लेखक परिचय
डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी
पिता : स्व. श्री ओंकार नाथ त्रिपाठी
माता : श्रीमती केशमती त्रिपाठी
जन्म : 22 नवम्बर 1977, ग्राम-तिघरा पण्डित, पोस्ट-नगहरा, बस्ती-272002 (उ.प्र.)
शैक्षिक योग्यता : एम.ए. (संस्कृत) पीएच.डी.
प्रकाशित ग्रन्थ : 1. नल विलास परिशीलन, 2. संस्कृत वाङ्मय में भौतिक विज्ञान, 3. कुम्भ महापर्व (ऐतिहासिक एवं ग्रन्थीय विवेचन), 4. नाथ सम्प्रदाय के सिद्ध योगी (उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा पुरस्कृत), 5. गोरक्षसहस्रनाम स्तोत्रम्। 50 से अधिक शोधपरक निबन्धों, आलेखों, शोधपत्रों एवं कविताओं का प्रकाशन। सहभागिता : 40 से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलनों में सहभागिता, शोधपत्र प्रस्तुति, रेडियो वार्ता, पाण्डुलिपि सर्वेक्षण, स्क्रिप्ट राइटिंग, गीत लेखन इत्यादि।
सम्प्रति : अध्यापक, प्रयागराज (उ.प्र.)
वाणी प्रकाशन ग्रुप के बारें में
वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 59 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक नवीनतम विधाओं में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। तथा देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अब वाणी प्रकाशन ग्रुप वाणी डिजिटल, वाणी बिज़नेस, वाणी बुक कम्पनी, वाणी पृथ्वी, नाइन बुक्स, वाणी प्रतियोगिता, युवा वाणी और गैर-लाभकारी संस्था वाणी फ़ाउण्डेशन के साथ प्रकाशन उद्योग में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन ग्रुप की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 25 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 2008 में 'Federation of Indian Publishers Associations' द्वारा प्रतिष्ठित 'Distinguished Publisher Award' भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।
लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को 'वातायन सम्मान' तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में 'एक्सीलेंस इन बिज़नेस' सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।
3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में '64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह' में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा 'स्वर्ण-कमल-2016' पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर 'लेखक से मिलिये' के अन्तर्गत कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से 'हिन्दी महोत्सव' का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।
वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउण्डेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोजित किया गया ।
'किताबों की दुनिया' में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने अपनी 51वीं वर्षगाँठ पर गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउण्डेशन की स्थापना की। फ़ाउण्डेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र 'महेश' हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र 'महेश' ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की स्थापना की। वाणी फ़ाउण्डेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउण्डेशन के प्रेरणास्त्रोत हैं।
वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्वस्तरीय प्रयास करना।
वाणी फ़ाउण्डेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
वाणी फ़ाउण्डेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती हैं। वर्ष 2018 के लिए यह सम्मान प्रतिष्ठित अनुवादक, लेखक, पर्यावरण संरक्षक तेजी ग्रोवर को दिया गया था।