भगवान परशुराम का फरसा गिरने पर राजनीति तेज, बीजेपी ने कहा सपा के लिए भारी अपशकुन
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 'भगवान परशुराम' राजनीतिक दलों के केंद्रीय मुद्दों में से एक हैं। बीते, 2 जनवरी को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से बुलाए गए पंडितों और डमरू की आवाजों के बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भगवान परशुराम की एक प्रतिमा की स्थापना की थी।
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 'भगवान परशुराम' राजनीतिक दलों के केंद्रीय मुद्दों में से एक हैं। बीते, 2 जनवरी को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर से बुलाए गए पंडितों और डमरू की आवाजों के बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भगवान परशुराम की एक प्रतिमा की स्थापना की थी। राजधानी लखनऊ मेंं पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे के महुरा कलां गांव में इस प्रतिमा को सुलतानपुर के पूर्व विधायक संतोष पांडेय ने स्थापित कराया था। लेकिन दस दिन के अंदर भगवान परशुराम का फरसा टूटकर नीचे गिर गया। जिस पर समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष विपक्षी दल खासकर भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर आ गए हैं। सबसे पहले newstrack.com ने इस खबर से जुड़ी जानकारी और संबंधित वीडियो पाठकों से साझा किया था।
newstrack.com के उसी वीडियो को शेयर करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता और योगी मंत्रिमंडल में सदस्य जितिन प्रसाद ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'सपा को संकेत दे दिया भगवान परशुराम जी ने, वह उनकी नैया पार लगाने वाले नहीं हैं।'
इसी तरह यूपी सरकार में कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने ट्वीट कर लिखा, 'सपा के लिए भारी अपशगुन। कुपित हुए भगवान परशुराम ।फ़रसा गिरा । अखिलेश यादव द्वारा विद्वेष पूर्ण भावना से भगवान परशुराम जी के मंदिर में लगाये गए फरसे का गिर जाना,समाजवादी पार्टी के लिए भारी अपशगुन साबित होगा।'
इस मूर्ति के सामने स्थापना के दिन ही एक विशाल फरसा लगाया गया था। बता दें, कि 'फरसा' भगवान परशुराम का शस्त्र है। इसे यहां पर ब्राह्मणों के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया था। लेकिन, यूपी में बदले मौसम के बीच आंधी में यह फरसा अपने लोकार्पण के हफ्ते भर के भीतर ही गिर गया, जिसे अब ठीक कराने का काम चल रहा है।