Teachers Day: कहीं इंटरनेट कनेक्टिविटी की झिकझिक तो कहीं मोबाइल कमी, जानें कोरोना महामारी में कैसे हुई बच्चों की पढ़ाई

Teachers Day: कोरोना वायरस महामारी के चलते सभी स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए थे लेकिन बहुत से ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने इस महामारी के दौरान भी बच्चों की शिक्षा बाधित नहीं होने दी।

Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-09-05 09:28 GMT

शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं (फोटो- न्यूज ट्रैक)

Teachers Day: आज का दिन हम बहुत ही गर्व के साथ मनाते हैं आज डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (Sarvepalli Radhakrishnan Birthday) है। जिसे शिक्षक दिवस (Happy Teacher's Day) के रुप में मनाया जाता है। शिक्षक का दर्ज़ा पिता से भी बढ़कर होता है क्योंकि पिता हमें सिर्फ जन्म देता हैं लेकिन शिक्षक हमें मोक्ष का मार्ग प्राप्त करवाता है।

कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के चलते सभी स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए थे लेकिन बहुत से ऐसे शिक्षक (Shikshak) हैं जिन्होंने इस महामारी के दौरान भी बच्चों की शिक्षा बाधित नहीं होने दी। किसी ने बच्चों के गांव पहुंचकर विद्या की अलख को जगाए रखा तो किसी ने ऑनलाइन माध्यम से जोड़कर बच्चों को शिक्षा दिया।

ऐसे ही कुछ शिक्षकों से न्यूज़ ट्रैक की टीम ने खास बातचीत की और जाना की महामारी के दौर में कैसे उन शिक्षकों ने शिक्षा की अलख को जगाए रखा। न्यूज़ ट्रैक की टीम राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकास खंड (Mohanlalganj Vikas Khand) के अंतर्गत आने वाले गौरा माध्यमिक विद्यालय (Gaura Secondary School) पहुंची जहां हमने शिक्षकों से खास बातचीत की।

शिक्षकों ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के आने के बाद उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक तरफ सभी स्कूल कॉलेज बंद थे तो दूसरी तरफ बच्चों की शिक्षा भी बाधित हो रही थी। वहीं यह भी साफ नहीं था कि कब दोबारा स्कूल खुलेंगे। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा (Online Class) की शुरुआत की गई, लेकिन उसमें सबसे बड़ी परेशानी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चों के सामने आई किसी के पास मोबाइल नहीं था तो कहीं गांव में इंटरनेट की कनेक्टिविटी नहीं थी।

शिक्षकों ने बताया कि ऐसे में उन्होंने गांव के ही पढ़े-लिखे बच्चे को चुना और उसके द्वारा अलग-अलग मोहल्लों में रहने वाले बच्चों को कोविड-19 गाइडलाइन के तहत इकट्ठा करके उस लड़के या व्यक्ति के जरिए ऑनलाइन लिंक बच्चों को प्राप्त करवाते थे। इसके अलावा मोहल्ला पाठशाला के जरिए भी गांव में अलग-अलग मोहल्लों में जाकर बच्चों को पढ़ाया जाता था।

शिक्षिकाओं ने बताया कि यह उनके लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम रहा है लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और बच्चों ने भी उनका पूरा साथ दिया और ऑनलाइन क्लासेस में बच्चों को बेहतर शिक्षा दी गई। शिक्षिकाओं का कहना है कि क्योंकि हमें ऑनलाइन पढ़ाई जाने की कभी कोई ट्रेनिंग नहीं मिली लेकिन हमने हर वह कोशिश किया जिससे बच्चों को आसानी से समझाया जा सके। हमने घर में ही ब्लैक बोर्ड पर समझाते हुए पढ़ाना शुरू किया और उसका वीडियो बनाकर बच्चों को भेजने लगे हमें वीडियो एडिटिंग या वीडियो बनाना भी सही से नहीं आता था लेकिन बच्चों की शिक्षा बाधित ना हो इसलिए हमने यह काम सीखा और धीरे-धीरे चीजें बेहतर होती गई।

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