UP Election 2022: प्रियंका सेट कर रही हैं यूपी में अपना एजेंडा, भाजपा को अपने मैदान में खेलने के लिए किया मजबूर
प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत महिला आरक्षण का चला दांव
UP Election 2022: महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव भले ही देश की संसद से पारित नहीं हो सका। भले ही सवाल उठते रहे कि पहले राजनीतिक दल इसे अपने भीतर लागू करें और टालमटोली जारी रही लेकिन मंगलवार को प्रियंका गांधी वाड्रा ने विधानसभा चुनाव (priyanka gandhi ka chunavi agenda) में 40 प्रतिशत आरक्षण (mahilaon ko 40 pratishat aarakshan) का जो राजनीतिक संधान किया है उसने एकाएक महिलाओं को राजनीति और सत्ता के केंद्र में ला दिया है। पंजाब, उत्तराखंड और यूपी में दलित राजनीति का एजेंडा सेट करने के साथ ही प्रियंका ने अब यूपी में महिला केंद्रित राजनीति का ऐसा एजेंडा पेश किया है जिसने यूपी के राजनीतिक दलों को सकते में डाल दिया है। किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक महिला नेतृत्व को तरजीह नहीं दी ऐसे में प्रियंका गांधी की ओर से तैयार किए गए इस रणक्षेत्र में अब कांग्रेस, सपा, बसपा और भाजपा सभी बराबर हो गए हैं।
विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 प्रतिशत आरक्षण का दांव चलकर प्रियंका गांधी वाड्रा (priyanka gandhi ka chunavi agenda) ने उत्तर प्रदेश ही नहीं प्रदेश की विधानसभा की तस्वीर भी बदलने की कवायद शुरू कर दी है। लगभग तीन दशक से देश की राजनीति में महिलाओं को मौका देने का सवाल उठता रहा है। संसद में संविधान संशोधन प्रस्ताव भी आया लेकिन राजनीतिक दलों की लड़ाई में कभी यह कानून नहीं बन सका। इसका परिणाम यह रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद केवल 40 महिलाओं को (mahilaon ko 40 pratishat aarakshan) ही विधायक बनने का मौका मिल पाया। इसमें भी कई महिलाएं ऐसी रहीं जिनका चुनाव कैरियर उनके पिता या पति के परिवार से जुड़ा रहा।
विधानसभा चुनाव के लिए प्रियंका तैयार कर रहीं अपना रणक्षेत्र
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका (priyanka gandhi Ki rananiti) नया रणक्षेत्र तैयार कर रही हैं। अब तक भाजपा व विपक्षी दलों की ओर से हिन्दू—मुस्लिम, कोरोना, किसान आंदोलन की जमीन पर लड़ाई लड़ी जा रही थी लेकिन प्रियंका गांधी ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का झाड़ू लगाने वाला बयान (cm yogi ka jhadu lagane wala bayan) आने के बाद यूपी में दलित को केंद्र में रखने की शुरुआत की। उन्होंने वाल्मीकि मंदिरों में झाड़ू लगाया और अपने दलित नेता पीएल पूनिया को यूपी इलेक्शन चुनाव समिति का चेयरमैन बना दिया। कांग्रेस इससे पहले पंजाब में दलित मुख्यमंत्री और उत्तराखंड में दलित मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर यशपाल आर्य को पेश कर चुकी है। दलित एजेंडा के बाद अब प्रियंका गांधी ने महिला के मोर्चे पर ऐसा दांव चला है जो सभी राजनीतिक दलों के लिए गुगली बन सकता है।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को जब चुनाव प्रत्याशी चयन में 40 प्रतिशत आरक्षण (mahilaon ko 40 pratishat aarakshan) का नारा दिया तो यह भी कहाकि वह महिलाओं के बीच गईं तो उनकी समस्याओं की जानकारी हुई। महिलाएं आगे बढ़ना चाहती हैं लेकिन उनके रास्ते रोक दिए गए हैं। जब तक सत्ता में भागीदारी नहीं मिलेगी तब तक महिला के विकास के रास्ते नहीं खुलेंगे। गैस सिलिंडर और मकान देने से महिला सशक्त नहीं होगी। उसी हर स्तर पर भागीदारी मिलनी चाहिए।
राजनीतिक दलों में महिला संगठन केवल सजावटी
उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में केंद्र शक्ति पुरुषों के हाथ में है। महिलाएं पार्टी में आनुषांगिक संगठन हैं। अकेली कांग्रेस ऐसी है जिसकी विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना हैं। अन्य सभी राजनीतिक दलों में मंत्री और विधायक बनने का अवसर भी महिलाओं को बड़ी मुश्किल से मिलता रहा है। विधानसभा के 403 सदस्यों में केवल 40 महिला विधायक हैं। जबकि प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 6.74 करोड़ है। जबकि कुल मतदाता 14 करोड़ 66 लाख हैं।
जाहिर जब प्रदेश के पौने सात करोड़ मतदाताओं को केंद्र में लाया जाएगा तो भाजपा व अन्य राजनीतिक दलों के जातीय और धार्मिक समीकरण भी पूरी तरह ध्वस्त हो सकते हैं। ऐसे में जब लड़ाई महिला मतदाताओं के मैदान में होगी तो सभी राजनीतिक दलों की ताकत कांग्रेस के आस—पास ही होगी। इस तरह प्रियंका ने ऐसा मोर्चा खोल दिया है जहां अचानक उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को बराबर हैसियत में ला दिया है।
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