Ram Mandir Kaise Banaa: नागर शैली में तैयार किया गया है राम मंदिर, यहां जानिए राम जन्मभूमि से जुड़े तथ्य
Ayodhya Ram Mandir Kaise Banaa: अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आज संपन्न हो गई है और 23 जनवरी से रामलाल भक्तों को दर्शन देंगे। चलिए आपको मंदिर से जुड़ी कुछ बाते बताते हैं।
Ayodhya Ram Mandir Kaise Banaa: अयोध्या के भव्य राम मंदिर की आज प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है और 22 जनवरी 2024 का दिन इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। 500 सालों के संघर्ष और तपस्या के बाद रामलाल अपनी जन्मभूमि में बने मंदिर में विराजित हो पाए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के इस उत्सव को देशभर में बहुत ही धूमधाम के साथ बनाया गया है। राम मंदिर को बहुत ही भव्यता के साथ वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए बनाया जा रहा है और यहां विराजित रामलला की मूर्ति भी कृष्ण शैली में तैयार की गई है और मंदिर की वास्तु कला नागर शैली की है। चलिए आज हम आपको राम मंदिर से जुड़े कुछ तथ्यों से रूबरू करवाते हैं। राम मंदिर जो कि अयोध्या में स्थित एक हिन्दू मंदिर के रूप में जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक स्थल है। चलिए इसके बारे में जानते हैं।
राम मंदिर से जुड़े तथ्य
राम मंदिर अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। राम मंदिर को हिन्दू समुदाय द्वारा महत्वपूर्ण स्थल माना जाता ह। राम मंदिर का निर्माण काल और स्थल विवादित है, और इससे जुड़े एक ऐतिहासिक और सामाजिक संबंधों के कारण ये हमेशा चर्चा में रहा है। लगभग 500 सालों का इतिहास इस मंदिर ने अपने अंदर समेटा हुआ है।
राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है जिसमें मिर्जापुर से लाए गए गुलाबी पत्थरों का उपयोग किया गया है। 71 एकड़ एरिया में बने इस मंदिर को बनाने में लगभग 1800 करोड़ खर्च हुए हैं। यह मंदिर 161 फीट ऊंचा और 250 फीट चौड़ा है।
मंदिर के पूरे एरिया की बात करें तो यह लगभग 2.67 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें 46 दरवाजे, पांच मंडप और 390 पिलर है।
यहां के भव्य गर्भ गृह में भगवान राम, माता सीता समेत हनुमान और लक्ष्मण की मूर्ति विराजित है और यहां चारों भाइयों की छोटी-छोटी मूर्ति भी रखी हुई है। यहां पर रंग मंडप और नृत्य मंडप भी बना हुआ है।
यहां जो भक्त दर्शन करने के लिए आएंगे उन्हें सिंह द्वार से एंट्री दी जाएगी और इसके बाद वह 32 सीढ़ियों के जरिए 16.11 फीट की ऊंचाई पर पहुंच कर मंदिर में पहुंचेंगे।
इस मंदिर में रामलला के अलावा महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मिकी, महर्षि अगस्त्य, महर्षि विश्वामित्र, माता शबरी, निषादराज तथा अन्य मंदिर भी बने हुए हैं।
गर्भ गृह के साथ पांच मंडप ग्राउंड फ्लोर पर बने हुए हैं। फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार है और सेकंड फ्लोर पर क्या होगा ये फिलहाल तय नहीं है।
यहां पर यात्रियों के लिए फैसिलिटी सेंटर भी बनाया गया है। जहां पर 25000 लोगों को लॉकर और मेडिकल फैसलिटी दी का सकेगी। यहां पर वॉशरूम, बाथ एरिया और वॉश बेसिन भी उपलब्ध है।
इस मंदिर को पर्यावरण का ध्यान रखते हुए बनाया गया है और यहां के 71% एरिया को पूरी तरह से ग्रीन रखा जाने वाला है।
यहां के 390 पिलर्स के साथ आने वाले श्रद्धालुओं को 16 से लेकर 28 मूर्तियां देखने को मिलेगी। यहां की दीवारों पौराणिक कथाओं से सजी हुई दिखाई देंगी।
मंदिर में ऐसी व्यवस्था की गई है कि रामनवमी के अवसर पर 12:00 बजे मिरर और लेंस को सहायता से राम लला के मस्तक पर सूरज की किरणें नजर आएगी। ये ऐसा सिस्टम है जिसमें ना इलेक्ट्रिसिटी लगेगी ना ही बैटरी का उपयोग होगा।