Somnath Temple: 73 साल पहले, सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग की हुई थी स्थापना, नाराज़ नेहरू नहीं गए थे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में
Ram Mandir :22 जनवरी को अयोध्या में भव्य रूप से राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। हालांकि, इस प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में विपक्ष निरंतर आपत्ति व्यक्त कर रहा है।
Somnath Mandir : 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य रूप से राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह ऐतिहासिक घटना देशभर के लाखों राम भक्तों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित है। हालांकि, इस प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में विपक्ष निरंतर आपत्ति व्यक्त कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि मंदिर अभी पूरा नहीं बना है और निर्माण कार्य अभी भी जारी है। इस संदर्भ में, विपक्ष का तर्क है कि भाजपा जल्दबाजी में एक अधूरे मंदिर का उद्घाटन कर रही है।
विरोधियों ने उठाये प्रश्न
विपक्ष के इस प्रतिरोध को देखते हुए, एक स्वाभाविक सवाल उठता है कि क्या राम मंदिर का पूरा निर्माण होने से पहले ही प्राण प्रतिष्ठा करना उचित है? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, हम सोमनाथ मंदिर का उदाहरण ले सकते हैं। सोमनाथ मंदिर, जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, राम मंदिर के समान ही ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में है। इस मंदिर को भी कई बार विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट किया है, और 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण हो सका।
सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण
पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 11 मई 1951 को सोमनाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया था। मगर उसी समय उन्हें रोकने के लिए नेहरू ने कैबिनेट की औपचारिक बैठक बुला ली थी। उनसे यह कार्य करने के लिए मना किया गया यहां तक कहा कि सविंधान उन्हें कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए मज़बूर करता है। इन सबके बावजूद राजेंद्र प्रसाद जी अपनी बात पर अड़े रहे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी, मंदिर का पूर्ण निर्माण कई सालों तक चलता रहा और अंत में 1965 में मंदिर पूर्णरूप से बनकर तैयार हुआ। उस समय, 13 मई 1965 को मंदिर में कलश प्रतिष्ठा की गई और कौशेय ध्वज चढ़ाया गया।
जब उद्घाटन में नहीं पहुँचे नेहरू
बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस को 'राम विरोधी' बताते हुए एक तंज दिया और उन्होंने आरोप लगाया कि देश के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण यानी उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। बीजेपी का दावा है कि नेहरू ने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को रोकने की कोशिश की, लेकिन नेहरू को उनकी अनदेखी का सामना करना पड़ा और राजेंद्र प्रसाद जी ने सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने भी कसा तंज
2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सौराष्ट्र तीर्थ यात्रा पर आपत्ति जताई थीं। पीएम मोदी ने कहा था, 'जब सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया, तो नेहरू नाखुश थे। जब राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में आने वाले थे, तब आपके परदादा नेहरू ने उन्हें एक पत्र लिखा था। पीएम मोदी ने कहा कि यह भूमि बहादुर लोगों की है, और उन लोगों को माफ नहीं करेगी, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर के खिलाफ कार्रवाई की।