Ram Mandir Ayodhya: रवि वर्मा की कलम से जाने कौन थे श्रीराम, तस्वीरों के माध्यम से समझाया प्रभु राम का जीवन

Ram Mandir Ayodhya: 22 जनवरी को श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा के दिन जहाँ न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी इसकी धूम है। वहीँ आज हम आपको श्री राम के जीवन को अपनी कलम से रूप देने वाले राजा रवि वर्मा के बारे में आइये जान लेते हैं।

Update:2024-01-21 10:00 IST

Ram Mandir Ayodhya (Image Credit-Social Media)

Ram Mandir Ayodhya: 22 जनवरी को श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा के दिन पूरा देश जहाँ भगवान् राम की अयोध्या वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं वहीँ आपको बता दें कि राम जी के जीवन को राजा रवि वर्मा ने बखूबी बयां किया है आइये तस्वीरों के माध्यम से इसे समझते हैं।

राजा रवि वर्मा की कलम से भगवान् राम का रूप

राजा रवि वर्मा एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने हिन्दुओं के देवी देवताओं को तस्वीरों के माध्यम से सभी तक पहुंचाया। उन्होंने भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के के जीवन को सबतक पहुंचने में अहम् भूमिका निभाई। उनकी कला में ऐसा जादू था जिसने भगवान् राम के जीवन को जन जन तक बखूबी पहुंचाया। उन्होंने अगर ऐसा न किया होता तो हमारे देवी देवताओं को जिस रूप में हम पूजते हैं शायद वो कुछ अलग होता या कैसा होता ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है।

राम दरबार  (Image Credit-Social Media)

उनके नाम में लगा राजा शब्द एक उपाधि के तौर पर उन्हें तत्कालीन वायसराय ने उनकी प्रतिभा को सम्मान देते हुए दिया था। उनमे काफी प्रतिभा थी यही वजह है कि जिस ज़माने में टीवी और इंटरनेट नहीं था उस समय वो घर घर में मशहूर थे। लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा दौर भी आया जब उन्हें बदनामी और विवादों का भी सामना करना पड़ा। जहाँ उन्होंने अपने जीवन में लोकप्रियता का जयघोष देखा वहीँ अपमान का समुद्र भी उनके सामने था। लेकिन फिर भी रवि वर्मा ने इस सबसे परे अपने काम और कल्पनाशीलता को अपने ब्रश के माध्यम से कैनवास पर उतरना नहीं छोड़ा। चित्राकला में उनके प्रयास आजतक लोगों को याद है और उन्हें एक सर्वश्रेष्ठ कलाकार होने का दर्जा दिलाते हैं।

सीता स्वयंवर में धनुष यज्ञ (Image Credit-Social Media)

आज भले ही हम सभी के घरों में देवी देवताओं के कई चित्र लगे हैं लेकिन आज से लगभग सवा सौ साल पहले ये इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं थी। देवी देवताओं के दर्शन के लिए लोगों को मंदिर जाना पड़ता था। वहां जाने की सभी को इजाज़त नहीं थी। साथ ही साथ वहां जात पात का भी भेद हुआ करता था। आपको बता दें कि आज आपको तस्वीरों में जो देवी देवता नज़र आते हैं वो राजा रवि वर्मा की कल्पनाशीलता की ही दें है। 

भरत मिलाप (Image Credit-Social Media)

राजा रवि वर्मा का जन्म केरल के किलिमानूर में हुआ था उनके चाचा भी एक कुशल चित्रकार थे। कहा जाता है कि उनके चाचा ही उनकी इस कला के प्रेरणा स्रोत थे। रवि वर्मा जब मात्र 14 साल के थे तभी उनके चाचा ने उनके इस हुनर को पहचान लिया था। इसके बाद उन्हें उनके चाचा त्रावणकोर के राजमहल पेटिंग सिखाने ले गए। जहाँ उन्होंने वाटर पेंटिंग के महारथी रामास्वामी नायडू से चित्रकारी सीखी। जिसके बाद रवि वर्मा वाटर पेंटिंग में प्रवीण हो गए।

समुद्र का अहं तोड़ा (Image Credit-Social Media)

लेकिन राजा रवि वर्मा को प्रसिद्धि मिली थी अपने तैल चित्रों या ऑयल पेंटिंग्स की वजह से। भगवान् राम की और उनके जीवन से जुडी हर घटना को उन्होंने बेहद ख़ूबसूरती से अपने पेंट ब्रश के माध्यम से सभी के सामने रखा। जिसे आज भी लोग याद करते हैं। साथ ही भगवान् के इन्ही रूप को सभी हिन्दुओं द्वारा पूजा जाता है।

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