Ayodhya Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा से पहले होगा श्रीरामचंद्र का महाभिषेक, केसर और गन्ने के रस का किया जाएगा इस्तेमाल

Ayodhya Ram Mandir: राम भगवान की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 21 जनवरी को यह महाभिषेक किया जाएगा। इस महाभिषेक में दूध और दही का भी इस्तेमाल होगा।

Report :  Abhishek Mishra
Update: 2024-01-17 07:05 GMT

Ayodhya Ram Mandir  (photo: social media )

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में लंबे अंतराल के बाद 22 जनवरी को होने जा रही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में स्थापना से पहले मूर्ति का महाभिषेक स्नान किया जाएगा। भगवान राम की मूर्ति का विभिन्न प्रकार के फलों, केसर और गन्ने के रस से महाभिषेक स्नान होगा।

राम भगवान की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 21 जनवरी को यह महाभिषेक किया जाएगा। इस महाभिषेक में दूध और दही का भी इस्तेमाल होगा। महाभिषेक स्नान के बाद भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

125 कलशों से होगा दिव्य महाभिषेक

भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में हवन-पूजन के लिए शीर्ष 11 आचार्यों में चुने गए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राच्य संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. श्यामलेश तिवारी के अनुसार रामचंद्र जी को केसर के जल, गन्ने के रस, दूध-दही, मधु व विभिन्न प्रकार के फलों के रस से स्नान कराया जाएगा। इसके लिए 16 जनवरी से प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू होंगे। श्रीराम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत 21 जनवरी को रामलला की मूर्ति का महाभिषेक स्नान होगा। श्रीरामचंद्र को 125 कलशों से दिव्य स्नान कराया जाएगा।

अन्नाधिवास, जलाधिवास में रखे जाएंगे श्री रामचंद्र

डॉ. श्यामलेश तिवारी के मुताबिक श्री रामचंद्र की मूर्ति को महाभिषेक स्नान के बाद अन्नाधिवास, जलाधिवास, फलाधिवास और शैय्याधिवास में एक-एक घंटे के लिए रखा जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद गर्भ गृह में कर्मकांड कर प्राण-प्रतिष्ठा शुरू की जाएगी।

18 जनवरी से शुरु होगी प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या में 17 जनवरी को भगवान रामचंद्र की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। मूर्ति को मंत्रोचारण व गाजे-बाजे के साथ पूरे शहर में भ्रमण कराया जाएगा। इसके बाद यज्ञवेदी के पास वापस ले जाया जाएगा। 18 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा शुरु होगी। सभी आचार्य यज्ञ मंडल के बाहर पंचांग पूजन के बाद ही यज्ञ मंडप में प्रवेश करेंगे। 19 जनवरी को अरणी और मंथा लकड़ी से पवित्र अग्नि स्थापित की जाएगी। 22 जनवरी को मृगशिरा नक्षत्र में प्राण-प्रतिष्ठा की प्रक्रिया शुरु होगी। गर्भ गृह में भगवान को निश्चित स्थान पर स्थापित किया जाएगा। हवन कुंड का विसर्जन का विसर्जन 23 जनवरी को किया जाएगा।

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