Ayodhya News: श्रीराम विवाह का पंजीकरण शुरू, 26 नवंबर को अयोध्या से जाएगी बरात
Ayodhya News: बरात के स्वागत में पलक पांवड़े बिछा कर उत्सुक समाज के आतिथ्य का अहसास सीतामढ़ी, पुनौरा धाम, (माता सीता का जन्म स्थान) से ही शुरू हो जाता है|
Aodhya News: श्रीराम विवाह में शामिल होने वाले साधुओं और श्रद्धालुओं का पंजीकरण किया जा रहा है। कारसेवकपुरम परिसर से 26 नवंबर को बरात प्रस्थान करेगी। क्रमशः बक्सर, पटना, कांटी, सीतामढ़ी पुनौरा धाम, आदि स्थानों पर विश्राम लेते हुए 3 दिसंबर को बरात जनकपुर पहुंचेगी। 4 दिसंबर को समधी मिलन, 5 दिसंबर को मटकोर और 6 दिसंबर को राम जानकी मंदिर 12 छत बीघा मैदान में विवाह समारोह का आयोजन होगा।
विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चम्पत राय के संरक्षण में होने वाले आयोजन में प्रमुख रूप से नरेंद्र बिंदल, रघुनाथ शाह, राम प्रकाश मिश्र, रमेश मिश्र व राजकिशोर सिंह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं|
लोकगीतों के माधुर्य ने किया सबको अभिभूत
लगभग ढाई दशक पूर्व शुरू की गईं अयोध्या धाम से जनकपुर तक सीताराम विवाह महोत्सव बरात यात्रा की परिपाटी ने अधिकांश नेपाली समाज में वैचारिक परिवर्तन की अलख जगाई|बरात के स्वागत में पलक पांवड़े बिछा कर उत्सुक समाज के आतिथ्य का अहसास सीतामढ़ी, पुनौरा धाम, (माता सीता का जन्म स्थान) से ही शुरू हो जाता है| जनकपुर में नगर भ्रमण के दौरान बरातियों पर मार्ग में जितनी पुष्प वर्षा होती है, उससे कहीं अधिक वे पूर्वांचल के वैवाहिक गारी लोकगीतों से सराबोर होते है। गारी गीतों के बीच रिश्तों की मधुर डोर और अधिक मजबूत होती है। गीतों की इस परम्परा को कोई बुरा नहीं मानता और एक अलग तरह की आत्मीयता व अनोखे आनंद की अनुभूति अनुभव कराता है।
दशरथ स्वरूप में बरात में मौजूद वरिष्ठों को समधी रिश्ते की अनुभूति जनकपुर की महिलाएं जिस तरह कराती है उसका केवल अनुभव ही किया जा सकता है। महिलाओं के गीतों के मधुर स्वर ने कुछ ऐसा असर छोड़ा कि प्रेम रस के इस परम्परागत फाग के रस में सभी लोग सराबोर होकर अपनी सुध बुध खो देते हैं।
नेपाल के मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह का मानना है कि दोनों देशों के बीच बेजोड़ सांस्कृतिक तालमेल है| यह परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है, जिसे यह आयोजन और मजबूती दे रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों में मजबूती आई है।माना जाता है कि सीता के बिना राम अधूरे हैं, इसलिए राम लला के दर्शन के बाद श्रद्धालु जनकपुर में जानकी माता के दर्शन करेंगे तब उनकी धार्मिक यात्रा पूर्ण होगी|(ऐसी मान्यता केदारनाथ और पशुपति नाथ के साथ है भी) इससे पर्यटन उद्योग विकसित होगा।पर्यटन विकास से आर्थिक स्थिति स्वयं मजबूत होगी। जिससे गलत तत्व कमजोर पड़ते हैं। शिक्षा का विकास होता है और नकारात्मक क्रियाकलापो से लोग दूरी बनाते हैं।