आजम के बाद बेटे अब्दुल्ला की भी गई विधायकी, पहली बार सदन में नहीं होगा परिवार का कोई सदस्य

UP Politics: आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म की विधायकी ख़त्म हो चुकी है। जिसके बाद आगामी यूपी विधानसभा के बजट सत्र में पिता-पुत्र दिखाई नहीं देंगे।

Written By :  aman
Update: 2023-02-15 10:48 GMT

आजम खान बेटे अब्दुल्ला आज़म के साथ (Social Media)

UP Politics: समाजवादी पार्टी के कभी कद्दावर नेता रहे आजम खान (Azam Khan) और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। 15 साल पुराने एक मामले में आजम खान और उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी पाते हुए 2 साल की सजा का ऐलान किया। जिसके बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी भी चली गई। गौरतलब है इससे पहले रामपुर से विधायक आज़म खान की विधानसभा सदस्य्ता पिछले साल अक्टूबर में सजा सुनाए जाने के बाद पहले ही ख़त्म हो चुकी है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पिता-पुत्र की सदस्य्ता एक ही सत्र में समाप्त हुई है।


परिवार से सदन में अब कोई नहीं  

समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरा और पूर्व मंत्री आज़म खान की राजनीतिक विरासत खतरे में पड़ गई है। भड़काऊ भाषण (Hate Speech) मामले में आजम खान को 3 साल की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्य्ता चली गई थी। एक समय था जब यूपी की सियासत में आजम की तूती बोलती थी। रामपुर की राजनीति के वो 'बेताज बादशाह' थे। आज़म खान ने विधानसभा से लेकर संसद तक का सफर तय किया। राज्य में मंत्री भी रहे। इतना ही नहीं आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा (Tanjin Fatima) भी पार्लियामेंट पहुंची। बेटा अब्दुल्ला आज़म स्वार सीट से विधानसभा पहुंचा। मगर, अब आज़म और उनके परिवार की सियासत पर सवाल उठने लगे हैं।  

अब्दुल्ला की लगातार दूसरी बार गई विधायकी

इस तरह आजम खान परिवार का अब कोई भी सदस्य किसी सदन (विधानसभा या लोकसभा) में नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि, एक समय आज़म परिवार से तीन लोग विधायक-सांसद रह चुके थे। अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) ऐसे विधायक हैं, जिन्हें दूसरी बार अपनी सदस्यता गंवानी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान अर्थात 17वीं विधानसभा में भी अब्दुल्ला की सदस्यता गई थी। अब 18वीं विधानसभा में भी उनकी सदस्यता 2 साल सजा मिलने के कारण खत्म हो चुकी है। अब्दुल्ला की सदस्यता पहली बार 2019 में नामांकन पत्र में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र (Fake Birth Certificate Case) लगाने के आरोप में हाई कोर्ट के आदेश पर रद्द की गई थी। तब उनका चुनाव शून्य घोषित कर दिया गया था। 

बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने प्रमुख सचिव विधानसभा को पत्र लिखकर स्वार सीट खाली घोषित करने की मांग की थी। आकाश सक्सेना ने कहा कि देश में ये पहली बार ऐसा होगा जब एक ही विधायक की दो बार विधायक बनने के बाद दोनों बार कोर्ट ने ही उनकी विधायकी को छीना हो। 

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