Bahraich News : उत्तर प्रदेश पर्व - 'हमारी संस्कृति, हमारी पहचान' की थीम पर मनाया जाएगा संस्कृति उत्सव

Bahraich News : संस्कृति उत्सव 2024-25 के अन्तर्गत आयोजित प्रतियोगिता में प्रदेश के निवासी प्रतिभाग कर सकेंगे, प्रतिभागी का आधार मानक होगा।

Update:2024-12-31 21:37 IST

Bahraich News : उत्तर प्रदेश पर्व - 'हमारी संस्कृति, हमारी पहचान' के अन्तर्गत प्रदेश में संस्कृति उत्सव 2024-25 की शुरूआत की जा रही है। संस्कृति उत्सव 02 से 05 जनवरी तक तहसील मुख्यालय पर गांव, पंचायत, ब्लाक एवं तहसील स्तर के कलाकारों, 07 व 08 जनवरी को जनपद मुख्यालय पर तहसील स्तर के चयनित कलाकारों, 10 से 12 जनवरी तक मण्डल मुख्यालय पर जनपद स्तर के चयनित कलाकारों, 18 से 20 जनवरी तक प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मण्डल स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता आयोजित होगी तथा उत्तर प्रदेश पर्व के अवसर पर 24 से 26 जनवरी तक लखनऊ में आयोजित समारोह में अन्तिम रूप से चयनित सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुतियां होगी तथा सम्मान एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम सम्पन्न होगा।

संस्कृति उत्सव अन्तर्गत गांव, पंचायत, ब्लाक एवं तहसील स्तर पर सहयोगी लेखपाल, ग्राम पंचायत अधिकारी, बीडीओ तथा प्रभारी तहसीलदार होंगे। तहसील स्तर के चयनित कलाकारों प्रतियोगिता में सहयोगी नायब तहसीलदार, बीडीओ, ग्राम पंचायत अधिकारी तथा प्रभारी उप जिलाधिकारी होंगे। जनपद स्तर के चयनित कलाकारों प्रतियोगिता में सहयोगी जिला पंचायत राज अधिकारी, सचिव, जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, जिला सूचना अधिकारी, संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी व प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी होंगे। मण्डल स्तर के चयनित कलाकारों की प्रतियोगिता में सहयोगी जिला पंचायत राज अधिकारी, सचिव जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, जिला सूचना अधिकारी व संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी तथा प्रभारी अपर आयुक्त प्रशासन होंगे।

ये कार्यक्रम होंगे

विभिन्न स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में गायन के तहत शास्त्रीय गायन, ठुमरी, दादरा, चैती, चैता, झूला, होरी व टप्पा, लोाक गायन के तहत कजरी, चैती, झूला, बिरहा, आल्हा, निर्गुण, लोकगीत व कव्वाली तथा सुगमगीत के तहत गीत गज़ल भलन, देशभक्ति गीत एवं अन्य गायन को शामिल किया गया है। वादन अन्तर्गत स्वर वाद्य सुषिर वाद्य बांसुरी, शहनाई, हारमोनियम तन्तु वाद्य सितार, वायलिन, गिटार, सांरगी, वीणा वादन आदि ताल वाद्य तबला, पखावज, दक्षिणी भारतीय मुदंगम व घटम आदि तथा जनजाति वाद्य यंत्र/लोक वाद्य के तहत डफला, नगाड़ा, दुक्कड़, मादल, शहनाई, ढोल-ताशा, ढोलक, नाल चिमटा, हुड़का व सिंघा आदि को शामिल किया गया है। इसी तरह नृत्य अन्तर्गत कथक, भारत नाट्यम, ओडिसी, मोहिनी अट्टम तथा अन्य शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य के तहत धोबिया, अहिरदा, करमा, शैला, डोमकच, आखेट नृत्य तथा अन्य जातीय नृत्य आदि को शामिल किया गया है। जबकि लोक नाट्य अन्तर्गत नौटंकी, रामलीला, रासलीला, स्वांग, भगत, बहुरूपिया, नुक्कड़ नाटक आदि विधाओं को सम्मिलित किया गया है।

पोर्टल पर करना होगा अनिवार्य

संस्कृति उत्सव 2024-25 के अन्तर्गत आयोजित प्रतियोगिता में प्रदेश के निवासी प्रतिभाग कर सकेंगे, प्रतिभागी का आधार मानक होगा। कोई भी प्रतिभागी अपने जिले में आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर सकेंगे। प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने हेतु संस्कृति विभाग द्वारा निर्धारित पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। एक प्रतिभागी केवल एक ही विधा में प्रतिभाग कर सकेगा। प्रतिभागी कलाकार दलनायक के रूप में अपने सभी सहयोगी कलाकारों का सम्पूर्ण विवरण यथा-नाम, पता, आधार कार्ड, मोबाईल नम्बर, पासपोर्ट साइज की दो फोटो अलग से प्रस्तुत करेंगे। सभी कलाकारों को संगत कलाकार व वाद्य यंत्रों की व्यवस्था स्वयं करनी होगी। देशभक्ति गीत, लोकगीत, लोकनृत्य, जनजातीय नृत्य एवं लोकवाद्य में केवल समूह प्रस्तुतियां होंगी, अन्य सभी विधाओं में सिर्फ एकल प्रस्तुतियां होंगी। सभी प्रतिभागी कलाकार एकल प्रस्तुति के अतिरिक्त सिर्फ एक समूह प्रस्तुति में भाग ले सकते हैं। प्रतिभागी कलाकारों के साथ संगत कर रहे संगतकार एक से अधिक दल के साथ संगत कर सकते हैं।

कलाकारों को मिलेगा मंच

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश शास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत तथा लोक नाट्य की विभिन्न विधाओं से अत्यन्त समृद्ध है जो समय-समय पर राजकीय प्रश्रय प्राप्त कर सफलता के शीर्ष पर स्थापित हुई। इन परम्पराओं से जुड़े हुये कलाकार अधिकांशतया परम्परागत संगीत घरानों से शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन इसी के साथ ग्रामीण अंचलों में प्रचलित लोक संगीत की परम्परा भी अत्यन्त समृद्ध है, जिसके संरक्षण, संवर्धन एवं इन विधाओं से जुड़े हुये कलाकारों को मंच प्रदान कर उन्हें प्रोत्साहित करने की अत्यन्त आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में ऐसे कला साधकों की बहुतायत है, लेकिन पहचान के अभाव में वह अधिकांशतया नेपथ्य में हैं। यह महत्त्वपूर्ण है कि उनकी कला प्रतिभा को सामने लाया जाए और उनकी कला सामर्थ्य में विकास के उपक्रम जुटाए जाएं, जिससे कि वह कला एवं संगीत की मुख्य धारा से जुड़कर प्रदेश एवं देश का मान बढ़ा सकें।

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