Bahraich News: आखिर कौन था सैयद सालार मसूद गाजी और क्या इनकी याद में इस बार मनाया जाएगा जेठ मेला

Bahraich News: सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ था। वह विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा होने के साथ उसका सेनापति भी था।;

Update:2025-03-19 15:12 IST

सैयद सालार मसूद गाजी   (photo:  social media )

Bahraich News: बहराइच जिले में मनाया जाने वाला जेठ मेला अब चर्चा का विषय बना हुआ है चुंकि यह मेला विदेशी आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी की याद में मनाया जाता है। हिन्दू संगठनों ने इस बार इस मेले का आयोजन न किए जाने के लिए शासन को पत्र भी लिखा है। तो आइए जानते हैं पूरा मामला इस मेले का।

जानिए सैय्यद सालार मसूद गाजी के बारे में

जानकारों के मुताबिक, सैयद सालार मसूद गाजी का जन्म 1014 ईस्वी में अजमेर में हुआ था। वह विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी का भांजा होने के साथ उसका सेनापति भी था। तलवार की धार पर अपनी विस्तारवादी सोच के साथ सालार मसूद गाजी 1030-31 के करीब अवध के इलाकों में सतरिख (बाराबंकी ) होते हुए बहराइच, श्रावस्ती पहुंचा था।


सैयद सालार मसूद गाजी का मकबरा

उस दौरान इस क्षेत्र में श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव का शासन था। 1034 ईस्वी में बहराइच जिला मुख्यालय के पास महराजा सुहेलदेव ने साथी राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी को युद्ध में पराजित कर मार डाला था। जिसे बहराइच में अब के दरगाह शरीफ में दफना दिया गया था। लोगों को ऐसी भी मान्यता है कि जिस स्थान पर सालार मसूद को दफनाया गया वहां बालार्क ऋषि का आश्रम था और उसी आश्रम के समीप एक कुंड था जिसे सूर्यकुण्ड कहा जाता था। ये हिंदुओ का पूजा स्थल था।

लेकिन सालार मसूद गाजी की मृत्यु के 200 वर्षों बाद 1250 में दिल्ली के तत्कालीन मुगल शासक नसीरुद्दीन महमूद ने सालार की कब्र पर एक मकबरा बनवा दिया और उसे संत के तौर पर फेमस कर दिया। बाद में एक अन्य मुगल शासक फिरोज़ शाह तुगलक ने इसी मकबरे के बगल कई गुंबदों का निर्माण कराया जो आगे चलकर सालार मसूद गाजी की दरगाह के तौर पर विख्यात हुआ।

पिछले सैकड़ों वर्षों से सालार मसूद गाजी की दरगाह पर मुस्लिमों के साथ बड़ी तादाद में हिंदू श्रद्धालु भी आते हैं। दरगाह पर हर वर्ष मुख्य रूप से चार उर्स (धार्मिक जलसे) के आयोजन होते हैं, जिसे उत्तर प्रदेश की वक्फ नंबर 19 की इंतजामिया कमेटी बड़े जोश के साथ मनाती है. लेकिन यहां जेठ (मई जून) के महीने में पूरे एक माह चलने वाला 'जेठ मेले' का आयोजन होता है, जिसमें शुरुआती रविवार के दिन भारत के पूर्वांचल क्षेत्र से लाखों की तादाद में हिंदू-मुस्लिम जायरीन मकबरे पर चादर पोशी करने पहुंचते हैं।

बहराइच की चित्तौरा झील पर हिंदू मनाते हैं विजयोत्सव

वहीं, दूसरी ओर बहराइच में ही उस चित्तौरा झील पर जहां महाराजा सुहेलदेव व सालार मसूद गाजी के बीच युद्ध हुआ था उस स्थान पर सुहेलदेव सेवा समिति से जुड़े लोग 'जेठ मेले' के शुरुआती दिन 'विजयोत्सव दिवस' मनाते हैं। क्योंकि, सुहेलदेव ने गाजी को युद्ध में परास्त किया था।

मालूम हो कि सालार मसूद गाजी को युद्ध में हराने वाले महाराजा सुहेलदेव के नाम पर बहराइच के चित्तौरा झील के समीप योगी सरकार ने एक भव्य स्मारक बनवाया है. इसमें महाराजा सुहेलदेव की एक विशालकाय प्रतिमा भी लगाई गई है. करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हुए इस आकर्षक स्मारक का 16 मई 2019 को पीएम मोदी ने वर्चुअल शिलान्यास किया था. इसके साथ योगी सरकार ने बहराइच के मेडिकल कालेज का नामकरण भी महाराजा सुहेलदेव के नाम पर किया था।

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