हर राजनीतिक दल की सरकार में जेलों में होती रही हत्याएं

Banda Jail : हाल ही में बांदा जेल के अंदर जिस तरह से गोलियां चली और गैंगवार के चलते तीन अपराधियों की जान चली गयी।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Shraddha
Update: 2021-05-23 08:28 GMT

बांदा जेल (फाइल फोटो सौ. से सोशल मीडिया) 

Banda Jail : हाल ही में बांदा जेल (Banda Jail) के अंदर जिस तरह से गोलियां चली और गैंगवार के चलते तीन अपराधियों की जान चली गयी। इससे एक बार फिर इस बात का सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं कि आखिर जेल के अंदर होने वाली हत्याओं का सिलसिला कब जाकर रुकेगा। साथ ही इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि यूपी की जेलें आखिर कितनी सुरक्षित है।

हाल ही में बांदा जेल की तरह अपराधियों के दो ग्रुपो में हुई गोली बारी की घटना कोई नई घटना नहीं है। यूं तो जेलों के अंदर मारपीट की घटनाएं आम हैं लेकिन बांदा जेल में मुख्तार के करीबी होने को लेकर जिस तरह से खतरनाक अपराधी अंशू दीक्षित ने अपने दो विरोधियों मेराजुद्दीन और शातिर गैंगेस्टर मुस्तकीम काला को जेल के अंदर ही मार गिराया उससे जेल प्रशासन का सकते में आना लाजिमी था। आनन फानन में जेल पुलिस ने भी जब देखा कि अंशू दीक्षित की आंखों में खून सवार है तो उसने भी इस खतरनाक अपराधी को वहीं ढेर कर दिया। पुलिस का दावा है कि मेराजुद्दीन और मुस्तकीम पर अंशुदीक्षित ने हमला किया था।


इससे पहले बागपत जेल में भी इसी तरह की एक और घटना हुई थी। तीन साल पहले वर्ष 2018 में 9 जुलाई को बागपत की जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या हो गयी थी। जिसमें उसी जेल में बंद सुनील राठी को इस योजना का सूत्रधार बताया गया था।

इसी तरह मायावती सरकार के दौरान 22 जून 2011 को लखनऊ की जेल में एनआरएचएम घोटाले के आरोपी डा.वाईएस सचान की हत्या कर दी गयी थी। इसी तरह प्रदेश में जब पिछली बार अखिलेश यादव की सरकार थी तो उस समय वाराणसी जेल के अंदर हुई मुन्ना बजरंगी के शार्पसूटर अनुराग त्रिपाठी की हत्या हुई थी। इसी तरह वर्ष 2020 में दो अप्रैल को इटावा जेल में हुए गैंगवार में मोनू पहाड़ी, और इसी साल दो मई को बागपत जेल में ऋषिपाल की हत्या कर दी गयी थी।

इन जिलों में हुई घटनाएं वर्ष 2016 में मुजफ्फरनगर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे चंद्रहास की उसके साथी कैदियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा साल 2010 में उरई जिला जेल में कैदियों में हुए खूनी संघर्ष में प्रिस समेत दो लोगों की मौत हो गयी थी। इसी तरह वर्ष 2016 में सहारनपुर जेल में सुक्खा कैदी की गला रेतकर, और वर्ष 2004 मुलायम सरकार के दौरान 13 मार्च को वाराणसी में पार्षद वंशी यादव की हत्या कर दी गयी थी।

यहां यह बताना जरूरी है कि प्रदेश के मेरठ, गाजीपुर, मथुरा, वाराणसी, जौनपुर, फतेहगढ़, कन्नौज, प्रतापगढ़, बलिया, हमीरपुर, गोरखपुर, सुल्तानपुर, लखनऊ, बहराइच, उन्नाव, सुल्तानपुर, हरदोई, कानपुर देहात, मऊ, मुजफ्फरनगर, नैनी, गोण्डा एवं एटा के कारागारों में हत्या, जानलेवा हमला, खुनी संघर्ष, कैदियों व बंदी रक्षको में मारपीट जैसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं।

यूपी की जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। इसमें दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की जाती है। धन के लोभ में जेल कर्मचारियों की तरफ से फिर से अपराधियों को हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है जिससे इन अपराधियों को बढावा मिलता और परिणाम जेल के अंदर होने वाली हत्याओं से होता है।

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