Banda News: यहां लगता है आशिकों का मेला, हजारों की संख्या में श्रद्धालू आकर चढ़ाते है प्रसाद, जानें ऐसा क्यों ?
Banda News Today: पुराने लोगों का मानना है की इस मंदिर को "प्यार का मंदिर" भी कहा जाता है । साथ ही लोग इस किले पर आकर आजादी की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों की कब्रगाह में पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते है ।
Banda News: यूपी के बाँदा की केन नदी के पास भूरागढ़ का किला है। सदीओ पहले यहाँ एक राजा अपनी पुत्री के साथ रहता था वही नाचने गाने वाले नट से राजा की बेटी का प्रेम-प्रसंग हो गया था। सदीओ पहले राजा नटबलि की धोखे से मौत को याद कर युवक-युवतियाँ किले के मंदिर में परसाद चढ़ाकर मन्नत मानते है । पुराने लोगों का मानना है की इस मंदिर को "प्यार का मंदिर" भी कहा जाता है । साथ ही लोग इस किले पर आकर आजादी की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों की कब्रगाह में पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते है ।
हर साल बाँदा के इस किले में नट-बलि का मेला भी लगता है, जिसमे दूर-२ से हजारों की संख्या में यहां आते है । आइये अब हम आपको बताते है की किस तरह एक राजा ने धोखे से नट को धोखे से मारकर अपनी पुत्री के प्यार को छीन लिया था ।
ये है पूरी कहानी
बांदा की केन नदी स्थित सदीओ पुराना भूरा गढ़ का किला है । ये किला 650 साल पुरानी एक प्रेम कथा व बलिदानों की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है । आज से 650 साल पहले यहाँ एक राजा रहता था, उसकी एक पुत्री थी, उसका प्रेम एक नाचने गाने वाले नटबलि से हो गया था । नटबलि ब्रह्मचारी और तपस्वी नट था, जब इस प्रेम-प्रसंग की चर्चा राजा को चली, तो राजा ने मंत्रियो से सलाह मसर्वा कर नट-बलि से शर्त रखी की अगर तुम केन नदी से किले तक का सफ़र एक धागे से पैर रखकर तय कर लोगे, तो मै तुम्हारी और रानी की शादी कर दूँगा। नटबलि जानता था की एक धागे में पैर रखकर नदी से किले का सफ़र नामुमकिन है, पर प्यार की खातिर नट-बलि ने ये शर्त मान ली । शर्त पूरी करने का दिन आया नट-बलि ने अपनी तपस्या और विद्या से एक धागे को रेशम में परिवर्तित करके केन नदी से किले तक भांध दिया व सफ़र पूरा करने लगा। नट बलि ने आधे सी भी जादा सफ़र रेशम के घागे में पूरा कर लिया, तो मंत्रियो ने राजा से कहा की राजा जी ये नट बलि तो सफ़र पूरा करने वाला है, अब इस नचिये से आपको अपनी पुत्री शादी करनी पड़ जायेगी । राजा ने तलवार, चाक़ू, भाला सब का प्रयोग किया पर रेशम का धागा ना टूटा। फिर राजा ने चमड़ा काटने वाले फलसा से धागा काट दिया, जिससे नट-बलि की नीचे गिरने से मौत हो गयी ।
तब से आज तक केवल बांदा ही नहीं बल्कि दूर-2 से हजारों की संख्या में युवक-युवतिया यहाँ आती है और अपने जोड़ो के लिए प्रशाद चढ़ाकर मन्नत मागते हैं। इसलिए इस मंदिर व किले को प्यार का मंदिर कहा जाता है । वही दूसरी तरफ स्वतंत्रता सेनानियो व लोगों ने इस किले में बने शहीदों की इमारत में हजारो साल पहले सहीद हुए शहीदों की स्मारक में अगरबत्ती व पुष्प चढ़ाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धान्जली अर्पित करते है । स्वतंत्रता सेनानियो का कहना है की इस किले में 800 लोग शहीद हुए थे । बांदा की केन नदी में श्रद्धालू हर साल दुबकी लागाकर स्नान कर ब्राम्हादो व गरीबो को दान-दक्छिना और खिचडी बाटते है ।
कहते है प्यार भगवान् का रूप होता है, पर जब प्यार में धोखा हो तो, ये जानलेवा भी बन जाता है । ये थी नटबलिये की प्रेम कहानी की सच्ची दास्तान जो की सदियों से आज तक न ही कभी भूली गयी है और न ही भूली जाएगी।