Banda News: UP से उड़ीसा तक प्रशासनिक कौशल का परचम फहरा रहे गुदड़ी के लाल

Banda News: दशकों पहले शिक्षा के महत्व को समझाने और नई पीढ़ी को नए जमाने की रोशनी में ढालने में सशक्त हस्ताक्षर बने रामगोपाल सिंह के बेटे ही नहीं बल्कि बेटियां भी नाम कमा रही हैं।

Report :  Om Tiwari
Update:2024-10-28 19:42 IST

Banda News (Pic- NewsTrack)

Banda News. उड़ीसा सरकार ने हाल ही में आईपीएस देवदत्त सिंह को भुवनेश्वर का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया तो सुदूर उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हर तरफ जश्न का माहौल था। यह साफ हो गया कि देवदत्त के छोटे भाई कृष्णदत्त भी साहित्य के सितारे हैं, जिन्होंने गाजियाबाद में आरटीओ के रूप में प्रशासनिक छाप छोड़ी है। ये दोनों भाई वाकई गरीबों के बेटे हैं, जिन्होंने अराजकता, गुंडई और खून-खराबे के लिए मशहूर पिपरहरी गांव समेत पूरे जिले का नाम रोशन किया है। दशकों पहले शिक्षा के महत्व को समझाने और नई पीढ़ी को नए जमाने की रोशनी में ढालने में सशक्त हस्ताक्षर बने रामगोपाल सिंह के बेटे ही नहीं बल्कि बेटियां भी नाम कमा रही हैं। पंडित जेएन कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंह गौर कहते हैं, संघर्षों की दास्तां समेटे पिपरहरी का यह परिवार युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।

बच्चों को पढ़ाने और सफलता के नए आयाम तय करने में पिता ने निभाई प्रेरक की भूमिका

गौर कहते हैं, 1980 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने और वकालत शुरू करने के बाद रामगोपाल सिंह बांदा शहर में आकर बस गए। लेकिन पिपरहरी गांव से उनका जुड़ाव आजीवन बना रहा। वकालत, राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय और व्यस्त रहने के साथ ही उन्होंने बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दी। सफलता के नए आयाम स्थापित करने में उन्होंने प्रेरक की भूमिका भी निभाई। उनकी मेहनत और नेक इरादों का उचित परिणाम भी मिला।

बड़े बेटे IPS और उनसे छोटे बने RTO, तीसरे जला रहे समाजसेवा की मशाल

पिता की प्रेरणा से बड़े बेटे देवदत्त सिंह भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी चयनित हुए। हाल ही में उन्हें उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर का पुलिस कमिश्नर बनाने पर बांदा में जमकर खुशी का इजहार हुआ। मिठाई बंटी। पटाखे जले। गौर ने बताया, रामगोपाल के दूसरे बेटे कृष्णदत्त भी उसी लीक पर चले। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण कर उत्तर प्रदेश परिवहन सेवा में आरटीओ बने। इन दिनों गाजियाबाद में पदस्थ हैं। तीसरे बेटे ब्रह्मदत्त सिंह भी एलएलबी और नेट हैं। वकालत के साथ पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए संस्था के जरिए समाजसेवा की मशाल जलाए हैं।

बेटियों ने भी किया कमाल, बच्चों की परवरिश और संस्कार रोपने में मां का भी अहम योगदान

कोरोना काल में CM योगी को 25 रुपए की भेंट देकर चर्चा में आए भाजपा नेता दिलीप सिंह ने बताया, पिपरहरी के रामगोपाल सिंह ने बेटों को ही नहीं, बेटियों को भी शिक्षा और संस्कारों की पूंजी दी। एक बेटी रेखा सिंह। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की अधीनस्थ सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर वित्त विभाग में बतौर लेखा परीक्षक उन्नाव में पदस्थ हैं। छोटी बेटी संगीता सिंह ने भी एमए में फर्स्ट पोजीशन पाई। एलएलबी भी पढ़ी। इन होनहार बेटे-बेटियों को गढ़ने में पिता के साथ मां उर्मिला सिंह ने भी अग्रणी भूमिका निभाई। सामान्य गृहिणी होने के बावजूद बच्चों की परवरिश और उनमें संस्कारों के बीज बोने में सर्वस्व झोंक दिया।

14 किताबों के लेखक केडी सिंह की झोली में अनेक पुरस्कार और PHD की मानद उपाधि

DCDF अध्यक्ष रहे सुधीर सिंह बताते हैं, देवदत्त सिंह ने उड़ीसा के चर्चित, ईमानदार और तेजतर्रार IPS अधिकारी की ख्याति अर्जित की है। उनके अनुज कृष्णदत्त सिंह ने राजकीय सेवा के साथ साथ साहित्य के क्षेत्र में भी नाम कमाया है। उनकी अब तक 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। साहित्य सृजन के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने तीन बार, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ने एक बार पुरस्कृत किया है। प्रयाग गौरव सम्मान मिला है। राजस्थान के एक विश्विद्यालय ने रचनाधर्मिता के लिए उन्हें पीएचडी की मानद उपाधि से नवाजा है।

ग्वाटेमाला तक मचाई भारतीय भाषाओं और साहित्य संस्कृति पर व्याख्यान की धूम

सुधीर सिंह ने बताया, केडी सिंह को पिछले दिनों अमेरिका के ग्वाटेमाला में भारतीय दूतावास और सबसे प्राचीन यूनिवर्सिटी "सैन कार्लोस डी ग्वाटेमाला" ने भारतीय भाषाओं तथा साहित्य और संस्कृति पर व्याख्यान के लिए बतौर मुख्य वक्ता आमंत्रित किया गया था। ग्वाटेमाला से लौटने पर बांदा वासियों ने केडी का गर्मजोशी से अभिनंदन और स्वागत किया। उनके गांव पिपरहरी में तो जश्न मना।

अनहोनी होवे नहीं, होनी होय सो होय' किताब में उकेरा पिता के समय का गांव और समाज

उन्होंने बताया, केडी सिंह ने हाल ही में अपने पिता की एक आत्मकथात्मक जीवनी भी लिखी है। "अनहोनी होवे नहीं, होनी होय सो होय" नामक किताब में उन्होंने पिता और मां के संघर्षों और उनके संस्कारिक उपादेय पर सघन प्रकाश डाला है। केडी ने अपने पिता के समय के गांव और समाज की पृष्ठभूमि को भी बखूबी उकेरा है।

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