Rampur By Election 2022: बीजेपी या सपा प्रत्याशी कौन रामपुर के लिए बेहतर?...बचेगा 'गढ़' या किला फतह
Rampur By Election 2022: रामपुर में एक तरफ जहां सपा को 'गढ़' बचाने की चुनौती है वहीं, बीजेपी 'किला फतह' की तैयारी कर चुकी है। जानें दोनों पार्टियों की वहां क्या है जमीनी हकीकत।
Rampur By Election 2022: यूपी के रामपुर शहर विधानसभा संख्या- 37 का उपचुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। दिलचस्प इसलिए कि मैदान में केवल दो ही प्रत्याशी हैं। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार ही मैदान में हैं। इनमें मुकाबला कांटे का है। बीजेपी ने जहां आकाश सक्सेना (Akash Saxena) पर दोबारा भरोसा जताया है, वहीं सपा ने आसिम रजा (Asim Raza) पर भरोसा जताया है। रामपुर सीट सपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता है, वहीं बीजेपी उसमें घुसपैठ की लगातार कोशिशें कर रही है।
सपा ने लोकसभा उप चुनाव में भी आसिम रज़ा को ही अपना प्रत्याशी बनाया था। हालांकि, तब वो चुनाव हार गए थे। अब विधानसभा उपचुनाव में सपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। लेकिन, आसिम रज़ा के नाम के ऐलान के साथ ही समाजवादी पार्टी में बगावत के सुर भी तेज हो गए। कई पुराने समाजवादी पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। रामपुर उपचुनाव में दोनों पार्टियों ने भले ही जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है, मगर दांव पर सपा की इज्जत है। क्योंकि, बीजेपी ने लोकसभा उपचुनाव में उसे पटकनी देकर पहले ही झटका दे दिया था।
योगी के मंत्रियों ने डेरा डाला, आज़म को चुनौती
यूपी की योगी सरकार के कई मंत्री इन दिनों रामपुर में डेरा डाले हुए हैं। सभी प्रत्याशी आकाश सक्सेना के लिए घर-घर, गली-गली वोट मांग रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम रज़ा भी जनता के बीच जा रहे हैं। उनके साथ सपा के कद्दावर नेता आजम खान भी हैं। गौरतलब है कि आजम खान और उनके परिवार का रामपुर में रुतबा रहा है। आज़म स्वयं आसिम रज़ा के साथ प्रचार में जुटे हैं। मगर, आज़म खान के लिए ये यह चुनाव जितना पहले की तरह आसान नहीं है। इस बार सपा प्रत्याशी की जीत चुनौतीपूर्ण है।
जीत की गारंटी नहीं रहे आज़म !
रामपुर सीट सपा के लिए गढ़ समान रहा है। कभी किसी विपक्षी पार्टी की यहां दाल नहीं गाल पाई, इसकी वजह आज़म खान का रुतबा और बड़ा कद रहा है। मगर, लोकसभा उपचुनाव में आजम खान को बीजेपी ने जो झटका दिया उसने उनकी जड़ हिलाकर रख दी। शायद यही वजह है कि आज़म के बेहद करीबी जो करीब 20-25 सालों से उनके करीब थे, मुख्य पदों पर तैनात थे, आज उन्होंने आजम खान का साथ छोड़ दिया है। आज़म के करीबी एक-एक कर सपा छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। इसमें मुख्य नाम आजम खान के मीडिया प्रभारी रहे फ़साहत अली शानू का है। वह अपने कई दर्जन समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। उसके अलावा रोजाना ही समाजवादी पार्टी के नेताओं का सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का सिलसिला जारी है।
क्या खुलेगी बंद फैक्ट्रियां?
वहीं, बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना भी जनता के बीच जा रहे हैं। जनता से वोट की अपील भी कर रहे हैं। साथ ही, जनता से एक वायदा कर रहे हैं जिसे प्राथमिकता से सबसे पहले पूरा करेंगे वह रामपुर की बेरोजगारी दूर करने की। बता दें कि, रामपुर में बेरोजगारी मुख्य समस्या है। यहां कई फैक्ट्रियां लंबे समय से बंद हैं। उन्हें एक बार फिर चालू किया जाता है तो काफी हद तक रामपुर में बेरोजगारी की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा।
40 वर्षों से आजम परिवार रहा काबिज
सपा प्रत्याशी आसिम रजा भी जनता के बीच जा रहे हैं। आसिम को आज़म खान का सिपहसालार माना जाता है। बता दें कि, आजम खान और उनका परिवार 40 वर्षों से रामपुर शहर विधानसभा सीट पर काबिज रहा है। आज आज़म उसका वास्ता देकर, विकास कार्यों को गिनाकर सपा वोट मांग रही है। हिन्दू-मुस्लिम एकता को भी गिनाया जा रहा है।
बहरहाल, रामपुर उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी सपा कैसा प्रदर्शन करेगी ये आने वाला समय बताएगा। ये जनता को तय करना है, कि उनके लिए कौन बेहतर प्रत्याशी है। उनके क्षेत्र का विकास हो या समस्याओं का समाधान या बेरोजगारी उन्मूलन की दिशा में काम, ये समय बताएगा। यह 5 दिसंबर को जनता घरों से निकलेगी और मतदान करेगी। अब देखना होगा कि वह किस प्रत्याशी पर भरोसा जताती है। 8 दिसंबर को मतगणना होनी है।