Municipal Election: नगर-निगम चुनाव से पहले बड़े बदलाव की तैयारी में मायावती, युवाओं को मिलेगा मौका!

Municipal Elections: नगर निकाय चुनाव से पहले बसपा में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।

Published By :  Ragini Sinha
Update: 2022-05-03 08:58 GMT
बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Social media)

Municipal Elections: बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही एक सीट पर सिमट गई हो लेकिन मायावती के हौसले नहीं हारे हैं। बसपा सुप्रीमो विधानसभा की हार को भुलाकर अब नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में लग गई हैं। नगर निकाय चुनाव से पहले बसपा में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मायावती भी अब युवाओं को आगे कर पार्टी में नए दौर की राजनीति को शुरू करने के पक्ष में हैं।

विधानसभा चुनाव के दौरान इसकी एक झलक दिखाई भी दिया था। जब मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद और सतीष चंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा को आगे कर चुनाव प्रचार में लगाया था। ये दोनों युवा बसपा के लिए ताबड़तोड़ कैंपेन भी किए थे। उसके बाद मायावती ने अपनी भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी भी सौंप दी है।

बसपा में अधिकतर नेता पार्टी छोड़ चुके हैं

चुनाव में करारी हार के बाद मायावती एक बार फिर बसपा को पुराने मुकाम पर ले जाने के लिए कार्य कर रही हैं। वह अब बुजुर्ग नेताओं की जगह युवाओं को आगे कर उन्हें जिम्मेदारी सौंप रही हैं। बसपा में अधिकतर नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, आरएस कुशवाहा, समेत तमाम ऐसे नाम हैं जो पार्टी का चेहरा हुआ करते थे। लेकिन अब यह नेता अलग अलग पार्टियों में हैं। जो पुराने नेता बचे भी हैं उनकी राह में उम्र भी रोड़ा बन रही है।

इसी को ध्यान में रखते हुए मायावती अब प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर नई टीम तैयार कर रही है जिनमें युवाओं की भागीदारी ज्यादा होगी। मायावती ने पिछले दिनों लंबे मंथन के बाद अपनी नई टीम की घोषणा की थी। जिसमें देश के सभी राज्यों को सात सेक्टरों में बांटा गया था। हर सेक्टर के अलग-अलग प्रभारी नियुक्त किए गए थे। जो सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे। इसके साथ ही मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उन्हें राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाया था। अब बसपा में सिर्फ एक राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर का पद है जिस पर आकाश को उन्होंने बैठाया है। आकाश को जिम्मेदारी दी है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय के लिए कार्य करेंगे और सभी समस्याओं पर नजर रखेंगे। 

मायावती अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं

इस तरह से अब मायावती नगर निगम चुनाव से पहले पार्टी में युवाओं को आगे कर मैदान में उतरने की रणनीति तैयार कर रही हैं। इसके साथ ही वह दलित-मुस्लिम गठजोड़ भी बिठा रही हैं। दलितों का एक बड़ा वोट बैंक आज भी उनके साथ है, लेकिन मुस्लिमों के साथ अन्य तबके का वोट दूसरी पार्टियों में शिफ्ट होने से मायावती की पार्टी गर्त में पहुंच गई है। यही वजह है कि वह यूपी चुनाव में करारी हार के बाद भी समाजवादी पार्टी और उनके मुखिया पर हलावर हैं। मायावती मुस्लिमों को यह अहसास कराने में लगी हैं कि आपने उन्हें पूरा वोट दिया लेकिन वह बीजेपी को सत्ता में आने से नहीं रोक सके।

अगर दलित-मुस्लिम एक साथ आ जाएं तो भाजपा को हराया जा सकता है। इस समीकरण को साधने के लिए मायावती अब अपनी रणनीति तैयार कर रही हैं। क्योंकि अक्टूबर-नवंबर तक यूपी में नगर निगम के चुनाव होने हैं उससे पहले मायावती अपनी पार्टी में बड़ा बदलाव कर पार्टी में फिर से जान फूंकने की हर मुमकिन कोशिशों में लगी हैं। 2017 के नगर निगम चुनाव में बसपा के दो मेयर जीते थे।

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