Bulandshahr News: पढ़ाई में उम्र बाधक नहीं, 92 साल की समीरन ने पढ़ना लिखना सीखा, हुईं साक्षर
Bulandshahr News: डा.प्रतिभा शर्मा ने 92 साल की निरक्षर को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित किया और फिर 92 साल को सिमरन अपनी 35 साल की पौत्र वधु फिरदौस के साथ पढ़ने लगी।;
Bulandshahr News (photo: social media )
Bulandshahr News: पढ़ाई लिखाई की कोई उम्र नहीं, ये कहावत यूपी के बुलंदशहर की 92 साल की समीरन ने सिद्ध कर दिखाई। जीवन के 92 बसंत पूरे करने वाली समीरन ने अपनी पौत्र वधु के साथ नव भारत साक्षरता परीक्षा दी और साक्षर बनी।
दरअसल, भारत सरकार द्वारा सबको शिक्षित और साक्षर बनाने के लिए नव भारत साक्षरता मिशन चलाया जा रहा है। जिसके तहत बुलंदशहर के प्राथमिक विद्यालय चावली में भी निरक्षरों को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक डा.प्रतिभा शर्मा को सौंपी गई। डा.प्रतिभा शर्मा ने 92 साल की निरक्षर को पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित किया और फिर 92 साल को सिमरन अपनी 35 साल की पौत्र वधु फिरदौस के साथ पढ़ने लगी।
बुलंदशहर के बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मीकांत पाण्डे ने बताया कि जनपद में 21 हजार निरक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष्य है। प्रथम चरण में 9 हजार निरक्षरों को पढ़ा लिखाकर उनकी 24 सितंबर को साक्षरता परीक्षा आयोजित हुई। 92 साल की समीरन ने साक्षरता परीक्षा दे साक्षर बनकर यूपी में इतिहास रचने का काम किया है। समीरन अब गिनती सीख गई है। कांपते हाथो से अपना नाम भी लिखने लगी है। हर कोई समीरन के साक्षर बनाने पर परिवार के लोग सरकार का शुक्रिया अता फरमा रहे है।
प्राथमिक विद्यालय, चावली की प्रधानाध्यापिका डॉ. प्रतिभा शर्मा ने कहा कि उन्होंने सलीमा खान से कहा कि अगर वह स्कूल में आकर पढ़ेंगी, तो मैं उसकी पेंशन की व्यवस्था कर दूंगी, इससे उन्हें प्रेरणा मिली। अब वह 100 तक गिनती कर सकती है, अपना नाम लिख सकती हैं।