Banda News: तीन दिवसीय बाबा नट बलि मेले का हुआ समापन, जानें क्या है नट बलि मेले का इतिहास

Banda News: बांदा की केन नदी में 2 दिन मकरसंक्रांति मनाई श्रद्धालुओं ने दुबकी लागाकर स्नान कर ब्राम्हादो, व गरीबो को दान-दक्चिना और खिचडी बाटी।

Report :  Anwar Raza
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2022-01-16 14:19 GMT

नट बलि मेले की तस्वीर 

Banda News: बांदा की केन नदी में प्रथम दिन श्रद्धालुओं ने स्नान कर मकर संक्रांति का पर्व मनाया गया था। भूरा गढ़ किले में सदियों  पहले राजा नत बलि की धोखे से मौत को याद कर युवक-युवाकियो ने किले के मंदिर में परसाद करा कर मन्नत मानी। पुराने लोगो का मानना है की इस मंदिर को "प्यार का मंदिर" भी कहा जाता है। साथ ही लोगों ने आजादी की लड़ाई में शहीद हुए शहीदों की कब्रगाह में पुष्प चढ़ाकर श्रद्धान्जली दी।

बांदा की केन नदी में 2 दिन मकरसंक्रांति मनाई श्रद्धालुओं ने दुबकी लागाकर स्नान कर ब्राम्हादो, व गरीबो को दान-दक्चिना और खिचडी बाटी। आपको बताते चले की बांदा की केन नदी स्थित सदीओ पुराना भूरा गढ़ का किला है। ये किला 640 साल पुरानी एक प्रेम कथा व बलिदानों की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है ! आज से 640 साल पहले यहाँ एक राजा रहता था,उसकी एक पुत्री थी , उसका प्रेम एक नाचने गाने वाले नटबलि से हो गया था।

नट बलि ब्रह्मचारी और तपस्वी नट था। जब इस प्रेम प्रसंग की चर्चा राजा को चली, तो राजा ने मंत्रियो से सलाह मसर्वा कर नट बलि से सरत रखिकी अगर तुम केन नदी से किले तक का सफ़र एक धागे से पैर रखकर तय कर लोगे तो मै तुम्हारी और रानी की शादी कर दूँगा ! नत्बलिजान्ता था की एक धागे में पैर रखकर नादिसे किले का सफ़र नामुमकिन है।

पर प्यार किखातिर नट बलि ने ये सरत मान ली। सर्त पूरी करने का दिन आया नट बलि ने अपनी तपस्या और विद्या से एक धागे को रेसम में परिवर्तित करके केन नदी से किले तक भांध दिया। व सफ़र पूरा करने लगा, नट बलिने आधे सी भी जादा सफ़र रेशम के घागे में पूरा कर लिया, तो मंत्रियो ने राजा से कहा की राजा जी ये नट बलि को सफ़र पूरा करने वाला है। अब इस नाचिये से आपको अप्नेपुत्री शादी करनी पड़ जायेगी। राजा ने तलवार , चाक़ू , भाला सब का प्रयोग किया पर रेशम का धागा ना टूटा। फिर राजा ने चमरा काटने वाला फलसा से धागा काट दिया , जिससे नट बलि किनीचे गिरने से मौत हो गयी।

दर्शन करने के लिए भीड़ लगाए श्रद्धालूओं की तस्वीर 

तब से आज तक केवल बांदा ही नहीं बल्कि दूर-2 से युवक - युवतिया यहाँ आती है और अपने जोड़ो के लिए परसाद चढ़ाकर मन्नत मानती है ! इसलिए इस मंदिर व किले को प्यार का मंदिर कहा जाता है ! वही दूसरी तरफ स्वतंत्रता सेनानियो व लोगो ने इस किले में बने शहीदों की इमारत में हजारो साल पहले सहीद हुए शहीदों की स्मारक में अगरबत्ती व पुष्प चढ़ाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धान्जली अर्पित की ! स्वतंत्रता सेनानियो का कहना है की is kile में 800 लोग शहीद हुए थे।

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