Jhansi News: प्रधानमंत्री को खून से लिखा खत, बुन्देलखण्ड पृथक की मांग
Jhansi News: बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा द्वारा पूर्व घोषित चिन्तन शिविर में बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण को लेकर बुन्देलखण्ड के समस्त जिलों में संघर्षरत विभिन्न संगठनों जिसमें बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा, बुन्देली समाज, बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति, बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा, बुन्देलखण्ड क्रान्ति दल एवं बुन्देलखण्ड विकास सेना के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भारी संख्या में उपस्थित हुये।
Jhansi News: बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा द्वारा पूर्व घोषित चिन्तन शिविर में बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण को लेकर बुन्देलखण्ड के समस्त जिलों में संघर्षरत विभिन्न संगठनों जिसमें बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा, बुन्देली समाज, बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति, बुन्देलखण्ड निर्माण मोर्चा, बुन्देलखण्ड क्रान्ति दल एवं बुन्देलखण्ड विकास सेना के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भारी संख्या में उपस्थित हुये।
कार्यक्रम के अन्त में प्रधानमंत्री को खून से खत लिखकर पृथक बुन्देलखण्ड की मांग की गयी। चिन्तन शिविर की अध्यक्षता बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष लोकेन्द्र सिंह नागर ने की।
अतिथि के रूप में भारतीय मजदूर किसान संगठन (राष्ट्रवादी) केन्द्रीय पदाधिकारी सुरेश शर्मा, अभिनन्दन पाठक, वेदरत्न कुमार, अरिवन्द सिंह, सियाराम सिंह हर्षाना उपस्थित थे, चिन्तन शिविर का प्रारम्भ सीतु सिंह के स्वागत गीत से हुआ।
2014 चुनाव में सुश्री उमा भारती की थी बुन्देलखण्ड राज्य बनाने की घोषणा
चिन्तन शिविर को सम्बोधित करते हुये अभिनन्दन पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के लिए वर्ष 2014 की चुनाव सभा में सुश्री उमा भारती की घोषणा का समर्थन झाँसी की सभा में किया था, तो उनका दायित्व बनता है कि अपने वादे को पूरा करें।
उनसे मुलाकात कर उनका वादा उन्हें याद दिलायेंगे और शीघ्र अतिशीध्र पृथक बुन्देलखण्ड राज्य की घोषणा कराने का संकल्प लेता हूँ यदि ऐसा नहीं होता है तो मैं अपने साथियों सहित दिल्ली में धरना दूंगा।
भारतीय मजदूर किसान संगठन (राष्ट्रवादी) के केन्द्रीय अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने चिन्तिन शिविर को सम्बोधित करते हुये कहा कि इतने लम्बे समय से पृथक बुन्देलखण्ड राज्य की मांग होते हुये भी पृथक राज्य का निर्माण न होना आश्चर्यजनक है।
सरकारें क्षेत्र का दोहन और शोषण करती आ रही हैं जब तक पृथक बुन्देलखण्ड राज्य का गठन नहीं होगा तब तक न तो यहाँ का किसान खुशहाल हो सकता और न ही मजदूर रोजगार युक्त हो सकता है, युवाओं की बेरोजगारी और लोगों का पलायान भी रोकने का एक ही विकल्प है पृथक बुन्देलखण्ड राज्य।