Sonbhadra : यूपी में ऐसा प्राथमिक विद्यालय जहां नहीं छत और चहारदीवारी, पेड़ के नीचे 15 साल से टाट-पट्टी पर पढ़ाई
Sonbhadra:सोनभद्र से सटे चंदौली जनपद में नौगढ़ ब्लाक का एक ऐसा प्राइमरी स्कूल है,जहां आजादी के 75 वर्ष बाद भी नौनिहाल खुले आसमान, पेड़ के नीचे टाट-पट्टी बिछाकर पढाई करने को विवश हैं।
Sonbhadra News: यूपी के तीन नक्सल प्रभावित जनपदों में से एक तथा चार राज्यों से घिरे सोनभद्र से सटे चंदौली जनपद में नौगढ़ ब्लाक का एक ऐसा प्राइमरी स्कूल है जहां आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश के नौनिहाल खुले आसमान तले, पेड़ के नीचे टाट-पट्टी बिछाकर पढाई करने को विवश हैं। पहाड़ जंगल के बीच से गुजरकर, नौगढ़ होते हुए वाराणसी जाने वाले सोनभद्र से वाराणसी मार्ग से सटे लौवारी कला ग्राम पंचायत में संचालित प्राथमिक विद्यालय गोड़टुटवा के बोर्ड पर नजर पड़ते ही, एक बारगी यहां से गुजरने वाला हर शख्स कुछ पल के लिए ठिठक रह जाता है।
बारिश में जाएं कहां? बड़ी मुसीबत, मिड डे मील का भी संचालन खुले आसमान के नीचे: वर्ष 2008 से यहां संचालित विद्यालय को अब तक जहां एक छत उपलब्ध नहीं हो सकी है। वहीं बारिश के समय शिक्षक-बच्चे कहां जाए? क्या करें? वर्षों से यह एक बड़ी मुसीबत बनी हुई है। सर्व शिक्षा अभियान सहित, शिक्षा उन्नयन के लिए चलाई जा रही कई योजनाओं के बीच, इस विद्यालय की एक अदद छत की आस कब तक पूरी होगी? फिलहाल कुछ कह पाना मुश्किल है। जिस समय सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर में नक्सलवाद चरम पर था। उस समय शिक्षा की अलख जगाकर, नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए जहां गांव-गांव सड़कें बनवाई गईं।
वही प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ी। उसी समय सोनभद्र से सटे चंदौली जनपद के नौगढ़ ब्लाक अंतर्गत लौवारी ग्राम पंचायत में गोड़टुटवा बस्ती के लोगों के लिए भी एक विद्यालय की आवश्यकता महसूस हुई और वर्ष 2008 में यहां शिक्षकों की नियुक्ति कर पेड़ तले पठन-पाठन शुरू करा दिया गया। तब से अब तक जहां इस विद्यालय को पूर्ण निर्मित एक भवन उपलब्ध नहीं हो सका है। वहीं यहां अध्ययनरत बच्चों की पेड़ के नीचे टाट-पट्टी पर बैठकर अध्ययन करना मजबूरी बनी हुई है। यहां मिड-डे-मील का भी संचालन खुले आसमान के नीचे ही किया जा रहा है।
52 बच्चों पर दो शिक्षक-दो शिक्षामित्रों की है तैनाती
प्राथमिक विद्यालय गोड़टुटवा में वर्तमान में आस-पास की बस्ती के कक्षा एक से पांच तक के 52 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। उन्हें पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक रमाकांत प्रसाद, सहायक अध्यापक राजीव कुमार सिंह के अलावा एक महिला और एक पुरूष शिक्षामित्र की तैनाती है। यहां रोजाना शिक्षकों-शिक्षामित्र ड्यूटी करने भी पहुंचते हैं ।लेकिन वर्षों से अधूरे पड़े विद्यालय भवन और एक भी कमरे पर छत न होने, जीर्ण-शीर्ण सी स्थिति होने के कारण, पेड़ तले पठन-पाठन कार्य कराने के लिए विवश हैं।
खराब हालात के लिए वन विभाग की अड़़ंगेबाजी को बताया जा रहा बड़ा वजह: प्रधानाध्यापक रमाकांत प्रसाद का कहना था कि जब भी विभागीय बैठक होती है, अधिकारियों से समस्या से अवगत कराया जाता है। वन विभाग की आपत्ति के चलते अब तक भवन निर्माण नहीं हो सका है। एक छत उपलब्ध न होने के कारण, बारिश के समय बच्चों की पढाई और मिड-डे-मील का संचालन बड़ी चुनौती बन जाती है। ऐसे में कई बार विभागीय अधिकारियों के दौरे में कार्रवाई का डर बना रहता है। हालांकि उन्होंने बताया कि वन विभाग की तरफ से अनापत्ति दे दी गई है। अब विभागीय तौर पर बजट का इंतजार किया जा रहा है।
एक से बढ़कर एक सियासी धुरंधर, फिर भी हालात दयनीयः यह उस जिले की तस्वीर है, जो देश के मौजूदा रक्षामंत्री का गृह जनपद है। वहीं बतौर सांसद वर्तमान केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय का बतौर सांसद सीधा जुड़ाव है। बावजूद, इस तरह की तस्वीर जहां हैरान करने वाली है। वहीं प्राइमरी और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कायाकल्प जैसी योजनाओं से, पब्लिक स्कूलों की तरह व्यवस्था उपलब्ध कराने का दावा करने वाले, शिक्षा विभाग के हुक्मरानों और नीति नियंताओं पर भी एक बड़ा सवाल है। उधर, बीएसए चंदौली सत्येंद्र कुमार सिंह ने सेलफोन पर बताया कि वन विभाग की तरफ से एनओसी मिल गई है। जल्द ही वहां निर्मित किए जा रहे भवन पर छत पड़ जायेगी। इसके प्रयास जारी हैं। पूरी उम्मीद है कि जल्द ही छत निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।