Chandauli: IPF नेता अजय राय ने मनरेगा मजदूरों के भुगतान की उठाई मांग

Chandauli News: IPF नेता अजय राय ने लोकसभा चुनाव से पहले मनरेगा मजदूरों के भुगतान की मांग उठाई है। सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार मनरेगा खत्म करने पर तुली है।

Update: 2024-03-06 10:32 GMT

IPF नेता अजय राय ने मनरेगा मजदूरों के भुगतान की उठाई मांग। (Pic: Social Media)

Chandauli News: मनरेगा के तहत कराए गए सभी कार्यों के भुगतान के लिए मजदूर किसान मंच ने मोदी और योगी सरकार को पत्र लिखा है। पत्र के जरिए मांग की गई है कि चुनाव आचार संहिता लगने से पहले सभी भुगतान कर दिए जाएं। जानकारी के अनुसार नवम्बर माह से मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी बकाया है। कुछ सम्पन्न ग्राम प्रधानों ने मजदूरों को कुछ मजदूरी देकर समझा दिया है। लेकिन अधिकतर प्रधानों को रोज मजदूरों का आक्रोश झेलना पड़ रहा है।

लगातार कम हो रहा है मनरेगा का बजट

आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि भाजपा सरकार मजदूरों को गांव में ही काम देने की योजना मनरेगा में लगातार बजट कम करती जा रही है। यही कारण है कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी भी समय से नहीं मिल पा रही है। मनरेगा से काम न होने से गांव का विकास भी ठप्प है। मनरेगा को वर्ष 2023-24 में 60 हजार करोड़ आवंटित किए गए हैं। जबकि वर्ष 2022-23 में मनरेगा को 73 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। इस तरह से यह बजट पिछले वर्ष से 18 प्रतिशत कम है जबकि मनरेगा में काम मांगने वाले मजदूरों की संख्या मे बढ़ोतरी हुई है।

लोकसभा चुनाव में बनेगा मुद्दा

आईपीएफ नेता ने कहा कि मनरेगा योजना नहीं, एक कानून है। हर काम मांगने वाले मनरेगा मजदूरों को काम देना और पैसे का पंद्रह दिन में भुगतान करने का प्रवधान है। लेकिन इस कानून का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है। आज काम किए मजदूर महीनों से मजदूरी बकाया भुगतान के लिए प्रधान से लेकर ब्लाक तक का चक्कर लगा रहे हैं । एक तरफ तो फर्जी मनरेगा का पैसा भुगतान के नाम पर मनरेगा कानून को पलीता लगा दिया गया है। वहीं समय से मजदूरी बकाया का भुगतान, मिस्त्री का भुगतान से लेकर सामग्री भुगतान समय से न होने से मजदूर भी काम नहीं करना चाहते हैं। मोदी सरकार की यही मंशा है कि इस मनरेगा को बंद कर दिया जाए। जबकि यह रोजगार देने की बड़ी योजना है। मोदी और योगी मजदूरी व सामग्री का भुगतान नही करते हैं। तो लोकसभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा बनेगा और जनप्रतिनिधियों को जबाव देना होगा। 

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