नोएडा: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ लंबे समय से चले आ रहे मिथक को तोड़कर 25 दिसंबर को नोएडा आएंगे और मेजेंटा लाइन मेट्रो का उद्घाटन करने आ रहे पीएम नरेन्द्र मोदी की अगुवानी करेंगे।
दरअसल, राजनीतिक गलियारों में नोएडा के लिए एक अंधविश्वास है कि उत्तर प्रदेश का जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान इस शहर का दौरा करता है, उसे अपनी कुर्सी गंवानी पड़ती है। यही वजह है कि यूपी के कई मुख्यमंत्री नोएडा से जुड़े मिथक के कारण यहां कदम रखने से कतराते रहे हैं।
राज्यपाल ने किया स्वागत, नहीं गए सीएम
पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी अपने कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं आए और लखनऊ से ही नोएडा की योजनाओं का शिलान्यास तक कर डाला। इतना ही नहीं उन्होंने वादा तक किया था, कि वह नोएडा आएंगे लेकिन इस मिथक के चलते उन्होंने यहां पर कदम नहीं रखा। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नोएडा में दो सभा की, इस दौरान प्रोटोकॉल के तहत उनका स्वागत राज्यपाल ने किया। उस दौरान योगी भी नोएडा नहीं आए। लेकिन इस बार सभी मिथक को तोड़ योगी 25 दिसंबर को नोएडा आ रहे हैं।
यह है मिथक
नोएडा के साथ एक मिथक जुड़ा हुआ है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां आता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। मुख्यमंत्री के लिए नोएडा अशुभ माना जाता है। इसके पीछे कई बार इत्तेफाक भी हुए। 1988 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को नोएडा से लौटते ही इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद कई साल तक कोई मुख्यमंत्री यहां नहीं आए। हालांकि, मायावती ने में जरूर साहस दिखाया और मुख्यमंत्री रहते चार बार नोएडा आईं, लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
अखिलेश यादव ने लखनऊ से ही किया शिलान्यास
अपने 5 साल के कार्यकाल में अखिलेश यादव एक बार भी नोएडा नहीं आए। चाहे वह यमुना एक्सप्रेस-वे हो या बाबा रामदेव के पतंजलि फूड पार्क, सभी का शिलान्यास और उद्घाटन उन्होंने लखनऊ से ही किया। अब देखना होगा, कि क्या सीएम योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी की अगवानी करने 25 दिसंबर को नोएडा आकर इस मिथक को तोड़ने का साहस दिखाएंगे। इस बारे में गौतमबुद्ध नगर के जिलाध्यक्ष विजय भाटी का कहना है, कि 'अभी योगी जी का कोई प्रोग्राम नहीं मिला है। दिल्ली में बैठक के बाद यहां आने वाले बड़े नेताओं के कार्यक्रम तय होंगे।'
कुछ ऐसा रहा है घटनाक्रम:
-1988 में सीएम वीर बहादुर सिंह ने नोएडा आने के बाद ही अपनी कुर्सी खो दी थी।
-1989 में नारायण दत्त तिवारी और 1999 में कल्याण सिंह की कुर्सी भी नोएडा आने के बाद चली गई थी।
-1995 में मुलायम सिंह सीएम रहते हुए नोएडा आए थे और कुछ दिन बाद ही उनकी कुर्सी चली गई थी।
-2007 में तत्कालीन मायावती चार बार नोएडा आईं और 2012 के चुनाव में वह हार गईं।