Lucknow News: कठपुतली नाटिका से किया प्रभु श्रीराम की महिमा का बखान, राममय हुआ सभागार

तुलसीकृत रामचरित मानसपर आधारित रामायण कठपुतली प्रस्तुति में 35 पुतुल कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। कठपुतलियों पर नियंत्रण और संवाद अदायगी ने प्रस्तुतिकरण में चार चांद लगाये।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2022-09-27 11:51 IST

 प्रभु श्रीराम (Social Media) 

Lucknow News : तुलसीकृत रामचरित मानस (Tulsi Krit Ramcharitmanas) पर आधारित रामायण (Ramayana) कठपुतली प्रस्तुति (Puppet Play) में 35 पुतुल कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। पारंपरिक राजस्थानी लोक संगीत, मंच के पीछे से कठपुतलियों पर नियंत्रण और उनकी संवाद अदायगी ने प्रस्तुतिकरण में चार चांद लगाये।

पार्श्व में गूंजतीं रामचरित मानस की चौपाइयों से प्रस्तुति की शुरुआत राजा दशरथ के दरबार से हुई। जहां अग्निदेव राजा दशरथ से उनकी उदासी की वजह पूछते हैं। अग्निदेव राजा दशरथ को संतान होने का वरदान देते हैं। आगे के दृश्यों में कलाकारों ने दिखाया कि मंथरा रानी सुमित्रा, कैकेयी व कौशल्या के पुत्र होने की दौड़कर खुशी सुनाती हैं।

प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध हुए दर्शक, सभागार में सन्नाटा

कथा में आगे दिखाया गया कि वन में जब राक्षस ऋषि-मुनि के हवन में विघ्न डालते हैं। तो ऋषि-मुनि राजा दशरथ से राक्षसों के वध के लिए प्रभु राम को मांगते हैं। हवन के दौरान विघ्न डालने पर राम-लक्ष्मण ताड़का का वध कर देते हैं। प्रस्तुति में प्रभु श्रीराम की फैलती यशकीर्ति के बीच स्वयंवर के मनमोहक दृश्य का भी मंचन होता है। राम के वनवास के समय पूरे सभागार में सन्नाटा छा जाता है। तो वहीं पंचवटी में मयूर मृग का दृश्य, रावण का सीताहरण करना, जटायु वध, सुग्रीव मित्रता, समुद्र लांघकर हनुमान का लंका में अशोक वाटिका दृश्य और रावण के दरबार के दृश्यों को बखूबी पेश किया गया। आखिर में प्रभु राम जब रावण का वध करते हैं, तो पूरा सभागार जयसीया राम के जयकारे से गूंज उठा।

'रामायण' शीर्षक से कठपुतली नाटिका का मंचन

आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत लोक एवं जनजाति कला व संस्कृति संस्थान के तत्वावधान में 'रामायण' शीर्षक कठपुतली नाटिका का मंचन हुआ। गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस पर आधारित इस प्रस्तुति का मंचन भारतीय लोक कला मंडल राजस्थान उदयपुर के कलाकारों ने सोमवार को किया। दो दिवसीय कठपुतली समारोह के दूसरे दिन रामायण कठपुतली नाटिका की प्रस्तुति गोमती नगर स्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी के थ्रस्ट सभागार में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृति व पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, लोक जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी सहित संस्कृति विभाग के विभिन्न संस्थानों के अधिकारी, कर्मचारी और कलाप्रेमी मौजूद थे।

रामायणमय वातावरण

कठपुतली नाटिका का लेखन, निर्देशन भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक डॉ. लईक हुसैन ने किया। राजस्थान के पारंपरिक लोक संगीत में ढली कठपुतली प्रस्तुति से दर्शकों को रामायण के विभिन्न प्रसंगों को दिखाया। एक घंटे की इस प्रस्तुति को 35 पुतुल कलाकारों ने 105 धागे वाली कठपुतलियों के जरिये पेश कर पूरा वातावरण रामायणमय कर दिया। डॉ लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मंडल की इस चर्चित प्रस्तुति को वर्ष 1950 में संस्थापक देवीलाल सांवल ने तैयार किया था। उनके बाद प्रस्तुति बंद हो गई। रिकॉर्डिंग व कठपुतलियां भी नष्ट हो गईं थीं। लेकिन वर्ष 2019 में मैंने दोबारा रामायण के विभिन्न किरदारों की कठपुतलियां बनाकर प्रस्तुति तैयार की। रामायण की देशभर में 250 प्रस्तुति हों चुकीं हैं। दर्शकों की तालियों के शोर के बीच कलाकारों को संस्थान निदेशक अतुल द्विवेदी ने सम्मानित किया और दर्शकों व अतिथियों का आभार जताया।

इन्होंने निभाई अहम भूमिकाएं

कठपुतलियों का संचालन भगवती माली, मोहन डांगी, रमेश प्रजापति, भंवर लाल, गोपाल मेघवाल, जगदीश पालीवाल, लुम्बा राम ने किया। स्टेज क्राफ्ट खुमान सिंह व कूक राम का था। प्रापर्टी पर दुर्गाशंकर व हरिसिंह ने और प्रकाश व्यवस्था अनुकंपा लईक, राजकुमार मोंगिया व संगीत संचालन रोहित मोंगिया ने किया। कॉस्ट्यूम डिजाइन अनुपमा लईक ने किया।

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