Leader of Legislative Council: केशव प्रसाद मौर्य के जरिये पिछड़ों को साधने की कवायद

Leader of Legislative Council: उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को विधान परिषद का नेता बना दिया गया। उत्तर प्रदेश भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ा चेहरा हैं।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Update: 2022-08-10 11:17 GMT

UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya (File Photo) 

Leader of Legislative Council: उत्तर प्रदेश में एक नाटकीय घटनाक्रम में स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने नेता विधान परिषद के पद से इस्तीफा दे दिया और उनके स्थान पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) को सदन का नेता बना दिया गया। अब जबकि इसकी पुष्टि विधान परिषद के प्रधान सचिव कार्यालय ने पत्र मिलने के बाद कर दी है। सवाल ये उठ रहा है कि यह क्यों हुआ इसकी जरूरत क्या थी। स्वतंत्र देव का कद घटा या केशव प्रसाद (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) का कद बढ़ाया गया। अगर इन सवालों से इतर जाकर देखें तो मामला बिलकुल साफ हो जाता है कि भाजपा मिशन 2024 (BJP Mission 2024) के लिए मोहरे सजाने के अभियान में लगी है। ये सब तो उसकी झलक है अभी कई और बड़े परिवर्तन भी किये जा सकते हैं जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी शामिल है।

लोग स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) के इस्तीफे को पिछले दिनों उनके राज्य मंत्री दिनेश खटीक (Minister of State Dinesh Khatik) के इस्तीफे से जोड़कर भी देख रहे हैं जिन्होंने अधिकारियों पर उनकी सुनवाई न करने और उनसे सूचनाओं को शेयर न करने का आरोप लगाया था।

उत्तर प्रदेश भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ा चेहरा

लेकिन अगर मौजूदा घटनाक्रम को भाजपा की पिछड़ों पर केंद्रित राजनीति को देखें तो सब साफ हो जाएगा। उत्तर प्रदेश भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ा चेहरा हैं। भाजपा की रणनीति को देखकर ये कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष एक बार फिर से केशव मौर्य को बनाया जा सकता है। लेकिन केशव प्रसाद मौर्य को नेता विधान परिषद बनाये जाने के बाद इन अटकलों पर विराम लग गया है।

केशव प्रसाद मौर्य को चेहरा बनाकर भाजपा ने पिछड़ों को था जोड़ा

ऐसा लग रहा है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में जिस तरह केशव प्रसाद मौर्य (Deputy Chief Minister Keshav Prasad Maurya) को चेहरा बनाकर भाजपा ने न सिर्फ पिछड़ों को जोड़ा था, बल्कि सरकार भी बनाई थी। उसी तरह से इस बार चुनाव हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य का लगातार कद बढ़ाकर आलाकमान की ओर से केशव प्रसाद मौर्या को एक बार फिर से उसी भूमिका में आने के लिए इशारा कर दिया गया है। पार्टी चाहती है कि केशव प्रसाद मौर्य के जरिये पिछड़ों में एक बार फिर से वही विश्वास बने और इस वोट बैंक की मजबूती से 2024 का मिशन कामयाब हो सके।

यह बात सही है कि भाजपा को मजबूती के साथ खड़ा करने में हमेशा से पिछड़े, अति पिछड़े, दलित और अन्य समुदायों का बराबर योगदान रहा है। भाजपा भी लगातार इसका ध्यान रखती आई है। ऐसे में जबकि केशव प्रसाद मौर्या उनकी पार्टी में बड़े चेहरे हैं, पार्टी को अपेक्षा है कि वह इस बार भी अपना दायित्व उसी अंदाज में निभाएंगे जैसा 2017 में निभाया था। यह भी सही है कि केशव प्रसाद मौर्य में कार्यकर्ताओं को जोड़ने और कोई भी जिम्मेदारी निभाने की क्षमता है।

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