Sonbhadra News: जिला पंचायत में खत्म नहीं हो रही टेंडर की रार, अपर मुख्य सचिव के सामने गूंजा मामला

Sonbhadra News: कोल कनवर्जन एक्ट के तहत अधिग्रहित भूमि पर परिवहन शुल्क वसूली को लेकर अपनाई गई टेंडर प्रक्रिया पर बनी रार की स्थिति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।

Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-05-15 09:15 GMT

सोनभद्र: Photo - Social Media  

Sonbhadra News: कोल कनवर्जन एक्ट (coal conversion act) के तहत अधिग्रहित भूमि पर परिवहन शुल्क वसूली को लेकर चर्चा में रहने वाले जिला पंचायत (Zilla Panchayat) की तरफ से वर्ष 2022-23 के लिए अपनाई गई टेंडर प्रक्रिया को लेकर बनी रार की स्थिति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। रविवार को यह मामला अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह के सामने भी गूंजा तो उन्होंने इससे संबंधित सभी जानकारी तलब कर ली।

भाजपा (BJP) के पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर तिवारी की तरफ से उन्हें एक पत्रक भी सौंपा गया, जिसमें पहली बार अपनाई गई टेंडर प्रक्रिया को एक साजिश के तहत निरस्त कर उच्च बोलीदाता को प्रक्रिया से बाहर करने और दूसरी बार सिंडीकेट (Syndicate) बनाकर ठेका हथियाने का आरोप लगाया गया है। मामले में जिला पंचायत के अफसरों के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। एक ही पटल पर लगभग 17 साल से लगातार कर्मिर्यों की तैनाती को लेकर भी शिकायत की गई है।

यह है पूरा घटनाक्रम

पिछले माह जिला पंचायत की तरफ से कराई जाने वाली परिवहन शुल्क वसूली के लिए टेंडर की प्रक्रिया अपनाई गई। उसमें गीता देवी 14 करोड़ से अधिक की बोली के कारण उच्च बोलीदाता घोषित हुई। टेक्निकल-फाइनेसिंयल बीड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अचानक से टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। जिला पंचायत प्रशासन का कहना था कि पांच बोलीदाताओं में तीन के कागजात पूर्ण नहीं थे, इसलिए कोरम के अभाव में टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष श्री तिवारी की ओर से अपर मुख्य सचिव को सौंपी गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पहली बार की बोली में मेसर्स गीतांजलि इंटरप्राइजेज की सर्वोच्च बोली रही।

एडीएम के सामने टेक्निकल बीड खोली गई। इसके बाद फाइनेंसियल बीड में गीता देवी को सर्वोच्च बोलीदाता 14,61,11,111 घोषित किया गया। इसके बाद जिला पंचायत से मिले निर्देश के क्रम में चार मई को बिड में अपलोड किए गए अभिलेखों की मूल प्रति और छाया प्रति उपलब्ध कराई गई। पांच मई को अग्रिम धनराशि जमा की जानी थी लेकिन जिला पंचायत की तरफ से कोई पत्र नहीं दिया गया।

ठेकेदारों का सिंडिकेट बनाकर टेंडर डलवाने का आरोप

इस बीच सूचना मिली कि टेंडर प्रक्रिया निरस्त की जा रही है। इस पर बोलीदाता की तरफ से छह मई को डीएम से मिलकर तथ्यों से अवगत कराया गया। फाइनेंसियल बीड के बाद निविदा निरस्त नहीं होने का आश्वासन भी मिला लेकिन जब अपर मुख्य अधिकारी से जाकर मुलाकात की गई तो पता चला कि निविदा निरस्त कर दी गई है। मामले में जिलजा पंचायत अध्यक्ष और विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। वहीं तीन ठेकेदारों का सिंडिकेट बनाकर टेंडर डलवाने का भी आरोप लगाया गया है।

दोबारा अपनाई गई टेंडर प्रक्रिया पर भी उठाए गए सवाल:

अपर मुख्य सचिव को सौंपी गई शिकायत में बताया गया कि दोबारा निविदा निकालते हुए 13 मई को आखिरी तिथि तय की गई। दोपहर दो बजे तक टेंडर और तीन बजे तक टेक्निकल बिड खोला जाना था। आरोप है कि वहीं तीनों फर्म जिनका इससे पूर्व पेपर पूर्ण न होने की बात कही गई थी। उसी संडीकेट से फिर से टेंडर डलवाते हुए, उन्हीं में एक को, जो दूसरी बार उच्च बोलीदाता घोषित करते हुए, टेंडर दे दिया गया। मामले में उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय जांच और कार्रवाई की मांग की गई है।

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