Mahoba News: अजब खेल कमीशन का, बाहर की दवा लिख रहे डॉक्टर, आया मरीजों को लगा रही हैं इंजेक्शन
Mahoba News: मरीजों को इंजेक्शन लगाने का काम वार्ड आया करती देखी गई जो जिला अस्पताल की लापरवाही को दर्शाने के लिए काफी है।
Mahoba News: महोबा जिला अस्पताल (district hospital) में नि: शुल्क इलाज के दावे बेमानी नजर आ रहे हैं। जिला अस्पताल में कमीशन खोरी के चलते इलाज कराने आ रहे मरीजों को बाहर की दवा लिखकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है। यही नहीं खुलेआम एमआर दवा कंपनियों की मार्केटिंग और सेलिंग करने का काम जिला अस्पताल में करते देखे जा रहे हैं, तो वही आने वाले मरीजों को इंजेक्शन लगाने का काम वार्ड आया करती देखी गई जो जिला अस्पताल की लापरवाही को दर्शाने के लिए काफी है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर जिम्मेदार अधिकारी भी जांच की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। प्रदेश सरकार (UP Government) की बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के निर्देश का असर महोबा में होता नहीं दिखाई दे रहा।
हमेशा ही विवादों में रहने वाले महोबा जिला अस्पताल में सीएम योगी के निर्देशों की खुलकर अनदेखी की जा रही है। निशुल्क इलाज की उम्मीद लगाए ग्रामीण अंचलों और दूरदराज इलाकों से आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ खुलेआम आर्थिक शोषण हो रहा है। अस्पताल में दवाएं मौजूद होने के बावजूद भी तैनात डॉक्टर बहार मेडिकल की दवा लिख रहे हैं जिसे लेने के लिए इन मरीजों और तीमारदारों को मजबूर होना पड़ रहा है।
डॉक्टर खुलेआम बाहर की दवाएं लिख रहे हैं
जिला अस्पताल के जिम्मेदारों की लापरवाही का ही नतीजा है कि अस्पताल में तैनात कई डॉक्टर खुलेआम बाहर की दवाएं लिखकर कमीशन खोरी करने में लगे हुए हैं। मौसम के बदलते मिजाज के साथ जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या में इजाफा है जिसका फायदा तैनात डॉक्टर उठाने से बाज नहीं आ रहे। शहर के सत्तीपुरा इलाके में रहने वाला पुष्पेंद्र यादव बताता है कि वह अपनी पत्नी की आंख में परेशानी होने पर इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल आया था। पल्लेदारी करने वाला यह मजदूर निशुल्क इलाज की उम्मीद लिए जिला अस्पताल तो पहुंच गया लेकिन डॉक्टर ने उसे अस्पताल के बाहर की दवा लिखी है। पुष्पेंद्र दवा का पर्चा दिखाते हुए बताता है कि उसने बाहर मेडिकल से 800 रूपये की दवा खरीदी। वह मजदूर है और जिला अस्पताल में निशुल्क इलाज की उम्मीद लेकर आया था जितना उसने कमाया नहीं उससे ज्यादा कि उसने दवा ले ली।
ऐसा ही 65 किलोमीटर दूर से आए शेखर के साथ हुआ वह अपनी पत्नी की मानसिक बीमारी का इलाज कराने अस्पताल पहुंचा लेकिन आरोप है कि चेंबर नंबर 8 में बैठे डॉक्टर ने शेखर को भी 538 रूपये की बाहर की दवा लिख दी ऐसे में मजबूरन उसे अस्पताल से बाहर की दवा लेनी पड़ी है। शेखर बताता है कि वह दिहाड़ी मजदूर है पत्नी बीमार थी इसलिए सरकारी अस्पताल पर आया था लेकिन उसके साथ भी डॉक्टर द्वारा आर्थिक शोषण कर दिया गया और चेंबर नंबर 8 बैठे डॉक्टर राजेश भट्ट ने बाहर की दवा का पर्चा थमाकर अस्पताल के बाहर संचालित अपने पसंदीदा मेडिकल स्टोर शिवशक्ति मेडिकल से दवा लेने को कहा.. वहीँ पचेरा गांव का निवासी विश्वनाथ भी अपने शरीर पर दाने होने के चलते अस्पताल के चेंबर नंबर आठ पर बैठे डॉक्टर से दवा लेने पहुंचा तो उसे भी बाहर का पर्चा लिख दिया गया। पनवाड़ी से आए अमित को भी इलाज के लिए 1000 रूपये की दवा बाहर से लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जिला अस्पताल में बाहर की दवा लिखकर खुलेआम हो रही कमीशन खोरी के खेल को हर उस मरीज की जुबानी सुनी जाती है जो निशुल्क इलाज की उम्मीद लेकर जिला अस्पताल आता है और उसके साथ डॉक्टर आर्थिक शोषण करने से बाज नहीं आता।
जिला अस्पताल में हो रही कमीशन खोरी
जिला अस्पताल में हो रही कमीशन खोरी को तब और बल मिल गया जब अस्पताल के अंदर फार्मेसी कंपनी के दवाओं की मार्केटिंग करने के लिए एक एमआर घूमता नजर आया। एमआर बताता है कि वह डॉक्टर साहब को अपनी कंपनी की दवा को दिखाने आया था ताकि उसकी मार्केटिंग और सेलिंग हो सके जब उससे पूछा गया कि तुम क्या यहां दबा देते हो तो उसने बताया कि दवा देने का काम दूसरा व्यक्ति आकर करता है। जिससे साफ जाहिर होता है कि जिला अस्पताल में तैनात सरकारी डॉक्टर बाहर की दबाव को लिखने और बेचने में कितनी दिलचस्पी दिखाते हैं जो कहीं ना कहीं अस्पताल में हो रही कमीशन खोरी की कहानी को बयां करता है।
हद तो तब हो गई जब जिला अस्पताल में अभी हाल ही में तैनात हुई एक वार्ड आया इंजेक्शन लगाती देखी गई। जिला अस्पताल में तैनात वार्ड आया ज्ञान देवी बताती है कि बीती 17 अक्टूबर को वह यहां नियुक्त वार्ड आया के पद पर नियुक्त हुई है। वार्ड आया के पद पर तैनात ज्ञान देवी बताती उसने सुबह से अभी तक 8 इंजेक्शन मरीजों को लगाए हैं जो कहीं ना कहीं जिला अस्पताल में बरती जा रही लापरवाही को भी उजागर करता है। एक वार्ड आया का काम इंजेक्शन लगाने का ना होने के बावजूद भी वह अस्पताल में आने वाले मरीजों को इंजेक्शन लगा रही है जो कहीं ना कहीं मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ भी है।
वार्ड आया इंजेक्शन लगा रही है
जिला अस्पताल में बरती जा रही अनियमितताओं और लापरवाही को लेकर हमने अस्पताल के सीएमएस डॉ एसपी सिंह से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर उच्च अधिकारियों को बताया जाएगा और खुद अपने स्तर से इस मामले की जांच करेंगे तो वहीं वार्ड आया द्वारा मरीजों को इंजेक्शन लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि डॉक्टर की देखरेख में वार्ड आया इंजेक्शन लगा सकती है।
बहरहाल जिला अस्पताल के सीएमएस भले ही जांच की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ रहे हो तो वहीँ वार्ड आया के इंजेक्शन लगाने के पर अपनी मौन स्वीकृति दे रहे हो इससे इतना तो साफ है कि जिम्मेदारों ने अस्पताल में बरती जा रही अनियमितताओं को लेकर अपनी आँखों पर पट्टी बांध राखी है जिसका खामियाजा अस्पताल आयने वाले बरिबों को भुगतना पड़ता है।