सूखे का साइड इफेक्ट AIDS भी: रोजगार के लिए गए शहर, लेकर लौटे रोग

Update: 2016-04-18 11:45 GMT

बहराइच: खून-पसीने की कमाई आपदा की भेंट चढ़ गई। आर्थिक तंगी से उबरने और परिवार पालने को किसान परदेश गए। वहां हाड़ तोड़ मेहनत की। रोटी का इंतजाम तो हो गया, लेकिन एक छोटी सी गलती ने उनकी जिंदगी की तस्वीर ही बदल दी।

जिले के 16 किसान परदेश से अपने साथ लाइलाज बीमारी लेकर लौटे हैं। एचआईवी टेस्ट में इन किसानों का रिपोर्ट पॉजिटिव आया है। इन किसानों के साथ 137 अन्य लोग भी हैं जो जाने-अनजाने एचआईवी की चपेट में आ गए। अब ये सभी जिंदगी जीने की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं।

फसल बर्बादी के बाद करना पड़ा था पलायन

साल 2015 में रबी की फसल के लिए जिले के किसानों ने 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं बोया। लेकिन मार्च महीने में कई बार बारिश और ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो गई। एक तरफ जहां गेहूं की फसल चौपट हुई वहीं खेतों में आलू भी सड़ गए।

सरकारी मुआवजे से नहीं हुई भरपाई

बर्बाद फसल को देखकर कई किसानों के दिल की धड़कन थम गई तो कुछ ने आत्महत्या कर ली। इससे किसानों और उनके परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। सरकारी मुआवजा भी लागत के बराबर नहीं था। आहत किसानों ने परिवार चलाने के लिए महानगरों का रुख किया।

गलत संगत में मिली बीमारी

वहां किसी ने ट्रक चलाया तो किसी ने मेहनत-मजदूरी की लेकिन इस बीच उनकी संगत बिगड़ गई। इसकी कीमत उन्हें एचआईवी पॉजिटिव होकर चुकानी पड़ रही है। जब मौसमी बीमारियां भी ठीक होने में उन्हें लंबा समय लगा तो उन्होंने डॉक्टरी जांच कराई।

6015 लोगों में 153 एचआईवी पॉजिटिव मिले

साल 2015 में छह हजार 51 लोगों ने जिला अस्पताल में जांच कराई। परिणाम चौंकाने वाले मिले। इनमें 153 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। वहीं फरवरी और मार्च महीने में सर्वाधिक लोग एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। इन दो माह में 1591 लोगों ने जांच कराई जिनमें 32 की रिपोर्ट पॉजिटिव थी।

इनमें 16 एचआईवी पॉजिटिव ऐसे हैं, जो फसल बर्बादी के बाद दूसरे शहरों और प्रांतों में नौकरी करने गए थे। उन्हें अब अपनी उस भूल पर पछतावा हो रहा है।

एचआईवी पॉजिटिव के आंकड़े-

2015 अप्रैल- 13

2015 मई- 08

2015 जून- 13

2015 जुलाई- 12

2015 अगस्त-12

2015 सितंबर-18

2015 अक्तूबर-13

2015 नवंबर- 12

2015 दिसंबर- 11

2016 जनवरी-09

2016 फरवरी-17

2016 मार्च- 15

कुल --- 153

नामसमझी में हुए एड्स के शिकार

जिन मरीजों में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया, उनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। ये सभी परदेश कमाने गए थे और नासमझी में एड्स का शिकार हो गए।

क्या कहा डॉक्टर ने ?

एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को अब बचाव और उपचार के लिए प्रेरित किया गया है। साथ ही परिवार में सावधानी बरतने के लिए भी जागरूक किया गया है।

डॉ. ओपी पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला अस्पताल बहराइच

केस-1

विकास खंड नवाबगंज के रहने वाले 40 वर्षीय किसान की फसल बीते साल बर्बाद हो गई थी। रोजी-रोटी की तलाश में वे लुधियाना चले गए। वहां गलत संगत में पड़ गए। बीमार पड़ने पर घर लौटे, काफी इलाज के बाद भी फायदा नहीं हुआ। परिचितों की सलाह पर उन्होंने जिला अस्पताल में एचआईवी की जांच कराई, तो रिपोर्ट पॉजिटिव आया है।

केस-2

मिहीेंपुरवा विकास खंड निवासी 29 वर्षीय किसान भी फसल बर्बादी के बाद कमाई के लिए मुंबई चला गया था। वहां उसने पैसे तो कमाए लेकिन गलत आदत ले डूबी। लंबे समय तक बीमार रहने के बाद जब उन्होंने जिला अस्पताल में जांच कराई तो वे एचआईवी से ग्रसित मिले। अब उन्हें अपने किए पर पछतावा हो रहा है।

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