#UPCivicPolls2017 : वोटिंग में फिसड्डी लखनऊ के अफसरों पर चला DM का चाबुक
वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों, ईवीएम मशीनों में तकनीकी दिक्कतों और हंगामों के चलते यूपी के नगरीय निकाय चुनावों में लखनऊ समेत कई जिले फिसड्डी साबित हुए।
लखनऊ : वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों, ईवीएम मशीनों में तकनीकी दिक्कतों और हंगामों के चलते यूपी के नगरीय निकाय चुनावों में लखनऊ समेत कई जिले फिसड्डी साबित हुए। दिक्कतों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र, प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह, सीबीसीआईडी के एएसपी अवनीश मिश्र जैसे कई आम-ओ खास तक का नाम वोटर लिस्ट से नदारद था।
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कहीं पर पूरा परिवार तो कहीं पूरे मोहल्ले के लोगों का नाम ही वोटर लिस्ट से गायब रहा। इसके चलते लखनऊ समेत कई जिले लोकतंत्र की इस आहूति में निकम्मे साबित हुए। रविवार शाम होते होते खुद राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के अग्रवाल ने कम वोटिंग के लिए अधिकारियों को दोषी माना। इसके बाद सोमवार सुबह से जिला निर्वाचन अधिकारियों ने बूथ लेवल ऑफिसर पर कार्यवाही कर बड़े-बड़े अधिकारियों को नोटिस थमाकर अपना पल्ला झाड़ना उचित समझा। यह हाल तब है जब अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए हैं। ऐसे में सवाल ये है कि जब करीब 40 से 60 प्रतिशत लोग वोट ही नहीं डाल पाए तो क्या निकाय चुनावों के नतीजों को एक निष्पक्ष जनादेश माना जाए या नहीं?
फॉर्म करेक्शन को किया इग्नोर
रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर आर एन सिंह ने बताया कि उन्होंने चुनाव के काफी दिन पहले ही अपने घर के तीन सदस्यों का नाम वोटर लिस्ट में सही करने के लिए एक करेक्शन फॉर्म भरा था। लेकिन, उनकी मतदाता पर्ची ही गलत भेजी गई। जिसके कारण ना तो वो और ना ही उनके परिवार का कोई भी सदस्य वोट डाल सका। यह तो महज बानगी भर है। दूसरे चरण के चुनाव में ऐसे तमाम नज़ारे देखने को मिले, जिससे क्या आम इंसान, क्या खास, सभी वोट देने के बजाय घंटों वोटर लिस्ट में अपना नाम ढूंढने में लगे रहे और अंतत: उन्हें हाथ सिर्फ निराशा ही लगी। वह वोट डालने से वंचित रह गए। ऐसे में कई जगह लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
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डीएम लखनऊ ने जोनल मजिस्ट्रेटों को जारी किया नोटिस
यूपी नगरीय निकाय चुनाव 2017 के दूसरे चरण की चुनावी परीक्षा में फिसड्डी साबित हुए लखनऊ के डीएम कौशलराज शर्मा की कार्यशैली पर जब सार्वजनिक रूप से राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के अग्रवाल ने उंगली उठाई तो सोमवार को सबसे पहले उन्होंने तीन बूथ लेवल अधिकारियों को उनके स्तर पर हुई लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया। इसके बाद डैमेज कंट्रोल के लिए जिले के सारे जोनल मजिस्ट्रेटों को हजारों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब होने पर कारण बताओ नोटिस थमा दी।
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37.57 रहा लखनऊ नगर निगम का वोट प्रतिशत
लखनऊ नगर निगम में मेयर पद के लिए कुल 37.57 प्रतिशत ही वोट पड़े। ऐसे में दूसरे चरण में शामिल 25 जिलों में लखनऊ का वोटिंग के मामले में 24 वां स्थान रहा। इलाहाबाद 34.20 प्रतिशत वोटिंग के साथ सर्वाधिक फिसड्डी साबित हुआ। इसी के साथ लखनऊ में भी करीब 62 प्रतिशत मतदाताओं के वोट नहीं पड़ सके।
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पूरी कॉलोनी को ही बीएलओ ने किया गायब
फैजुल्लागंज वार्ड के वार्ड 75 के मधुवन विहार निवासी दिनेश यादव ने बताया कि इस क्षेत्र में 300 लोग रहते हैं। लेकिन, वोटर लिस्ट में किसी का नाम ही नहीं है। ऐसे में हम अपने अधिकारो का प्रयोग कैसे करें।
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लखनऊ के तीन बार मेयर रह चुके दाऊजी गुप्ता भी नहीं डाल सके वोट
वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के कारण लखनऊ के तीन बार मेयर रह चुके दाऊजी गुप्ता भी वोट नहीं डाल सके। वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ बशीरतगंज वार्ड के हिंदू बाल विद्यालय मतदान केंद्र में वोट डालने पहुंचे। लेकिन उनका भी मतदाता सूची में नहीं था। उन्होंने करीब तीन घंटों तक अपने और अपने परिवार का नाम सूची में तलाशा, लेकिन नाम नहीं मिला। उन्होंने कहा कि उनसे उनका लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिया गया। वहीं लखनऊ के गोमतीनगर में चिनहट वार्ड के मकान नंबर 2/57 में से एक दो नहीं बल्कि 67 मतदाताओं के नाम दर्ज मिले। इसके साथ ही गोमतीनगर के विशाल खंड के 17 घरों में से किसी का नाम सूची में नहीं था। जानकारी के अनुसार 1/405 से 1/422 में से किसी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं था।