Lucknow News: क्या लखनऊ की सड़कों के लिए जी का जंजाल है ई रिक्शा, क्या चालान काटना ही इसका इलाज

Lucknow News: ई-रिक्शा राजधानी लखनऊ के लोगों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। राजधानी में ई-रिक्शा के चलते जाम की बहुत ही भयंकर स्थित बन जाती है।

Written By :  Jugul Kishor
Update: 2022-09-22 15:21 GMT

ई-रिक्शा के कारण लगा लंबा जाम

Lucknow E-Rikshaw: भारत सरकार ने शहरों में बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर सरकार ने डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को हटाकर ई-रिक्शा को बढ़ावा दिया, लेकिन अब यही ई-रिक्शा राजधानी लखनऊ के लोगों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं। राजधानी में ई-रिक्शा के चलते जाम की बहुत ही भयंकर स्थित बन जाती है। सुबह के समय बच्चों को स्कूल या कर्मचारियों और अधिकारियों को दफ्तर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। घंटो जाम में फंसकर मंजिल तक पहुंचने के लिए इंतजार करना पड़ता है। घर से अतिरिक्त समय ही लेकर निकले तभी सही समय पर मंजिल तक पहुंच पाना संभव हो पाता है। राजधानी के प्रत्येक मार्ग पर ई-रिक्शा जाम का कारण बनते हैं। महानगर की ट्रैफिक व्यवस्था इन रिक्शा चालकों पर कार्रवाई के नाम पर चालान काट देती है, समाधान के नाम पर चालान काटना कहां तक जायज है। यूपी सरकार को लोगों के लिए हमेशा के लिए कोई समाधान निकालना चाहिए।

गोमती नगर में एक बैटरी ई-रिक्शा चालक शनि ने बताया कि चारबाग में एक ई-रिक्शा असोसिएसन है जिसका नाम 'ऑटो टैम्पो यूनियन' है जिसके अध्यक्ष पंकज दीक्षित है। यह असोसिएशन खाली नाम की है काम कुछ भी नहीं होता है, इसलिए अब मैं वहां जाता भी नहीं हूं। 


दफ्तर या फिर स्कूल पहुंचने में बाधक साबित हो रहे हैं। चारबाग रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के सामने, कैसरबाग बस स्टेशन के सामने, आलमबाग बस स्टेशन के सामने ई-रिक्शा चालकों का इतना आतंक है कि परिवहन निगम के कर्मचारी भी इनसे परेशान रहते हैं। राजधानी की सड़कों पर संचालित ई-रिक्शा जाम का तो कारण बनते ही हैं दुर्घटना की भी बड़ी वजह यही ई-रिक्शा बनते हैं। शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब ई रिक्शा के चलते शहर में दुर्घटनाएं न होती हों।


भारत सरकार ने ई-रिक्शा की शुरूवात करते समय उन रास्तों पर चलाने की अनुमति दी थी, जिन मार्गों पर सीधे तौर पर यातायात साधनों का अभाव था। ई-रिक्शा उन मार्गों से सवारियों के मुख्य मार्गों तक लाकर सुविधा के लिए संचालित किए गए थे, लेकिन धीरे-धीरे यह ई-रिक्शा आउटर रूट से निकलकर मुख्य मार्गो ही नहीं हाईवे तक दौड़ने लगे। इससे शहर के अंदर भीषण जाम लगने लगा। यही नहीं यही रिक्शा दुर्घटना का भी बड़ा कारण बनने लगे हैं। अब सिर्फ राजधानी लखनऊ के अंदर ही पंजीकृत लगभग 24000 से ऊपर ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, वहीं अवैध तरीके से जो ई-रिक्शा चल रहे हैं उनकी संख्या मिलाकर तकरीबन 50 हजार ई-रिक्शा शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। जो आम जनता के लिए मुसीबत का कारण बन रहे हैं।

आपको बता दें कि भारत सरकार ने सन् 2016 में इलेक्ट्रिक वाहनों के रुप में जब ई-रिक्शा का शुरु किया था तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ई-रिक्शा लोगों के लिए जी का जंजाल बन जाएंगे। सड़कों पर ई-रिक्शा ही नजर आएंगे। यही ई-रिक्शा जाम के कारण दुर्घटना का कारण बन जाएंगे। शुरुआत में जब राजधानी में ई-रिक्शा शुरु हुए तो तो इन्हे लिंक रुट के लिए परमिशन दी गई थी। लखनऊ में 25 रुट निर्धारित किए गए थे जिन पर ई-रिक्शा का संचालन होना था लेकिन सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए इन्हे परमिट मुक्त कर दिया। सरकार के द्वारा लिया गया यह फैसला लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया। 

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