राजधानी में अस्पतालों के पास अतिक्रमण, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

कोर्ट ने लखनऊ के जिलाधिकारी, एसएसपी व अतिक्रमण हटाने के लिए गठित टीम को पूर्व के आदेश के अनुपालन में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि दो सप्ताह में यदि रिपोर्ट दाखिल नहीं होती तो गृह सचिव को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होगा। मामले की अग्रिम सुनवाई 6 दिसम्बर को होगी।

Update: 2019-11-19 16:54 GMT

विधिसंवाददाता । लखनऊ।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एसजी-पीजीआई, बलरामपुर अस्पताल, केजीएमयू और सिविल अस्पताल के पास से अतिक्रमण न हटने पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने लखनऊ के जिलाधिकारी, एसएसपी व अतिक्रमण हटाने के लिए गठित टीम को पूर्व के आदेश के अनुपालन में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि दो सप्ताह में यदि रिपोर्ट दाखिल नहीं होती तो गृह सचिव को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होगा। मामले की अग्रिम सुनवाई 6 दिसम्बर को होगी।

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यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने प्रेम शंकर पांडेय की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

कोर्ट ने पूर्व में एसजी-पीजीआई, बलरामपुर अस्पताल, केजीएमयू व सिविल अस्पताल के आस-पास से अतिक्रमण हटाने एवं इस सम्बंध में एक कमेटी का गठन करने को भी कहा था। कोर्ट के आदेश के मद्देनजर एसडीएम, सरोजिनीनगर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया।

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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के बावजूद न तो अतिक्रमण हटाया गया है और न ही कमेटी ने रिपोर्ट ही कोर्ट के समक्ष दाखिल की है। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी व एसएसपी न्यायालय के आदेश का अनुपालन कराना व रिपोर्ट दाखिल होना सुनिश्चित करें अन्यथा ऐसा न हो पाने की स्थिति में गृह सचिव केा अगली सुनवाई पर हाजिर होकर स्पष्टीकरण देना होगा।

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