पर्यावरण दिवसः राष्ट्रीय कवि ने इस तरह छेड़ी अपनी जंग

लगातार धरती से काटे जा रहे पेड़ों को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने अपील की कि वह अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें। उन्होंने कहा कि यदि धरती पर वृक्ष ही नहीं रहेंगे तो जीवन संकट में आ जाएगा और मनुष्य शुद्ध वायु के लिए तरसते हुए देखे जाएंगे।

Update: 2020-06-05 05:59 GMT
kavi ajay anjam

औरैया। वृक्षों को धरती का गहना माना जाता है। इसलिए सभी लोग प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन लोग वृक्षों का रोपण करते हैं तथा उनकी देखभाल करने की शपथ भी लेते हैं। जनपद औरैया के राष्ट्रीय कवि जो नेताजी लपेटे में लंबे समय तक टीवी पर दर्शकों के सामने उनकी खिंचाई करते हुए नजर आए हैं। उन्होंने पर्यावरण दिवस पर एक अनोखे अंदाज में कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है।

लगातार धरती से काटे जा रहे पेड़ों को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने अपील की कि वह अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें। उन्होंने कहा कि यदि धरती पर वृक्ष ही नहीं रहेंगे तो जीवन संकट में आ जाएगा और मनुष्य शुद्ध वायु के लिए तरसते हुए देखे जाएंगे। सिर्फ आर्टिफिशियल तरीके से ही वह श्वास ले सकेंगे।

नेताजी लपेटे में के द्वारा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले राष्ट्रीय कवि अजय शुक्ला अंजाम ने कविता के माध्यम से कहा कि-

फर्ज निभाना ही होगा

कर्ज चुकाना ही होगा

शुद्ध सांस लेनी है तो

पेड़ लगाना ही होगा

इसके उपरांत उन्होंने दूसरी पंक्ति ने कहा कि -

जन्मदिवस हो बच्चों का

या पावन दिन पुरखों का

शादी की हो सालगिरह

या पाई हो कोई विजय

दूसरी पंक्ति में राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने धरती मां के ऊपर कविता के माध्यम से व्याख्यान किया और कहा कि -

धरती है अपनी माता, यह सब की जीवन दाता एवं

आओ मृदा को शुद्ध रखें

खुद को सदा प्रबुद्ध रखें

वायु प्रदूषण नहीं करें

जल का शोषण नहीं करें

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शीर्षक से लोगों को पौधे लगाए जाने के प्रति प्रेरित किया।

बताते चलें कि राष्ट्रीय कवि अजय शुक्ला अंजाम द्वारा समय-समय पर देश के विभिन्न चैनलों के माध्यम से लोगों से रूबरू हो चुके हैं और उनकी प्रतिभा देश के कई लोगों द्वारा भी देखी गई है। विश्व पर्यावरण दिवस पर उन्होंने एक अनोखे ही अंदाज में अपनी कविता के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का एक सराहनीय प्रयास किया है। जिसका वीडियो वायरल होते ही शहर में उनकी कविता की तारीफ होने लगी।

रिपोर्टर-प्रवेश चतुर्वेदी, औरैया

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