किसान नेताओं पर सीतापुर प्रशासन का चाबुक, आंदोलन किया तो देने होंगे 10-10 लाख!
दिल्ली में किसानों के धरना प्रदर्शन में यूपी के किसान क्यों नही शामिल हो पा रहे हैं, इसकी एक बानगी मंगलवार को देखने को मिली। जिले के किसानों को शांति भंग की आशंका में पाबंद किया जा रहा है।
सीतापुर: दिल्ली में किसानों के धरना प्रदर्शन में यूपी के किसान क्यों नही शामिल हो पा रहे हैं, इसकी एक बानगी मंगलवार को देखने को मिली। जिले के किसानों को शांति भंग की आशंका में पाबंद किया जा रहा है। चार किसान नेताओं को बडी चेतावनी दी गई है। उन्हें जिला प्रशासन को आश्वस्त करना होगा कि वे गणतंत्र दिवस पर कहीं भी धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे, ऐसा न किया तो दस दस लाख का बांड जमा करना होगा और दस दस लाख की दो दो जमानतें देनीं होंगी। अर्थात शांति भंग की आशंका में पाबंद कर दिए जाएंगे जिसकी अवधि छह माह तक होगी। इसका मतलब यह होगा कि छह माह तक आंदोलन किया तो किसान नेताओं को दस दस लाख रूपये भरने होंगे और जमानत लेने वालों की जमानत राशि भी जब्त हो जाएगी।
भाकियू नेता ने जताया आक्रोश
भाकियू नेता उमेश पांडेय ने जिला प्रशासन के इस रवैये की तीखी आलोचना की है। जिला प्रशासन की ओर से भेजी गई नोटिस को सोशल मीडिया पर वायरल कर कहा, सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। पांडेय ने कहा, जो सब अंग्रेज हूकूमत में हो रहा था वही अब किया जा रहा है। किसान आंदोलन को कुचला जा रहा है। उमेश का दावा है कि जिले में जिन किसानों के पास ट्रैक्टर हैं उन सभी को इस तरह की नोटिस भेजी जा रही है। इलाके की पुलिस उन्हें धमका रही है। दबाव डाला जा रहा है कि किसान किसी भी हाल में जिला मुख्यालय, राज्य मुख्यालय अथवा दिल्ली न जा पाएं।
जारी की गई नोटिस में हालांकि गणतंत्र दिवस अथवा 26 जनवरी की तारीख का उल्लेख न करके 23 जनवरी का उल्लेख किया गया है। लेकिन इसे दिल्ली में होने वाली किसानों की ट्रैक्टर परेड से ही जोड कर देखा जा रहा है। हालांकि उमेश पांडेय फिलहाल जिला मुख्यालय पर ही गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहे थे। अब वे शायद घर के अंदर ही कैद रहेंगे। पुलिस उमेश समेत तमाम किसान नेताओं की निगरानी कर रही है।
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पुलिस ने जताया है शांति भंग की आशंका
एसडीएम मिश्रिख ने जारी की गई नोटिस में नैमिषारण्य कोतवाली पुलिस की रिपोर्ट का हवाला दिया है। जिसमें कहा गया है कि इलाके के उमेश पांडेय, इशहाक गाजी, नरपति सिंह और सचिन यादव 23 जनवरी को सीतापुर, लखनउ अथवा दिल्ली जा सकते हैं, जिसकी वजह से शांति भंग की आशंका है। क्योंकि इनके जाने पर विवाद होने की आशंका है। एसडीएम ने इन चारों किसानों को नोटिस भेज कर 20 जनवरी यानी बुधवार को अपनी कोर्ट में तलब कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इन किसानों को लिखित रूप से आश्वस्त करना होगा कि वे लोग किसी प्रकार के आंदोलन में शामिल नहीं होंगे। अगर जवाब संतोषजनक न हुआ तो कार्रवाई होनी तय है। जिसके तहत चारों को गिरफतार किया जा सकता है, दस दस लाख का निजी बांड जमा करना होगा और दस दस लाख की दो दो जमानतें दाखिल करनी पडेंगी।
इस मोटी रकम अदा करने से बचने के लिए जाहिर है किसानों को प्रशासन की बात माननी होगी। प्रशासन की हिदायत के बावजूद अगर इन किसानों ने आंदोलन किया तो फिर प्रशासन का बहुत कडा रूख हो सकता है। इसी के चलते अन्य किसानों में भी रोष है। किसान मजदूर नेता ऋचा सिंह ने कहा है कि जिन किसानों के पास ट्रैक्टर नहीं है उन्हें भी नोटिस भेजी गई है। बता दें कि ऋचा सिंह पर पिछले एक माह से प्रशासन का पहरा है।
पुतान सिंह
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