Farrukhabad News: खतरे में प्राचीन द्रोपदी कुंड का अस्तित्व
Farrukhabad News: कम्पिल में प्राचीन महाभारत कालीन द्रोपदी कुंड में गंदे नाले का पानी गिरने से इसका जल दूषित हो चुका है।
Farrukhabad News: फर्रुखाबाद के ऐतिहासिक,धार्मिक और पौराणिक कम्पिल (Kampil) नगरी जिसे पांचाल प्रदेश के नाम की राजधानी होने का भी गौरव हासिल है। कम्पिल विकास के लिए तरस रहा है। कम्पिल में पंचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी की स्मृतियों की साक्षी द्रोपदी कुंड (Dropadi Kund) का अस्तित्व खतरे में है| प्राचीन महाभारत कालीन द्रोपदी कुंड में गंदे नाले का पानी गिरने से इसका जल दूषित हो चुका है | पुराणों के अनुसार, राजा द्रुपद ने संतान प्राप्ति के लिए काशी के पंडितों को बुलाकर एक यज्ञ का आयोजन किया था। उसी यज्ञ कुंड से द्रोपदी का जन्म हुआ था।
यह कुंड आज भी यहां नजर तो आता है, किंतु आस पास स्थित गंदगी में अपने अस्तित्व को तलाश रहा है। पौराणिक परंपरा के अनुसार स्नान पर्वों पर आज भी लोग यहां आकर इसमें भरे जल में स्नान करते हैं। इस कुंड के पास ही महाभारत कालीन विश्रातें भी मौजूद हैं, जहां मोहल्ले के लोग जानवर बांधते हैं और कंडों का ढेर लगाए हैं। जिस कारण धीरे -धीरे विश्रातें खंडहर का रूप लेती जा रही हैं। प्राचीन द्रोपदी कुंड में गंदे नाले का पानी गिरने से इसका जल गंदा हो चुका है |
कपिल मुनि के नाम पर ही इस नगरी का नाम कांपिल्य रखा गया था, जो बदलते-बदलते कम्पिल हो गया। कम्पिल से पांच किलोमीटर की दूरी पर मानिकपुर गांव स्थित है, जिसे महाभारत काल में मीनपुर कहा जाता था। यहीं पर अर्जुन ने मछली की आंख में निशाना लगा कर द्रोपदी से स्वंवर रचाया था।
यहां से दस किलोमीटर की दूरी पर भरगैन गांव है जहां भार्गव ऋषि ने तप किया था। जिसे भार्गव स्थल कहा जाता था। कम्पिल से दक्षिण पश्चिम दिशा में रूदायन गांव है जहां पांडवों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए बारह वर्ष तक भगवान शंकर के रूद्र रूप की उपासना की थी। यहां एक तालाब आज भी है, जहां क्वांर के महीने में लोग स्नान कर पिंडदान करते हैं।
सतयुग में राजा सगर के साठ हजार पुत्र कपिल मुनि के कोप के चलते भस्म हो गए थे। पूर्वजों के मोक्ष के लिए राजा भगीरथ गंगा को कंपिल लेकर आए थे। इसलिए कंपिल में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। क्षेत्र के प्रमुख अटैना गंगा घाट, इकलहरा, कारव घाट, पथरामई व कम्पिल के द्रोपदी कुंड (Dropadi Kund Kampil) पर कार्तिक पूर्णिमा को आसपास के गांवों के अलावा एटा, बदायूं, शाहजहांपुर के हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान को आते हैं।