Farrukhabad News : राजा भोज व गंगू तेली की जमीन पर लोगों का हो रहा कब्जा

Farrukhabad News : फर्रुखाबाद राजा भोज के किले लगभग 12 बीघा जमीन पर लोगों ने कब्जा करने के बाद खेती करना शुरू कर दिया।

Report :  Dilip Katiyar
Published By :  Shraddha
Update:2021-07-02 12:11 IST

राजा भोज की जमीन पर लोगों ने किया कब्जा 

Farrukhabad News : देश में कई सरकार आई और चली गई लेकिन अपनी धरोहर को कोई सरकार नहीं बचा पाई जिसका सबूत फर्रुखाबाद (Farrukhabad) के विकास खण्ड कमालगंज (Kamalganj) के गांव भोजपुर का है। आज फर्रुखाबाद की एक विधानसभा (Assembly) का नाम भी भोजपुर (Bhojpur) के नाम से है। राजा भोज (Raja Bhoj) के किले की लगभग 12 बीघा जमीन पर लोगों ने कब्जा करने के बाद खेती करना शुरू कर दिया है।

मुस्लिम शासन में इसी किले को चौकी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। उसी समय एक छोटी सी मस्जिद भी बनाई गई थी। वर्तमान में किले की सिर्फ एक दीवार रह गई है और पूरा किला टीले के रूप में दिखाई दे रहा है। 1632 ई0 में जब गंगा ने किले का किनारा छोड़ा उसी समय से किला का गिरना शुरू हो गया था। आज किले की जमीन को लेकर दो समुदाय आमने सामने है। मामला इतना आगे बढ़ गया कि जमीन को लेकर लोग न्यायालय तक पहुंच गए हैं जहां पर मामला विचाराधीन चल रहा है।

 मिली यह मूर्तियां 

कुछ लोगों का मानना है कि किले की जमीन के अंदर सिंहासन दबा हुआ है। वह सिंहासन पर 32 परियो के स्वरूप अलग से लगे हुए थे। जब राजा विक्रमादित्य इस पर बैठते थे वह सभी अपनी अलग राय दिया करते थे। लेकिन उनके अलावा उस पर कोई दूसरा राजा बैठ जाता था तो एक परी उड़ जाती थी। वह सिंहासन सोने का बना हुआ था। उसी के चलते गांव के लोग किले के टीले को खोदने की कोशिश करते रहते हैं।

जनमानस में एक कहावत प्रचलित हुई कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली। गंगू तेली विचपुरिया गांव का रहने वाला था। उस जमाने में उसके तेल निकालने वाले दर्जनों कोल्हू हुआ करते थे। उसके यहां से राजा भोज के यहां तेल आता था एक बार की बात है कि गंगू तेली की पत्नी तेल लेकर राजा के यहां पहुंची तो उनकी पत्नी ने उसको तबज्जो नहीं दिया तो गंगू तेली ने अपने गांव से लेकर किले तक तेल भेजने के लिए नाली का निर्माण कराया था। उसी से तेल जब किले में जाने लगा तो वह रोशनी करने से लेकर फौज के लिए खाना बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता था

 पूरा किला टीले के रूप में दिखाई दे रहा 

वहीं गांव के ज्ञानेंद्र नाथ बत्रिया बताते है कि राजा मीहर भोज प्रतिहार बंश कालीन के राजा थे। उनका शासन 836 से 889ई० तक था हुमायूं ने पूरे देश में जीत हासिल की थी लेकिन यहां भोजपुर आने पर राजा मीर भोज के हाथों पराजय मिली थी। लेकिन राजा मीर भोज आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए।

इतिहास के जानकर रामकिशन राजपूत बताते है कि राजा मीर भोज ने भोजपुरके पास ही एक समुद्र के समान विशाल तालाब का निर्माण कराया था, जो पूर्व और दक्षिण में भोजपुर के विशाल शिव मंदिर तक जाता था। आज भी भोजपुर जाते समय , रास्ते में शिवमंदिर के पास उस तालाब की पत्थरों की बनी विशाल पाल दिखती है। उस समय उस तालाब का पानी बहुत पवित्र और बीमारियों को ठीक करने वाला माना जाता था।

कहा जाता है कि राजा भोज को चर्म रोग हो गया था तब किसी ऋषि या वैद्य ने उन्हें इस तालाब के पानी में स्नान करने और उसे पीने की सलाह दी थी जिससे उनका चर्मरोग ठीक हो गया था। उस विशाल तालाब के पानी से शिवमंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता था।

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