यूपी का पहला पेपरलेस गांव, जहां पेंशन से लेकर राशन तक सभी कार्य होते हैं डिजिटली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को हकीकत में बदलने के लिए यूपी के गांव आगे आ रहे है।  राजधानी लखनऊ की मलीहाबाद तहसील का लतीफपुर गांव इन दिनों खासा चर्चा में है।

Update:2023-06-23 16:07 IST

लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को हकीकत में बदलने के लिए यूपी के गांव आगे आ रहे है। राजधानी लखनऊ की मलीहाबाद तहसील का लतीफपुर गांव इन दिनों खासा चर्चा में है।

इसकी वजह ये है कि यहां काम अब कागजों पर नहीं बल्कि पेपरलेस हो रहा है। यहां पेपरलेस के साथ काम डिजिटल होने से स्थानीय लोगों को भागदौड़ से काफी राहत मिल रही है। उन्हें अब राशन से लेकर पेंशन की शिकायत के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है।

तो आइये जानते है लतीफपुर गांव के डिजिटल इंडिया मुहीम से जुड़ने से लेकर पेपरलेस होने तक की पूरी कहानी के बारे में। साथ ही उस शख्स से आपका परिचय कराते है जिसका इसमें सबसे अहम योगदान है।

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यूपी के दूसरे गांवों से इसलिए है खास

लतीफपुर गांव में लगभग हर घर के पास हाईमास सोलर स्ट्रीट लाइट लगी है, जिसकी वजह से ग्रामीणों को कम लाइट की रोशनी में नहीं रहना पड़ता और वहीं पढ़ने वाले बच्चों को एग्जामस में लाइट के भरोसे नहीं रहना पड़ता।

गांव में दो बड़े सोलर जेनरेटर भी हैं, जो किसी खास अवसर जैसे की शादी, जन्मदिन और जागरण आदि के दिन इस्तेमाल किया जाता है।गांव में प्रवेश प्रवेश करते ही घरों के छतों पर लगे वाईफाई रॉउटर आपको दिखेंगे। यह गांव पूरी तरीके से वाईफाई से लैस है।

वाईफाई से बच्चे अपनी पढ़ाई में आ रही दिक्कतों को गूगल और यूट्यूब के जरिए सॉल्व कर देते हैं। बच्चों के साथ गांव की महिलाएं भी इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं।

लतीफपुर को पेपरलेस बनाने में ग्राम प्रधान की बड़ी भूमिका

गांव को पेपरलेस बनाने में सबसे बड़ी भूमिका ग्राम प्रधान श्वेता सिंह ने निभाई है। श्वेता सिंह के अनुसार लतीफपुर गांव प्रदेश का पहला पेपरलेस ग्राम पंचायत है।

यहां देश का सबसे बड़ा ग्राम पंचायत भवन बनाया गया है जो कि 21000 हजार स्क्वायर फिट का है। हम हर समस्या का डिजिटल तरीके से निवारण करते हैं। हम लोगों का व्हाट्सएप ग्रुप है. फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल भी है।

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इंजीनियरिंग की पढ़ाई का मिला फायदा

श्वेता इंजीनियर(एमसीए) होने के चलते तकनीक को भली भांति समझती थीं। इसीलिए गांव के विकास के लिए उन्होंने इसका भरपूर प्रयोग किया। डिजिटल इंडिया मुहिम का फायदा उठाकर सारे काम कंप्यूटराइज्ड किए।

प्रस्ताव बनाने से लेकर शिकायत, भुगतान तक सब कुछ कंप्यूटर पर ही होता है। इसी का नतीजा है कि एक साल के भीतर ही उत्तर प्रदेश की पहली पेपर लेस पंचायत होने का दर्जा हासिल किया। लतीफपुर का पंचायत भवन पूरी तरह से वातानुकूलित है।

क्या कहते हैं ग्राम पंचायत के सलाहकार

लतीफपुर ग्राम पंचायत में शुद्ध पानी के लिए आरओ मशीन भी लगी हुई है, जिन ग्रामीणों को आरओ का पानी पीना होता है वो उसका इस्तेमाल करते हैं।

ग्राम पंचायत लतीफपुर के सलाहकार अखिलेश सिंह का कहना है कि हर व्यक्ति का एक सपना होता है, मेरा सपना है कि मैं अपने गांव लतीफपुर को हंसता खेलता हुआ डिजिटल गांव बनाऊं।

ऐसा है लतीफपुर गांव

उत्तर प्रदेश के पहले डिजिटल गांव का दर्जा मिला।

जिले में ई स्पर्श योजना पाने वाला पहला गांव बना।

1600 परिवारों के इस गांव में सभी पात्रों को पेंशन।

100 फीसद लोगों के पास राशन कार्ड, गैस कनेक्शन।

गांव की सभी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज होती हैं।

गांव में डोरस्टेप बैंकिंग की सुविधा। बैंक कर्मचारी खुद घर पहुंचते है।

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