फेक एनकाउंटर: पूर्व DGP बोले- बिना बड़े अधिकारियों के नहीं बनता प्लान

Update: 2016-04-04 17:41 GMT

लखनऊ: 11 सिखों को फेक एनकाउंटर में मारने वाले 47 पुलिसकर्मियों को तो सजा मिल गई। लेकिन एक सवाल अभी भी कोर्ट के साथ सभी लोगों के मन में है कि इतने बड़े एनकाउंटर में सिर्फ सिपाही दरोगा ही कैसे जिम्मेदार हो सकता है? एनकाउंटर के समय के एक डीजी लेवल के अधिकारी ने आज के फैसले के बाद सवाल उठाया कि इस पूरे प्रकरण में सिर्फ और सिर्फ कोतवाल तक को ही जांच में दोषी बनाया गया है, सीनियर अधिकारियों की भूमिका पर कोई प्रकाश नहीं डाला गया है।

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-पूर्व डीजीपी (नाम ना छापने की शर्त पर) ने कहा कि इतने बड़े एनकाउंटर का प्लान थानेदार अकेले अपनी टीम के साथ बैठकर नहीं बना सकता है।

-इसमें एसएसपी और उसके ऊपर के अधिकारी का भी हाथ जरूर रहता है। डीजी के मुताबिक जब जिले में अपराध इस तरह से बेकाबू हो जाते थे।

-तब उस समय के सक्रिय गैंग को निशाना बनाया जाता था। उनकी रेकी करके उनकी धर-पकड़ की जाती थी।

-अगर इस दौरान कोई बड़ा बदमाश पुलिस पर अटैक करता था तो उसके साथ मुठभेड़ होती थी। जिसमें अपराधी मारे जाते थे, हमारे पुलिस के जवान भी शहीद होते थे।

-लेकिन इतने बड़े मामले की जांच जिसे देश की प्रतिष्ठित संस्था सीबीआई ने अंजाम दिया हो, उसमें इस तरह के अनसुलझे सवाल रह जाएं तो यह बात आसानी से कही जा सकती है कि किसी ना किसी स्तर पर कोई चूक जरूर हुई है।

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पीड़ितों ने भी कहा कि बच गए अधिकारी

-सिर्फ सिपाहियों और दरोगा को ही आरोपी बनाने को लेकर पीड़ितों ने भी सवाल उठाए। करनैल सिंह ने कहा कि इतना बड़ा कांड हुआ, उसमें सिर्फ दरोगा का ही रोल नहीं हो सकता है। बाकी और भी लोग शामिल रहे होंगे, इस पूरे के पूरे मामले के एसएसपी और सीओ जरूर शामिल होंगे। लेकिन वे बचा लिए गए।

आरोपियों ने कहा-रिट एडिशनल एसपी पर हुई और फंस हम गए

-इस मामले में पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पुलिसकर्मियों ने कहा कि इसमें आलाधिकारी नहीं हैं।

-पीएसी के जवान सुनील कुमार ने कहा-एनकाउंटर के 24 घंटे बाद हमें कमांडेंट ने भेजा।

-लेकिन वहां पर पता नहीं कैसे हमें भी फंसा दिया गया।

-तत्कालीन पूरनपुर के एसएचओ बिजेंद्र सिंह ने कहा था कि जो रिट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई, उसमें कहा गया था कि बस से सभी लोगों को तत्कालीन एडिशनल एसपी उतार कर ले गए थे, जबकि हमने जो दो लोगों को मारा वे अलग लोग थे। उन्हें हमने मुखबिर की सूचना पर मारा घात लगाकर मारा था।

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