लखनऊ/वाराणसी: रात के समय कोई भी घटना होने पर महिलाओं पर ताने कसने वालों को जवाब देने के लिए अब महिलाएं सडक़ पर उतरी हैं। महिलाओं का कहना है कि समय व सडक़ पर पुरुषों का ही एकाधिकार नहीं है। उन्हें भी रात के समय सडक़ों पर चलने का पूरा हक है। रात के समय कोई अपराध होने पर आसानी से महिलाओं को जिम्मेदार ठहरा देने की मानसिकता अब बर्दाश्त नहीं होगी।
महिलाओं की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। छेड़छाड़ व हिंसा के नाम पर लगने वाली तमाम सामाजिक बंदिशों के खिलाफ लखनऊ व बनारस की सडक़ों पर उतरीं महिलाओं व बेटियों ने नारा बुलंद किया कि रात भी अपनी है और सडक़ भी अपनी। बंदिशों के नाम पर उन्हें रात में सडक़ों पर निकलने से अब नहीं रोका जा सकता। ‘मेरी रात-मेरी सडक़’ मुहिम में भागीदारी करते हुए महिलाओं व लड़कियों ने चंडीगढ़ व बलिया में लड़कियों के साथ हाल में हुई घटनाओं पर विरोध भी जताया।
बंदिशों की दीवारें गिराएंगी महिलाएं
लखनऊ में महिलाओं ने 1090 चौराहे से अपने जुलूस की शुरुआत की। जुलूस में शामिल महिलाओं ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। महिलाएं महिलाओं की आजादी से जुड़े नारे लगा रही थीं। महिलाएं नारे लगा रही थीं- हमें चाहिए आजादी, बाहर जाने की आजादी, काम करने की आजादी, घूमने की आजादी। रात के समय निकाले गए इस जुलूस में महिलाओं ने जोरदार नारे लगाकर जोश भर दिया। जुलूस में शामिल महिलाओं ने सवाल किया कि क्यों सारी बंदिशें महिलाओं पर ही लगायी जाती है?
लड़कियों को रात के समय घर से निकलने से रोका जाता है मगर समाज में कोई लडक़ों से यह सवाल नहीं करता कि क्यों रात के समय घर से बाहर जा रहे हो? जब लडक़ों पर कोई पाबंदी नहीं लगायी जाती तो महिलाओं व लड़कियों पर क्यों पाबंदी लगायी जाती है। महिलाओं का कहना था कि एक ओर तो देश में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात की जाती है तो दूसरी ओर उन्हें बंदिशों के दायरे में बांध दिया जाता है। महिलाएं इन बंदिशों की दीवार गिराकर ही दम लेंगी।
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महिलाओं ने मांगी पूरी आजादी
जुलूस में शामिल एक महिला ताहिरा हसन का कहना था कि महिलाओं को आधी नहीं बल्कि पूरी आजादी मिलनी चाहिए। लखनऊ में मेरी रात मेरी सडक़ मुहिम की शुरुआत करने वाली गीता प्रभा सिंह ने कहा कि आज लड़कियां हर क्षेत्र में लडक़ों के बराबर काम कर रही हैं। ऐसे में सिर्फ लड़कियों के लिए लक्ष्मण रेखा खींचना उचित नहीं है। मीना कोटवाल ने कहा कि यह मुहिम उन लोगों के खिलाफ है जो महिलाओं पर बंदिशें लगाते हैं। अर्चना त्रिपाठी ने कहा कि महिलाएं पूरी आजादी पाने की हकदार हैं। महिलाओं ने सबसे पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से मृत बच्चों व अन्य लोगों को श्रद्धासुमन अर्पित किए और उसके बाद जुलूस निकाला।
काशी में आधी रात में सडक़ पर उतरी लड़कियां
उधर काशी में शनिवार की आधी रात जब बहुत से लोग नींद की आगोश में थे तो शहर की बहादुर बेटियां सामाजिक बंदिशों के खिलाफ नारे लगाते हुए सडक़ों पर उतरीं। बेटियों ने नारा बुलंद किया ‘मेरी रात,मेरी सडक़’। लड़कियों का कहना था कि हमें रात में किसी से डरने की कोई जरुरत नहीं।
लंका से लेकर अस्सी तक निकाले गए इस मार्च में शामिल लड़कियों का कहना था कि उन्हें रात के समय सडक़ों पर निकलने से नहीं रोका जा सकता। लड़कियों ने लिंगभेद पर नाराजगी जताते हुए सवाल किया कि जब लडक़ों को देर रात घरों से निकलने की इजाजत है तो उन्हें कैसे घरों की चहारदीवारी में कैद किया जा सकता है। उनका कहना था कि महिलाओं की सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी और वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।
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पुरुषवादी मानसिकता बदलने पर जोर
लड़कियों ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिला के साथ जब भी कोई घटना होती है तो इसका सारा दोष महिला पर ही मढ़ दिया जाता। लोग सीधा सवाल करते हैं कि इतनी रात के समय वह बाहर क्यों गयी थी? लोगों के इस नजरिये को बदलने की जरुरत है। इसे सिर्फ तभी बदला जा सकता हैं, जब महिलाएं ज्यादा से ज्यादा सडक़ों पर उतरकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएं। लड़कियों ने कहा कि आंदोलन को मुखर करने का प्रयास फेसबुक ‘अपनी सडक़ें’ के नाम से चल रहा है।
प्रदर्शन की अगुवाई कर रही स्वाती सिंह ने बताया कि पुरुषवादी मानसिकता के खिलाफ उनका आंदोलन अब रुकने वाला नहीं है। इसकी लौ आगे भी जारी रहेगी। आधी रात के समय हाथों में तख्ती लिए लड़कियों के काफिले को देखकर लोग दंग रह गए। मार्च में लड़कियों ने बढ़चढक़र हिस्सा लिया। उन्होंने पोस्टर पर लिखे संदेशों के जरिए अपने संदेश को लोगों से साझा किया। इसमें प्रमुख रूप से स्वाति सिंह के अलावा सविता उपाध्याय, तनु सिन्हा, रश्मि दिनकर, स्निग्धा, नेहा, पूजा, नीति, रचना, नजमा, प्रियंका, आशा आदि ने हिस्सा लिया।