Gonda News: जिला अस्पताल की एक्सरे मशीन खराब, मरीज मोबाइल से एक्सरे फोटो दिखाकर करा रहे इलाज

Gonda News: बताया जाता है कि प्रतिदिन लगभग चार से पांच सौ मरीज मेडिकल कॉलेज में उपचार कराने आते हैं, जिसमें से औसतन 100 से 200 मरीजों को एक्स-रे कराने का परामर्श दिया जाता है।

Update:2024-11-11 21:03 IST

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Gonda News: यूपी के गोंडा जिला अस्पताल भले ही राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का हिस्सा बन गया हो, परंतु यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। स्थिति यह है कि जिला चिकित्सालय खुद बीमार है। स्थिति यह है कि सिर में चोट लगने वाले मरीजों को सस्ती जांच के लिए अस्पताल में लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित की गई सीटी स्कैन मशीन पिछले 2 साल से खराब पड़ी धूल फांक रही है और जिम्मेदार इस संबंध में जानकारी मांगने पर जिम्मेदार चुप्पी मार लेते हैं।

बता दें कि मरीजों की सहूलियत के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर लगाई गई एक्सरे और सिटी स्कैन मशीन जिम्मेदारों की लापरवाही से धूल फांक रही है। इधर मरीजों का एक्सरे पोर्टेबल मशीन से किया जा रहा है। इसमें मरीजों को फिल्म भी नहीं मिल रही है और लोगों को मोबाइल पर एक्सरे का फोटो लेना पड़ता है। डिजिटल एक्सरे मशीन खराब होने के बाद से मरीजों को फिल्म नहीं मिलती है। उन्हें पोर्टेबल एक्सरे मशीन से मोबाइल पर फोटो खिंचवा दी जाती है। वही फोटो डॉक्टर को दिखाई जा रही है, लेकिन जब इस रिपोर्ट में चोट व बीमारी क्लियर नहीं होती तो फिर संबंधित चिकित्सक बाहर से एक्सरे के लिए सलाह देते हैं। ऐसे में मरीज को मजबूरन बाहर से अधिक रुपया खर्च कर डिजिटल एक्सरे कराना पड़ता है। बताया जाता है कि प्रतिदिन लगभग चार से पांच सौ मरीज मेडिकल कॉलेज में उपचार कराने आते हैं, जिसमें से औसतन 100 से 200 मरीजों को एक्स-रे कराने का परामर्श दिया जाता है।

मालूम हो कि निजी लैबों पर इसके लिए करीब 900 रुपये फीस देनी पड़ती है। वहीं शासन द्वारा मरीजो के लिए मुहैया कराई गई सिटी स्कैन मशीन भी बीते वर्षों से खराब पड़ी है और जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। बता दें कि योगी सरकार देवी पाटन मंडल के इन जिलों के स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के संबंध में लगातार सख्त आदेश देती रही है। बावजूद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में काफी समय से एक्सरे प्लेट नदारद है और एक्सरे प्रिंटिंग मशीन भी खराब है। जिसकी वजह से मरीजों को एक्सरे कराने के बाद रिपोर्ट के लिए मशीन के डिस्प्ले से मोबाइल से फोटो खींचना पड़ रहा है। जिस भी मरीज और तीमारदारों के कैमरे वाली मोबाइल नहीं होती हैं,उनका एक्सरे ही नहीं नही किया जाता हैं। मरीजों को एक्सरे कराने के लिए कैमरे वाली मोबाइल लाने की बात कही जाती हैं। मरीजों से पहले पूछा जाता हैं कि कैमरे वाली मोबाइल हो तो एक्सरे कराओ। अगर नही है तो एक्सरे की कापी नही मिलेगी।

मरीजों का कहना है कि अस्पताल में जहां संसाधन उपलब्ध हैं वहां कर्मचारी मरीजों को टहलाते हैं अनावश्यक उत्पीड़न कर रहे हैं जिससे मरीज परेशान होकर वापस लौटने पर मजबूर हैं। ऐसे में सरकार के सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज का दावा खोखला साबित हो रहा है। जबकि चिकित्सक सिर्फ एजेंसी को पत्र लिखने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। इस संबंध में सीएमओ से सीयूजी नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर था।

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