Gonda News : सरयू-घाघरा नदी के संगम पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Gonda News: कल्पवास के लिए पसका के संगम के तट पर सैकडो की संख्या में डेरा डाल कर भक्त कुछ विशेष नियम धर्म के साथ महीना व्यतीत करते हैं। कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास आरंभ करते हैं।;

Report :  Vishal Singh
Update:2025-01-13 19:53 IST

Devotees holy dip at confluence of Saryu Ghaghra river in Laghu Prayag (Photo: Social Media)

Gonda News : लघु प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध सरयू व घाघरा नदी के संगम पर पौष पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर दान पुण्य अर्जित किया। वहीं, कल्पवासियों ने एक माह के कल्पवास शुरू किए हैं। पौष पूर्णिमा पर आज जिले के सूकर खेत पसका में घाघरा व सरयू नदी के संगम पर विशाल मेले का आयोजन किया गया। संगम तट पर सुबह भोर से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया जो देर शाम के बाद भी चलता रहा, जिसमें आस पास के जिलों तथा पड़ोसी देश नेपाल के भी श्रद्धालुओं ने पवित्र सरयू नदी के संगम तट डुबकी लगा कर पुण्य अर्जित किया।

प्रशासन ने बड़े पैमाने पर सुरक्षा सहित विभिन्न इंतजाम किए हैं। मेले में बड़ी संख्या में प्रदेश के कोने - कोने से आये झूले, सर्कस के साथ ही घरेलू सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन व खानपान ऊनी वस्त्रों की दुकानें लगी है। जगह जगह साधु-संत रामधुन कर रहे हैं। इस दौरान पूरा मेला क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। 

सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम 

मेले की दृष्टिगत डीएम नेहा शर्मा ने भी दो दिन पहले मेला क्षेत्र का निरीक्षण किया था। श्रद्धालुओं को किसी भी तरीके से असुविधा का सामना न करना पड़े इसको लेकर व्यापक का इंतजाम करने के निर्देश दिए थे। साफ सफाई की व्यवस्था से पेयजल की व्यवस्था, अलाव की व्यवस्था की गई थी, तमाम अधिकारी भी मेला क्षेत्र में मौजूद रहकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। चप्पे चप्पे पर पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है। पार्किंग की व्यवस्था भी कराई गयी है।

वराह भगवान के मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़

सूकर खेत पसका को हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर पृथ्वी को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए सतयुग में वाराह का रूप धारण किया था। हिरण्याक्ष नामक राक्षस का वध कर पृथ्वी को पाप से मुक्त कराया था। इसलिए यह स्थान सूकर खेत के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस मंदिर का प्रमाण कई हिंदू धर्म ग्रंथो में भी देखने को मिलता है। आज हजारों श्रद्धालुओं ने इस मंदिर में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की।

पौष पूर्णिमा से एक माह का कल्पवास शुरू

सरयू - घाघरा के मिलन से सूकर खेत पसका को लघु प्रयाग के नाम से महत्व है, यहा पर कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से प्रारंभ होकर माघ माह के 12वें दिन तक किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले एक मास के कल्पवास से एक कल्प जो ब्रह्मा के एक दिन के बराबर होता है जितना पुण्य मिलता है।

कल्पवास के लिए पसका के संगम के तट पर सैकडो की संख्या मे डेरा डाल कर भक्त कुछ विशेष नियम धर्म के साथ महीना व्यतीत करते हैं। कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास आरंभ करते हैं। पसका संगम पर माघ के पूरे महीने निवास कर पुण्य फल प्राप्त करने की इस साधना को कल्पवास कहा जाता है। कहते हैं कि कल्पवास करने वाले को इच्छित फल प्राप्त होने के साथ जन्म जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति भी मिलती है।

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