Gorakhpur News: बीमारी नहीं विवादों के ‘इलाज’ में परेशान गोरखपुर AIIMS, अब एम्स निदेशक के खिलाफ जांच

Gorakhpur News: स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी में अध्यक्ष के तौर पर सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ स्कीम मिनिस्ट्री (सीजीएचएस) के डॉ. मनस्वी कुमार को शामिल किया गया है।

Update:2024-09-25 09:30 IST

AIIMS Gorakhpur  (photo: social media ) 

Gorakhpur News: पूर्वांचल, सीमावर्ती बिहार से लेकर मित्र राष्ट्र नेपाल के मरीजों के लिए बड़ी उम्मीद के साथ स्थापित गोरखपुर का एम्स मरीजों का नहीं बल्कि आपसी विवाद का ‘इलाज’ करने में परेशान है। पिछले दो साल में एम्स में विभिन्न गम्भीर आरोपों में 20 से अधिक कमेटियों का गठन हो चुका है। एक बार फिर विवाद को लेकर एम्स निदेशक के खिलाफ जांच का आदेश हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। आरोप है कि कार्यकारी निदेशक प्रो.जीके पाल के बेटे का पीजी में प्रवेश फर्जी ओबीसी प्रमाण पत्र पर हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन सदस्यीय कमेटी में अध्यक्ष के तौर पर सेंट्रल गर्वमेंट हेल्थ स्कीम मिनिस्ट्री (सीजीएचएस) के डॉ. मनस्वी कुमार को शामिल किया गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस की निदेशक प्रियदर्शिका श्रीवास्तव और विजिलेंस एंड लाइजन ऑफिसर ओबीसी के निदेशक सतीश कुमार सदस्य हैं। तीन सदस्यीय जांच कमेटी को सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। ओबीसी प्रमाणपत्र पटना से जारी हुआ है। पटना में भी इसकी शिकायत की गई है। इसका असर यह है कि पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने भी मामले की जांच शुरू करा दी है। इसके लिए अधिकारियों के नेतृत्व में कमेटी भी बनाई गई है। बताया जा रहा है कि एम्स के कार्यकारी निदेशक इस मामले में पटना के डीएम से पूर्व में मुलाकात कर ओबीसी प्रमाणपत्र निरस्त कराने की बात कह चुके हैं लेकिन चूंकि मामला जांच पर आ टिका है तो वह प्रमाणपत्र अब निरस्त नहीं हो सकता है।

डॉ.गौरव गुप्ता ने की है शिकायत

एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता ने 5 सितंबर को जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की थी। इसमें आरोप लगाया था कि कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ. जीके पाल ने ओबीसी के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर बेटे डॉ. ओरो प्रकाश पाल को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाया। ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाते हुए नॉन क्रीमी लेयर का लाभ लिया। गत 27 अप्रैल को एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक के आवास के पते से प्रमाणपत्र बनवाया गया। इसमें अपनी और पत्नी की सालाना आय आठ लाख रुपये बताई, जबकि दोनों का पैकेज 80 लाख रुपये से ज्यादा है। प्रोफेसर सतीश ने आरोप लगाया है कि शिकायतकर्ता डॉ. अशोक प्रसाद पर भी कई तरह के गंभीर आरोप हैं। उनके खिलाफ इंटरपोल का लुक आउट नोटिस जारी हो चुका है। इसके अलावा उन्होंने कार्यकारी निदेशक पर पटना से लेकर गोरखपुर तक में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। अपने बेटे का गलत एवं नॉन क्रीमीलियर का फर्जी सर्ट़िफकिेट बनवा कर एम्स पीजी कोर्स में दाखिला दिलाने का मुद्दा भी उठाया है।

कमेटी की सिफारिश पर बर्खास्त हुए प्रो.सतीश

एम्स में एनाटमी विभाग के डॉ. कुमार सतीश रवि की बर्खास्तगी कमेटी की जांच के बाद की गई है। उन्होंने कई तथ्यों को छिपाया। ऋषिकेश की तीन-तीन कमेटियों ने मामले की जांच की। ज्वाइनिंग के समय भी शिकायत की गई। लेकिन, पूर्व निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने मामले को दबा लिया। उनके सुपरवाइजर ने भी शिकायत की। वहीं वह आरती लाल चंदानी को धमकी दिया करते थे कि वह एससी हैं और एससी कमीशन में जाएंगे। एससी कमीशन को भी इसकी रिपोर्ट दी गई थी। उन्हें बताया गया था कि मामला उनकी नियुक्ति से जुड़ा है।

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