Baba Balak Nath: राजस्थान के सीएम की रेस में आगे बताए जा रहे बालक नाथ का क्या है गोरखपुर कनेक्शन, योगी से हैं कैसे रिश्ते?
Baba Balak Nath: बाबा बालक नाथ के लिए गोरखपुर दूसरे घर की तरह है। वे साल में कई मर्तबा यहां आते हैं। पिछले 30 नवंबर को भी वे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे थे। जहां उन्होंने राजस्थान वोटिंग से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ से आशीर्वाद लिया था।
Baba Balak Nath: राजस्थान की तिजारा सीट से जीते बीजेपी उम्मीदवार और अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ प्रदेश के नये सीएम की रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। सीएम की रेस में आने के साथ ही उनके गोरखपुर कनेक्शन, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से उनके रिश्ते और गोरखनाथ से धार्मिक संबंध को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं।
योगी आदित्यनाथ की तरह ही बाबा बालकनाथ भी सियासत में आए और वो अलवर सीट से 2019 में लोकसभा के सांसद चुने गए। भाजपा आला कमान के निर्देश पर वह इस बार विधानसभा चुनाव में उतरे और अच्छे अंतर से जीते भी। वह हरियाणा के रोहतक स्थित अस्थल बोहर के महंत हैं। सच यह है कि बालक नाथ के लिए गोरखपुर दूसरे घर की तरह है। वे साल में कई मर्तबा यहां आते हैं। पिछले 30 नवंबर को भी वे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे थे। जहां उन्होंने राजस्थान वोटिंग से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ से आशीर्वाद लिया था। पहली दिसम्बर को वे योगी से मुलाकात के बाद वापस लौटे थे। पिछले मई महीने में भी वे गोरखनाथ मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। तब वह गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ द्वारा नौ देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
प्राण प्रतिष्ठा का यह अनुष्ठान श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ व श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ की पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ था। गोरखनाथ मंदिर प्रशासन से जुड़े लोगों का कहना है कि बालक नाथ जी गोरखनाथ मंदिर में हर साल अक्तूबर महीने में आयोजित होने वाले पूण्यतिथि कार्यक्रम में अवश्य शामिल होते हैं। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर के नाथ योगी शिरकत करते हैं।
नाथ संप्रदाय से आते हैं बालक नाथ
राजस्थान की तिजारा सीट से जीते बालक नाथ नाथ संप्रदाय के हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाथ संप्रदाय से ही ताल्लुक रखते हैं। नाथ संप्रदाय भारत का प्राचीन और योगियों का संप्रदाय है। हठ योग पर आधारित इस संप्रदाय के योगियों अपने कान छिदवाने होते हैं। इस संप्रदाय की शुरुआत आदिनाथ शंकर से मानी जाती है। इसका मौजूदा स्वरूप गोरक्षनाथ यानि योगी गोरखनाथ ने दिया। जिन्हें भगवान शंकर का अवतार माना जाता है।